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रविवार, फ़रवरी 05, 2012

अब...मेरी माँ को कौन दिलासा देगा ?

अब हमें भी पता नहीं कितने दिन जेल की सलाखों को पकड़कर खड़ा रहना होगा, क्योंकि हमारे देश में कानून पूंजीपतियों, राजनीतिज्ञों और महिलाओं की बाप की जागीर बन गया है.
लो दोस्तों, हमारा आपका बस थोड़े से ही दिनों का साथ था. मैं अक्सर कहता था कि देशप्रेम में पागल और सिरफिरे लोगों का स्वागत फ़िलहाल "जेल" में किया जाता है. अब हम तो जेल में जा रहे हैं. हम अपनी पत्नी के द्वारा धारा 498A और 406 के तहत दर्ज करवाए झूठे केसों (एफ.आई.आर नं. 138/2010 थाना-मोतीनगर,दिल्ली) में आठ फरवरी को तीस हजारी के कमरे नं. 138 में आत्मसमपर्ण कर रहे हैं. पुलिस के पास सबूत नहीं थें. इसलिए आज तक मुझे गिरफ्तार नहीं किया था. अब केस दर्ज हुए लगभग दो साल हो चुके है. अब कोर्ट का वारंट पुलिस लेकर आई थीं. कल संयोगवश घर पर नहीं था. तब वारंट देकर चली गई. कोर्ट का सम्मान करना मेरा फर्ज है. पिछले नौ महीने से बिलकुल बेरोजगार बैठा हूँ और सारा काम भी लगभग चार साल से बंद था. बिना वकील के ही जज को अपनी गिरफ्तारी दे रहा हूँ. जेल जाने की तारीख निश्चित है मगर भष्ट और अव्यवस्था के कारण वापिस का कोई पता नहीं है. 
मेरी गिरफ्तारी का वारण्ट 
अपनी हिम्मत तो रखे हुए हूँ लेकिन विधवा माँ को हिम्मत रखने वाले शब्द नहीं बोल पा रहा हूँ. उसके लिए कहाँ से वो शब्द लेकर आऊ जो उसको दिलासा दें ? माँ तो कसूरवार बेटे का सदमा सहन नहीं कर पाती है फिर वेकसुर बेटे के लिए जेल जाने का सदमा कैसे सहन करें, कल से मम्मी से ठीक से खाना भी नहीं खाया जा रहा है. क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा है ? कल (चार फरवरी) ही मेरे पिताजी की चौथी पुण्यतिथि थीं. जब पुलिस आई थीं, तब काफी परेशान हो गई थीं. हर रोज थोड़ी देर बैठकर माँ-बेटा अपना दुःख दर्द कह लेते थें.एक-दूसरे को दिलासा दे लेते थें और हिम्मत बढ़ा दिया करते थें. अब......मेरी माँ को कौन दिलासा देगा और हिम्मत बढ़ेगा?

