2 अक्टूबर 2015 : मन के संकल्पों को बीच-बीच में रोकने का अभ्यास कर लें तब थकावट नहीं होगी.
3 अक्टूबर 2015 : परमात्मा को अपना साथी बना लें तब चिंता की रेखाएं चेहरे पर नहीं आएँगी.
4 अक्टूबर 2015 : जब दुसरे गलतियाँ करते हैं तब उनको गिनते न रहिए. उनका विश्वास जीतिए ताकि आप उनकी कमजोरियों को मिटाने में सहयोग दें सकें.
5 अक्टूबर 2015 : गलतफहमी प्रेमपूर्ण व शुद्ध विचारों से तथा समुचित समय पर सही ज्ञान देकर दूर की जा सकती है.
6 अक्टूबर 2015 : यदि हमारा पैर फिसल जाये तब हम संभल सकते हैं, परन्तु जुबान फिसल जाये तब यह गहरा घाव कर देती है, इसलिए सावधान रहिये.
7 अक्टूबर 2015 : सुन्दरता व गुणों की ओर हर व्यक्ति आकर्षित होता है किन्तु कुरूप व अयोग्य की सहायता करना एक दुर्लभ गुण है.
8 अक्टूबर 2015 : महान कार्य करने के लिए उमंग-उत्साह को अपना साथी बनाइए.
9 अक्टूबर 2015 : इस संसार में दूसरों की लोभ-वृति के कारण बहुत से लोग भूखे मरते हैं. यदि हम बाँटना सीख लेते तब यह समस्या हल हो गई होती.
10 अक्टूबर 2015 : यह ऑंखें प्रभु का विशेष उपहार हैं, इनके द्वारा दूसरों को प्रेम, शांति व ख़ुशी का दान करो.
11 अक्टूबर 2015 : किसी से प्रतियोगिता करने के बजाए उसकी सहायता करना बेहतर है.
12 अक्टूबर 2015 : स्वयं एक समस्या बनने के बजाय क्यों न हम दूसरों की समस्याएं हल करने में सहायक बन जाएँ ?
13 सितम्बर 2015 : दूसरों को बदलने का प्रयत्न करने के बजाए स्वयं को बदल लेना कहीं अधिक अच्छा है.
14 अक्टूबर 2015 : हर एक के विचार और स्वभाव में अंतर होता है लेकिन स्नेह में अंतर नहीं होना चाहिए.
15 अक्टूबर 2015 : जो बात आपकी ख़ुशी को नष्ट करने वाली हो, उसे कभी नहीं सुनो.
16 अक्टूबर 2015 : यदि आप अस्वस्थ हैं तब धैर्य रखिये तथा मन को स्वस्थ बनाये रखिये.
17 अक्टूबर 2015 : यदि हम भविष्य के बारे में भयभीत हो जायेंगे तब वर्तमान में प्राप्त अवसरों को खो देंगे.
18 अक्टूबर 2015 : सेवा में ईमानदारी का गुण सफलता मूर्त बना देता है.
19 अक्टूबर 2015 : अच्छा संग आगे बढ़ने का बल और हिम्मत देता है.
20 अक्टूबर 2015 : आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तब दूसरों भी महत्व देंगे.
21 अक्टूबर 2015 : किसी दुसरे व्यक्ति को विपत्ति में देखकर हँसना आपकी अज्ञानता दर्शाता है.
22 अक्टूबर 2015 : कभी-कभी ईर्ष्यावश हम दूसरों को गिराना चाहते हैं, परन्तु ऐसा करके हम स्वयं ही गिर जाते हैं.
23 अक्टूबर 2015 : आदर व सम्मान मांगने से नहीं, धारण करने से मिलता है.
24 अक्टूबर 2015 : यदि आप केवल अपना ही ध्यान रखेंगे तब दूसरे आपका ध्यान रखना कम कर देंगे.
25 अक्टूबर 2015 : अपनी दृष्टि को गुण ग्राहक बनाओ, अवगुणों को देखते हुए भी नहीं देखो.
26 अक्टूबर 2015 : सबसे बड़ी सेवा है जीवन की खुशियों को दूसरों के साथ बाँटना.
27 अक्टूबर 2015 : दूसरों की गलती सहन करना एक बात है, परन्तु उन्हें माफ़ कर देना और भी महान बात हैं.
28 अक्टूबर 2015 : न किसी के धोखे में आओ, न किसी को धोखे में डालो.
29 अक्टूबर 2015 : ईश्वर का स्मरण करने से हमारी शांति व ख़ुशी का खाता बढ़ जाता है. उन्हें भूल जाने से यह खाता घट जाता है.
30 अक्टूबर 2015 : सहयोगी होने का अर्थ गुलाम बनना नहीं है. निराशाजनक परिस्थितियों में भी कभी आशा मत छोड़ें.
