क़ानूनी समाचारों पर बेबाक टिप्पणियाँ (5)
प्रिय दोस्तों व पाठकों, पिछले दिनों मुझे इन्टरनेट पर हिंदी के कई लेख व क़ानूनी समाचार पढने को मिलें. उनको पढ़ लेने के बाद और उनको पढने के साथ साथ उस समय जैसे विचार आ रहे थें. उन्हें व्यक्त करते हुए हर लेख के साथ ही अपने अनुभव के आधार पर अपनी बेबाक टिप्पणियाँ कर दी. लेखों पर की कुछ टिप्पणियाँ निम्नलिखित है.किस लेख पर कौन सी की गई है यह जाने के लिए आपको http://teesarakhamba.blogspot.com/, http://adaalat.blogspot.com/ और http://rajasthanlawyer.blogspot.com/ पर जाना होगा.इन पर प्रकाशित लेख व समाचारों को पढना होगा.
(1) पटना उच्च न्यायालय ने चुटकी लेते याचिकाकर्ता से कहा- अपनी पत्नी से हर मर्द परेशान ही रहता है........ खुशी मनाइये और संभव हो तो मिठाई भी बांटिये। हाईकोर्ट ने वाइफ की परिभाषा इस तरह की- रांग इनवाइटेड फॉर एवर। पराए मर्द के साथ चली गई अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए पति की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत की यह टिप्पणी कोर्ट परिसर में खासी चर्चा में रही। आखिरकार याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी वापस नहीं मिल सकी। जोधपुर में तैनात आर्मी में लांस नायक मलय कुमार की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को वापस करते हुए हाइकोर्ट ने उन्हें किसी सक्षम न्यायालय की शरण में जाने का निर्देश दिया। अदालत ने उन्हें निचली अदालत में जाने की छूट देते हुए पत्नी को वापस कराने में असमर्थता जाहिर की। याचिका में मूलत: जहानाबाद (बिहार) के मकदूमपुर थाना के सुमेरा गांव वासी लांसनायक ने अदालत के सामने अपनी व्यथा रखी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी शादी 2003 में अनुराधा के साथ हुई। शुरू में सब कुछ ठीक रहा हाईकोर्ट ने वाइफ की परिभाषा काफी अच्छी की.रांग इनवाइटेड फॉर एवर-हमेशा के लिए गलत।
(2) प्रदेश में एडीजे की सीधी भर्ती परीक्षा में कथित धांधली के विरोध में आंदोलन कर रहे वकीलों के समर्थन में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति का समर्थन करके बहुत अच्छा किया है.
(3) दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए अगर एक पक्ष रिश्ते से बाहर आ जाए तो दूसरा बेवफाई की शिकायत नहीं कर सकता। यह रिश्ते आकस्मिक होते हैं और किसी डोर से बंधे नहीं होते और न ही इन रिश्तों में रहने वालों के बीच कोई कानूनी बंधन होता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने बहुत सही फैसला किया है. मैं संपूर्ण रूप से सहमत भी हूँ और पिछले लगभग आठ महीने से हाईकोर्ट के जस्टिस श्री शिव नारायण ढींगड़ा द्वारा किये फैसलों को पढ़ रहा हूँ. मैंने अक्सर देखा कि-इन्होंने इसे केसों पर बहुत अच्छे फैसले दिए है.जिनका प्रभाव आज समाज में पड़ रहा है और दिल्ली पुलिस ने प्रभाव में केस दर्ज कर लिया था.
(4) एक आपराधिक मामले में न्यायालय ने किसी और आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, लेकिन विवेचक सब इंस्पेक्टर ने किसी और को कोर्ट में पेश कर दिया। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब जेल जा चुके बेगुनाह युवक के परिवार ने अदालत में शिकायत की। इस मामले में एडीजे श्री केसरवानी ने एसआई कमलेश चौरिया को जमकर फटकार लगाई और उसे 5 हजार का क्षतिपूर्ति देने के निर्देश दिये।मेरे विचार से एडीजे श्री केसरवानी ने कुछ भी नहीं किया बल्किएसआई कमलेश चौरिया से रवि सिंह को 50 हजार रूपये दिलवाने चाहिए थे और उतनेही दिनों की सजा काटने का,निलंबित करने का और प्रिंट मीडिया को एसआई कमलेश चौरिया की फोटो सहित समाचार प्रकाशित करने का आदेश देना चाहिए था. मुझे अफ़सोस है हमारेदेश की न्याय व्यवस्था पर बेकसूर आदमी की इज्जत की कीमत मात्र 5 हजार लगाई.
