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आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "निर्भीक-आजाद पंछी" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

रविवार, फ़रवरी 20, 2011

आलोचना करें, ईनाम पायें !

आलोचना करें, ईनाम पायें !

 आप मेरे ब्लॉग की आलोचना कीजिए और 200 रूपये का नकद ईनाम (पांच व्यक्ति) मनीआर्डर से घर बैठे ही पायें!मेरे ब्लॉग पर और क्या-क्या होना चाहिए, मेरे पास अनेकों जनहित से जुड़ी कुछ रिकोर्टिग है उन्हें कैसे ब्लॉग पर डाला जा सकता है? इसकी सुन्दरता ओर कैसे सुंदर हो सकती हैं, आलोचना करते समय अपशब्दों प्रयोग न करके बल्कि यह बताये कि-इस कमी को ऐसे ठीक किया जा सकता है. किसी भी प्रकार की जानकारी या सुझाव हिंदी में होने के साथ-साथ आम बोलचाल की भाषा में होना चाहिए. जानकारी देते समय यह याद रखना है कि-किसी भी प्रकार की जानकारी के साथ उदाहरण भी देना है. जैसे-मैंने इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें में दिया है और कहाँ पर क्या-क्या सावधानी बरतनी होगी. आप चाहे एक ही सुझाव दें मगर उसका बताने का तरीका बिलकुल आसान होना चाहिए. जानकारी आप ईमेल से भी दे सकते हैं मगर अपना पूरा नाम, पिनकोड सहित पूरा पता और फ़ोन नं. के साथ ही अपना ईमेल आई डी भी लिखना न भूलें.

इसके अतिरिक्त आप निडर है और मेरे प्रकाशन के साथ "संवाददाता", लेखक या अन्य किसी प्रकार के रूप (पद) में जुड़ना चाहते हैं तो अपनी उपरोक्त इच्छा व्यक्त करें.

सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

वेबसाइट पर पहली ऍफ़आईआर

दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर 
अपलोड हुई पहली ऍफ़.आई.आर
आप सभी दोस्तों/ पाठकों, 
                                       मुझे यह बताते हुए काफी ख़ुशी हो रही कि मैंने अपनी दिनांक 6 सितम्बर 2010 की एक पोस्ट " क़ानूनी समाचारों पर बेबाक टिप्पणियाँ (1)" में और 30दिसम्बर 2010 की पोस्ट में भी जिक्र किया था. अपने एक बुरे अनुभव के आधार पर माननीय उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय सुझाव भेजा था. उस पर एक संतोषजनक यह बात हुई है कि-अब आरोपित को ऍफ़ आई आर की प्रति दिल्ली पुलिस को 24 घंटे में देनी होगी. काश यह कानून पूरे भारत देश में भी लागू हो जाये तो कुछ हद तक भ्रष्टाचार कम हो जायेगा.
                  दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार अब एक फरवरी 2011 से रजिस्ट्रेशन के 24घंटे के भीतर ऍफ़.आई.आर को वेबसाइट  पर अपलोड किया जाना जरूरी होगा.  
                             दोस्तों, जब एक सच्चे व ईमानदार  पत्रकार अपने किसी बुरे अनुभव के दौर से निकलता है तब उसकी एक ही दिली इच्छा होती है कि-कोई वेकसुर और गरीब दुबारा मेरी तरह इसी प्रकार की समस्या के कारण शोषित न हो. अगर आपके विचार मेरे विचारों से भिन्न हो तो अवगत जरुर करवाएं.
पहले हमने यह भी लिखा हैRelated Posts Plugin for WordPress, Blogger...
यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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