31 अक्टूबर 2015 : जो कार्य हाथ में लो, वह निश्चय से करो तब सफलता अवश्य होगी.
8 अक्टूबर 2015 : महान कार्य करने के लिए उमंग-उत्साह को अपना साथी बनाइए.
9 अक्टूबर 2015 : इस संसार में दूसरों की लोभ-वृति के कारण बहुत से लोग भूखे मरते हैं. यदि हम बाँटना सीख लेते तब यह समस्या हल हो गई होती.
10 अक्टूबर 2015 : यह ऑंखें प्रभु का विशेष उपहार हैं, इनके द्वारा दूसरों को प्रेम, शांति व ख़ुशी का दान करो.
11 अक्टूबर 2015 : किसी से प्रतियोगिता करने के बजाए उसकी सहायता करना बेहतर है.
12 अक्टूबर 2015 : स्वयं एक समस्या बनने के बजाय क्यों न हम दूसरों की समस्याएं हल करने में सहायक बन जाएँ ?
13 सितम्बर 2015 : दूसरों को बदलने का प्रयत्न करने के बजाए स्वयं को बदल लेना कहीं अधिक अच्छा है.
14 अक्टूबर 2015 : हर एक के विचार और स्वभाव में अंतर होता है लेकिन स्नेह में अंतर नहीं होना चाहिए.
15 अक्टूबर 2015 : जो बात आपकी ख़ुशी को नष्ट करने वाली हो, उसे कभी नहीं सुनो.
16 अक्टूबर 2015 : यदि आप अस्वस्थ हैं तब धैर्य रखिये तथा मन को स्वस्थ बनाये रखिये.
17 अक्टूबर 2015 : यदि हम भविष्य के बारे में भयभीत हो जायेंगे तब वर्तमान में प्राप्त अवसरों को खो देंगे.
18 अक्टूबर 2015 : सेवा में ईमानदारी का गुण सफलता मूर्त बना देता है.
19 अक्टूबर 2015 : अच्छा संग आगे बढ़ने का बल और हिम्मत देता है.
20 अक्टूबर 2015 : आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तब दूसरों भी महत्व देंगे.
21 अक्टूबर 2015 : किसी दुसरे व्यक्ति को विपत्ति में देखकर हँसना आपकी अज्ञानता दर्शाता है.
22 अक्टूबर 2015 : कभी-कभी ईर्ष्यावश हम दूसरों को गिराना चाहते हैं, परन्तु ऐसा करके हम स्वयं ही गिर जाते हैं.
23 अक्टूबर 2015 : आदर व सम्मान मांगने से नहीं, धारण करने से मिलता है.
24 अक्टूबर 2015 : यदि आप केवल अपना ही ध्यान रखेंगे तब दूसरे आपका ध्यान रखना कम कर देंगे.
25 अक्टूबर 2015 : अपनी दृष्टि को गुण ग्राहक बनाओ, अवगुणों को देखते हुए भी नहीं देखो.
26 अक्टूबर 2015 : सबसे बड़ी सेवा है जीवन की खुशियों को दूसरों के साथ बाँटना.
27 अक्टूबर 2015 : दूसरों की गलती सहन करना एक बात है, परन्तु उन्हें माफ़ कर देना और भी महान बात हैं.
28 अक्टूबर 2015 : न किसी के धोखे में आओ, न किसी को धोखे में डालो.
29 अक्टूबर 2015 : ईश्वर का स्मरण करने से हमारी शांति व ख़ुशी का खाता बढ़ जाता है. उन्हें भूल जाने से यह खाता घट जाता है.
30 अक्टूबर 2015 : सहयोगी होने का अर्थ गुलाम बनना नहीं है. निराशाजनक परिस्थितियों में भी कभी आशा मत छोड़ें.
31 अक्टूबर 2015 : जो कार्य हाथ में लो, वह निश्चय से करो तब सफलता अवश्य होगी.
नोट : तस्वीरों का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। फोटो-गूगल+फेसबुक साभार.
ओवरसीज़ व हेल्थ मेडिक्लेम और गाड़ियों (1st पार्टी व 3rd पार्टी) के इंश्योरेस और भारत के सभी समाचार पत्रों / पत्रिकाओ में विज्ञापन बुकिंग हेतु : निष्पक्ष, निडर, आज़ाद विचार, अपराध विरोधी, स्वतंत्र पत्रकार, कवि और लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक (प्रधान संपादक-जीवन का लक्ष्य, शकुन्तला टाइम्स, उत्तम बाज़ार) पूर्व प्रत्याशी-उत्तमनगर विधानसभा 2008 व 2013 और दिल्ली नगर निगम 2007 व 2012 (वार्ड नं. 127 व 128) चुनाव चिन्ह-कैमरा # सम्पर्क सूत्र : 9910350461 व व्हाट्सअप्प, 9868262751, 011-28563826
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