हम हैं आपके साथ

कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे.

आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "निर्भीक-आजाद पंछी" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

शुक्रवार, अक्तूबर 26, 2012

सरकार, पुलिस और लड़की वालों का गुंडाराज कब चलेगा ?


चर्चित निशा शर्मा केस यू.पी. का है. उसमें फंसे मेरे मित्र मुनीष दलाल को नौ साल "अदालत" में चले मामले में दोषी नहीं माना. लेकिन इन नौ साल में उसका कैरियर बर्बाद हो गया. नौ साल कोर्ट के चक्कर लगाते हुए लाखों रूपये खर्च हो गए. क्या बिगाड़ लिया यू.पी. पुलिस और सरकार ने "निशा शर्मा" का ? यह तो उदाहरण मात्र एक ही केस है. ऐसे अब तक लाखों केस झूठे साबित हो चुके है. आज लड़की वालों की तरफ से दहेज मांगने के लाखों केस राज्य सरकार पूरे देश भर में लड़ रही है. जिसमें एक सर्व के अनुसार 94 % केस झूठे साबित हो रहे है, जिसके कारण न्याय मिलने में देरी हो रही है और जजों का कीमती समय खराब होने के साथ ही देश को आर्थिक नुकसान होने के साथ ही लाखों पुरुष मानसिक दबाब ना सहन नहीं कर पाने के कारण आत्महत्या कर लेते है. सरकार और देश की अदालतें आँख बंद करके बैठी हुई है. यदि सरकार कुछ नहीं कर रही है तो जजों को चाहिए कि लड़की वालों को सख्त से सख्त सजा देते हुए पुरुष को मुआवजा दिलवाए. जजों को एक-दो मामलों खुद संज्ञान लेकर लड़की वालों पर कार्यवाही करने की जरूरत है. फिर कोई भी लड़की वाला झूठे केस दर्ज नहीं करवाएगा. इससे दोषी को सजा मिलेगी और निर्दोष शोषित नहीं होगा. दहेज के झूठे मामलों को सुप्रीम कोर्ट अपनी एक टिप्पणी में "घरेलू आतंकवाद" की संज्ञा दे चुका है. आज अपराध हर राज्य में हो रहे है. बस कुछ हाई प्रोफाइल ही हमारे सामने आ पाते है, बाकियों की एफ.आई.आर ही दर्ज नहीं होती है.
 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सबकुछ जाँच अधिकारी पर निर्भर करता है. कौन सा ऐसा कानून है जिसका दुरूपयोग नहीं होता.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका कथन से सहमत हूँ. अपने केस में देख चुका हूँ जाँच अधिकारी की भूमिका और एक महीने की जेल के दौरान काफी सुना कि जाँच अधिकारी का मुहँ भर दो. फिर कोई माई लाल जज आपको सजा नहीं दे सकता है. फिर जाँच अधिकारी आपको खुद बताता है कि सबूतों को कैसे नष्ट करना है या तोडना-मोड़ना है. न्याय प्राप्त करना दौलतमंद और पूंजीपतियों के लिए आसान बनता जा रहा है.

      हटाएं
  2. अगर निशा शर्मा का केस झूठा था तो कोर्ट ने उसी समय उसके लिए सजा सुनाने का काम क्यों नहीं किया .
    इसी से इनका मनोबल बढ़ा चढ़ा हुआ है सोचते है की हम जो कुछ भी कह दें हमारा कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता है जबकि पुलिस वाले, वकील और जुडिशरी सब मिलकर लड़के और उसके घरवालों को इतना नोचते हैं की उनका तो जीवन ही बर्बाद हो जाता है .
    कौन जिम्मेदारी लेगा कौन चुकाएगा उस वक़्त की कीमत जो किसी सिरफिरी ऐसी लड़की के कारण बर्बाद हुआ हो ?

    जवाब देंहटाएं

अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

पहले हमने यह भी लिखा हैRelated Posts Plugin for WordPress, Blogger...
यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

यह हमारी नवीनतम पोस्ट है: