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शनिवार, फ़रवरी 02, 2013

भगवान ऐसा परिवार सबको दें

दोस्तों, आपके लिए बहुत ही अच्छी खबर है कि मेरा समाचार पत्र फिर से शुरू हो गया है. आप तक उसको पहुँचाने का काफी प्रयास कर रहा था. लेकिन तकनीकी जानकारी के कारण अपने आपको बहुत असमर्थ पा रहा था. आज मेरे गुरुदेव श्री दिनेशराय द्विवेदी जी के सुपुत्र ने मुझे "पेजमेकर" सोफ्टवेयर से "पीडीएफ" फाइल बना सिखा दिया है. मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है. 
मेरे गुरुदेव के सुपुत्र Vaibhav Dwivedi ने मुम्बई में बैठे ही बैठे मेरे कम्प्युटर में कुछ सोफ्टवेयर लोड (नई तकनीकी द्वारा) किये. लगभग साढ़े तीन घंटे की मेहनत के बाद वैभव द्विवेदी ने मेरी इच्छा को पूरा कर दिया और बहुत ही प्रतिभाशाली भी है. वैसे इनके द्वारा इस मदद से मेरे प्रकाशन कार्य को पंख लग जायेगे. मैंने इनको बहुत परेशान किया है. मगर सारी जिंदगी वैभव द्विवेदी का एहसानमंद रहूँगा. 
 मेरे गुरुदेव जी का पूरा परिवार समाज में अलग स्थान रखता है और उसमें एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली सदस्य है. जहाँ एक ओर मेरे गुरुदेव वकील है और उनकी पत्नी बहुत अच्छी "कुक" है. वहीँ दूसरी ओर उनकी सुपुत्री Purva Dwivedi एक बहुत बड़ी कम्पनी में बहुत बड़े पद आसीन होकर पूरी जिम्मेदारी से अपना फर्ज निभा रही है और उनके सुपुत्र मुम्बई में एक कम्पनी में "सोफ्टवेयर इंजीनियर" के पद की गरिमा में चार चाँद लगा रहे है. उनकी प्रतिभा को शब्दों बयान करना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है. 
शकुंतला प्रेस ऑफ इण्डिया प्रकाशन परिवार भगवान महावीर स्वामी जी से प्रार्थना करता है कि गुरुदेव दिनेशराय द्विवेदी के पूरे परिवार को स्वस्थ रखे और उनकी यश कीर्ति दुनिया के चारों दिशाओं में गतिमान हो.  
आप सभी पाठक भी "जीवन का लक्ष्य"(यहाँ पर टिप्पणी बॉक्स में अपना ईमेल पता छोड़कर) का नया अंक पढ़ सकते हैं.
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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