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शुक्रवार, जनवरी 28, 2011

जब पड़ जाये दिल का दौरा!

जब आप हो घर में अकेले, पड़ जाये दिल का दौरा!
जब आप हो घर में अकेले, पड़ जाये दिल का दौरा तब क्या करें. सबसे पहले दिल के दौरे के लक्षणों को देखें कि-क्या अचानक आपकी छाती में दर्द हुआ है? और जोकि उलटी बाजु से जबड़े तक जा रहा है तो यह दिल का दौरा हो सकता है.
अगर आपकी सहायता के लिए कोई व्यक्ति नहीं है और अस्पताल दूर है तो आप किसी का इंतजार मत करें. अपनी सहायता स्वंय करें. सबसे पहले आप जितनी भी जोर-जोर से खांस सकते हैं लगातार खांसते रहिये. हर बार खांसने से पहले लम्बी सांस लें. लम्बी सांस लेने से आपको ऑक्सीजन मिल जाएगी और खांसी करने से रक्त संचार होता रहेगा.
किन कारणों से पड़ता है दिल का दौरा:- ह्रदय की मांसपेशियों को कम रक्त पहुँचने या बिलकुल भी रक्त न पहुँचने की वजह से दिल का दौरा पड़ता है | आमतौर पर दिल के दर्द में , छाती में बेचैनी,पसीने का होना | बिना दर्द के भी दिल का दौरा पड़ सकता है | या फिर व्यक्ति को हलकी सी थकावट,छाती में जलन एवं पेट में बेचैनी महसूस हो सकती है | दिल का दर्द कभी एक स्थान पर सीमित नहीं होता |  यदि कोई दर्द को सिर्फ छाती पर दर्शाए ,तो उसे दिल का दर्द नहीं हो सकता | दर्द आता और जाता रहे,तो भी ये दिल का दर्द नहीं हो सकता है  ह्रदय के दौरे के वजह से होने वाला दर्द आमतौर पर 20 मिनट से भी ज्यादा समय तक रहता है | ऐसा अक्सर सुबह-सुबह ही देखा जाता है | ह्रदय का दौरा एवं अचानक मौत दोनों ही जल्द सुबह 2 घंटे एवं ठंडे मौसम में ज्यादा होती है | इसलिए छाती का दर्द जो सुबह-सुबह हो,उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए | सुबह के 2 घंटे में रक्तचाप भी बढ़ा हुआ रहता है | इसमें सिर्फ ह्रदय के दौरे का ही नहीं,बल्कि लकवे एवं दिमाग की नस फटने (ब्रेन हम्रेज ) का ख़तरा भी काफी अधिक रहता है | अक्सर ह्रदय के धड़कन रुकने के पीछे कोई कारण जरूर होता है | कुछ लोग थकावट वाला शारीरिक श्रम जैसे की ज्यादा खाने के बाद डांस करना कार को धक्का लगाना,बलपूर्वक दरवाजा बंद करना इत्यादि हो सकते है | कई बार भावनात्मक कारण भी हार्ट अटैक का कारण होता है | सिगरेट पीने वाले ब्यक्ति भी दिल का दौरा पड़ने पर अचानक मौत का शिकार हो जाते है ऐसा अक्सर जवान ब्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलता है |  ह्रदय का दौरे को रोकने का तरिका है ------------बचाव एवं नियमित जांच ( मधुमेह, कोलेस्ट्रोल इत्यादि )
सौजन्य : सिंडीकेट बैंक की उत्तमनगर शाखा में कार्यरत श्रीमती  इंदु मुंजाल,

शनिवार, जनवरी 01, 2011

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आप सभी पाठकों / दोस्तों को "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं! आप व आपके परिवार के लिए नववर्ष 2011 मंगलमय हो! इन्हीं शब्दों के साथ ही .....
सुनहरे सपनों की झंकार, लाया है नववर्ष
खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष
आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष
महकी हुई बहारों की ख़ुशबू लाया है नववर्ष
अपने साथ नयेपन का तूफान लाया है नववर्ष
स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष
सबके दिलों पर छाया है नववर्ष
आपको मुबारक हो दिल की गराईयों से नववर्ष!
नए साल की नई सुबह, लाये नई खुशियों की सौगात, 
सुख-समृध्दी का हो साम्राज्य, सपनों को मिले एक नया आयाम!
यह नववर्ष शुभ हो, नई खुशियों को लाये! 
यह साल मनमोहक फूलों की तरह से हो आपका जीवन!!
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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