(5) आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के सिलसिले में पुलिस ने भाजपा सांसद दीनू सोलंकी के भतीजे शिवा सोलंकी को गिरफ्तार किया गया है। दीनू सोलंकी जूनागढ से भाजपा सांसद हैं। उल्लेखनीय है कि आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा ने गिर के जंगलों में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। इसके कुछ समय बाद ही 20 जुलाई को मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने गुजरात उच्च न्यायालय के नजदीक जेठवा की गोली मारकर हत्या कर दी थी।सूत्रों के मुताबिक इस हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ के दौरान शिवा सोलंकी का नाम लिया था। अमित की हत्या के बाद ही उनके पिता भीकाभाई जेठवा ने जूनागढ़ से सांसद दीनू सोलंकी पर अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाया था।
जब-जब हमारे देश में किसी भी ईमानदार व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई हैं, तब-तब उसका ईमान खरीदने की कोशिश की जाती है.अगर उसका ईमान नहीं खरीद पाते हैं तब भ्रष्टाचारियों के हाथों यूँ ही मारे जाते हैं. मेरी भी इसे ही किसी एक दिन भ्रष्टाचारी के हाथों मौत होनी है क्योंकि मैं किसी भी को रिश्वत नहीं देने वाला. इसलिए अपनी मौत के सन्दर्भ में अर्ज है:-
"खुदा ने पूछा बोल कैसी चाहता है अपनी मौत,
मैंने कहाकि-दुश्मन की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ मौत."
"मौत ने पूछा कि-मैं आऊंगी तो स्वागत करोंगे कैसे,
मैंने कहाकि-राहों में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर इतनी करी कैसे"
जब-जब हमारे देश में किसी भी ईमानदार व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई हैं, तब-तब उसका ईमान खरीदने की कोशिश की जाती है.अगर उसका ईमान नहीं खरीद पाते हैं तब भ्रष्टाचारियों के हाथों यूँ ही मारे जाते हैं. मेरी भी इसे ही किसी एक दिन भ्रष्टाचारी के हाथों मौत होनी है क्योंकि मैं किसी भी को रिश्वत नहीं देने वाला. इसलिए अपनी मौत के सन्दर्भ में अर्ज है:-
"खुदा ने पूछा बोल कैसी चाहता है अपनी मौत,
मैंने कहाकि-दुश्मन की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ मौत."
"मौत ने पूछा कि-मैं आऊंगी तो स्वागत करोंगे कैसे,
मैंने कहाकि-राहों में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर इतनी करी कैसे"
(6) मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार देश भर के निजी स्कूलों में समग्र शिक्षा के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर सख्त और इस नियम का पालन नहीं करने वाले स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों का नामांकन अनिवार्य है और सरकार इससे एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी।
अगर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल जी सख्त हो जाये तो वाकई स्कूलों की अपनी गुंडागर्दी पर रोक लग जाएगी.
(7) एडीजे सीधी भर्ती परीक्षा में कथित धांधली के आरोपों को लेकर पिछले सात दिन से हड़ताल पर उतरे वकीलों ने मंगलवार को जोधपुर में वाहन रैली निकाली। वकीलों के इस विरोध प्रदर्शन के चलते शहर के कई इलाकों में यातायात जाम हो गया और वाहन चालकों को अपने गतंव्य स्थलों तक पहुंचने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। यातायात पुलिस के प्रयास भी कम पड़ गए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अच्छी बात है. सभी वकील और सभ्य व्यक्ति थें. इसलिए रैली मानव श्रंखला(वाहनों की कतार) के रूप में निकालकर आम आदमी की परेशानी नहीं बढानी चाहिए थी. इस प्रकार पढ़े-लिखें और अनपढ़ों में कोई फर्क नहीं रह जायेगा. (क्रमश:)
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