आज कुछ लड़कियाँ और उसके परिजन धारा 498A और 406 को लेकर इसका दुरूपयोग कर रही है. हमारे देश के अन्धिकाश भोगविलास की वस्तुओं के लालच में और डरपोक पुलिस अधिकारी व जज इनका कुछ नहीं बिगाड पाते हैं क्योंकि यह हमारे देश के सफेदपोश नेताओं के गुलाम बनकर रह गए हैं. इनका जमीर मर चुका है. यह अपने कार्य के नैतिक फर्ज भूलकर सिर्फ सैलरी लेने वाले जोकर बनकर रह गए हैं. असली पीड़ित लड़कियाँ तो न्याय प्राप्त करने के लिए दर-दर ठोकर खा रही हैं.  
मेरे खिलाफ झूठ और बिना सबूतों के दर्ज एफ.आई.आर. जिसमें मेरे नाम के साथ ही मेरे बड़े भाइयों के साथ ही मेरी भाभी का नाम भी दर्ज किया गया है. हमारे देश के कानूनों में एक औरत को अपने सुसराल वालों का झूठा नाम लिखवाने की अनुमति मिली हुई है.मगर एक पत्रकार को किसी महिला की पहचान उजागर करने की मनाही है. इसलिए मैंने अपनी पत्नी का नाम इस पेज से हटा दिया है.
 मेरी जमानत तीन बार ख़ारिज हो चुकी है और अश्लील वीडियो फिल्म बनाने का और दहेज का सामान (स्त्रीधन) न लोटने के झूठे आरोपों के कारण जमानत नहीं मिल रही हैं. उत्तमनगर थाने, थाना बिंदापुर और मोतीनगर आदि से लेकर थाना कीर्ति नगर, दिल्ली के वोमंस सैल, सरकारी वकील, जांच अधिकारी, जज को रिश्वत न दे पाने के कारण झूठे सबूतों के आधार पर केस भी दर्ज हो गए और दर्ज केस में मुझे जमानत नहीं मिली. आँखों के अंधे-बहरे जज और पुलिस अधिकारी बिना सबूत मामला दर्ज करते है और जमानत नहीं देते हैं.  
दोस्तों ! बस दुआ करना कि मेरी विधवा माँ का स्वास्थ्य ठीक रहे.जब तक मुझे जेल में रहना पड़े. 72 साल की है, घर के कार्य के सिवाय कुछ नहीं करती है. मेरे बाद में मेरे बड़े भाई के पास रहेगी. लेकिन बड़ा भाई अपने काम पर सवेरे छह बजे चला जाता है और रात को दस बजे आता हैं. खर्च की चिंता नहीं है मगर मानसिक रूप से दिलासा देने की जरूरत है. मेरी मम्मी अनपढ़ है. ज्यादा जानकारी नहीं है. इसलिए ज्यादा डरी हुई है. आप मिलने आने का कष्ट मत उठाये फोन करें, तब बता देना कि आपके बेटे के दोस्त बोल रहे हैं.मेरी मम्मी हिंदी ही समझती है. आपके सहयोग और प्यार के लिए धन्यवाद
दोस्तों ! अगर आपके पास समय हो तो कभी-कभी मेरी माँ के पास मेरा ही एक अन्य फोन नं. 9868566374 पर बात कर लेना और दिलासा देने के साथ ही हिम्मत भी दे देना. आप ज्यादा जानकारी के लिए मेरे ब्लोगों की सभी पोस्टें और मेरी फेसबुक की "वाल" पढ़ें/देखें- www.sach-ka-saamana.blogspot.com (आत्मकथा)

7 टिप्‍पणियां:

  1. इस दुःख की घडी में मैं आपके साथ हूँ रमेश भाई, ईश्वर पर भरोसा रखें, सब ठीक हो जाएगा...

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  2. अफ़सोस :-(
    हौसला रखिए
    समय व सच सब ठीक करेगा

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  3. ईश्वर की यही मर्जी है...आप उस पर भरोसा रखें..अगर आप और आपकी माताजी सही हैं..तो यह सब जो आप लोग भोग रहे हैं गुजर जाएगा...ज्यादा व्यथित होएंगे तो ढ़ेरों बीमारियां घेर लेंगी...एक दिन फिर अच्छा समय लौट कर आएगा...माता जी से बात करने की हिम्मत नहीं हो रही है...मैं आपकी माता जी के लिए दुआ करता हूं...ईश्वर उनके दुखों को जल्द हर लें

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  4. ईश्वर की यही मर्जी है...आप उस पर भरोसा रखें..अगर आप और आपकी माताजी सही हैं..तो यह सब जो आप लोग भोग रहे हैं गुजर जाएगा...ज्यादा व्यथित होएंगे तो ढ़ेरों बीमारियां घेर लेंगी...एक दिन फिर अच्छा समय लौट कर आएगा...माता जी से बात करने की हिम्मत नहीं हो रही है...मैं आपकी माता जी के लिए दुआ करता हूं...ईश्वर उनके दुखों को जल्द हर लें

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  5. बहुत अफ़सोस है....ऐसा किसी घर में न हो यही हरदम इश्वर से दुवा करती हूँ....
    ऊपर वाला कोर्ट कचहरी के चक्कर किसी से नहीं लगवाए यही सबके लिए हरदम कामना करती हूँ...

    जवाब देंहटाएं
  6. ramesh bhai aisa un logo k saath hi kyon hota hai jinka koi kasoor bhi nahi hota par kuch log jo ki aurat ko apni pair ki jooti samjhte hai to unn logo se mahilaaye bhi darti hai ramesh ji mere saath bhi aisa hi hua hai

    जवाब देंहटाएं
  7. कानून का दुरुपयोग हो रहा है ।

    जवाब देंहटाएं

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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