1 अगस्त 2015 : जब तक आप प्रयत्न करना बंद न कर दें, अंतिम परिणाम घोषित नहीं किया जा सकता है.
2 अगस्त 2015 : क्या आपको जीवन रूपी वृक्ष का ज्ञान है या आप केवल इसकी टहनियों के नीचे ही खड़े हैं?
3 अगस्त 2015 : धन कमाना बुरा नहीं है, धन का दुरूपयोग करना बुरा है.
4 अगस्त 2015 : कभी भी गलतफहमी के शिकार होकर अच्छे सम्बधों को बिगड़ने न दें.
5 अगस्त 2015 : दूसरों को बदलने के पहले स्वयं को बदलना आवश्यक है.
6 अगस्त 2015 : लाठी व पत्थर से हड्डियाँ टूटती है परन्तु शब्दों से प्राय: सम्बन्ध टूट जाते हैं.
7 अगस्त 2015 : आलसी व्यक्ति को आसान-से-आसान काम भी कठिन लगता है. आलस्य ही मानव जीवन की प्रगति में बाधक है.
8 अगस्त 2015 : सज्जनता की परीक्षा आपके व्यवहार से होती है.
9 अगस्त 2015 : याद रखिये कि माँ-बाप के आचरण से बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं.
10 अगस्त 2015 : यदि आपने एक अवसर गँवा दिया तो आंसुओं के बादलों से अपनी दृष्टि धुंधली मत कीजिये. अपनी दृष्टि स्वच्छ रखिये.
11 अगस्त 2015 : जवाबदारियां सम्भालते हुए मन को सदा स्वतंत्र रखना-यह भी एक कला है.
12 अगस्त 2015 : विचार ही सभी कर्मों के बीज है इसलिए मुझे सिर्फ अच्छे, शुध्द बीज ही बोने चाहिए, जिनसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होंगे.
13 अगस्त 2015 : असत्यता पर आधारित सम्बन्ध रेत की नींव पर बने भवन के समान हैं.
14 अगस्त 2015 : अगर हम सत्य से छिपते हैं तब इसका अर्थ है कि हम अवश्य ही असत्य के संग रह रहे हैं.
15 अगस्त 2015 : अगर आपको देखना ही है तब हर एक की विशेषताएं देखिये. अगर आपको कुछ छोड़ना ही है तब अपनी कमजोरियां छोडियें.
16 अगस्त 2015 : अगर आँखें आत्मा की खिड़कियाँ है तब क्या आप अपनी आँखें स्वच्छ रखते हैं ? गंदी खिडकियों का अर्थ है कि आपके पास छिपाने के लिए कुछ है.
17 अगस्त 2015 : यदि में अपने सारे लेन-देन ईमानदारी से करता हूँ तब मुझे कभी भी भय का अनुभव नहीं होगा.
18 अगस्त 2015 : बुराई का चिन्तन करने या बुराई से डरने से बुराई मन में घर कर जाती है.
19 अगस्त 2015 : जहाँ प्रेम नहीं, वहां शांति नहीं हो सकती. जहाँ पवित्रता नहीं, वहां प्रेम नहीं हो सकता है.
20 अगस्त 2015 : नैतिकता तथा गुण हीरे-रत्नों से भी अधिक मूल्यवान हैं. यह मनुष्य को सन्तुष्टि प्रदान करते हैं तथा उसे प्रभु-प्रिय व लोक-प्रिय बना देते हैं.
21 अगस्त 2015 : जिस व्यक्ति ने प्रशंसा करना तो सीखा है परन्तु ईर्ष्या करना नहीं, वह अत्यंत भाग्यशाली है.
22 अगस्त 2015 : जैसे अहं भाव से घमंड पैदा होता है वैसे ही विभ्रम (शक, संदेह) मोह का परिणाम है.
23 अगस्त 2015 : दिव्य गुण मानव को ईश्वर के समीप ले आते हैं जबकि विकार उसे ईश्वर से दूर ले जाते हैं.
24 अगस्त 2015 : धैर्य व नम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है.
25 अगस्त 2015 : अहं भाव से मानव में वे सारे लक्षण आ जाते हैं, जिनसे वह अप्रिय बन जाता है.
26 अगस्त 2015 : अपशब्द प्रयोग का करने का अर्थ यह है कि मुझ में इतनी भी अक्ल नहीं है कि मैं अन्य शब्दों का चयन कर सकूं.
27 अगस्त 2015 : ईश्वर से सर्व सम्बन्ध अनुभव करने का अर्थ है कि आप सभी इच्छाओं से पार जा चुके हैं.
28 अगस्त 2015 : यदि सत्यता व ईमानदारी मुझे सहज लगती हैं तब परमात्मा से प्रेम भी सहज प्राप्त हो सकता है.
29 अगस्त 2015 : यदि व्यक्ति अपने नैतिक मूल्य खो देता है तब मानो अपना सब कुछ खो देता हैं.
30 अगस्त 2015 : अच्छी व स्वच्छ प्रतियोगिता स्वस्थ बनाती है परन्तु ईर्ष्या एक घातक रोग है.
31 अगस्त 2015 : परमात्मा गुणों के सागर हैं. यदि आप किसी विकार की अग्नि में जल रहे हैं तब उस सागर में डुबकी लगाइये.
ओवरसीज़ व हेल्थ मेडिक्लेम और गाड़ियों (1st पार्टी व 3rd पार्टी) के इंश्योरेस और भारत के सभी समाचार पत्रों / पत्रिकाओ में विज्ञापन बुकिंग हेतु : निष्पक्ष, निडर, आज़ाद विचार, अपराध विरोधी, स्वतंत्र पत्रकार, कवि और लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक (प्रधान संपादक-जीवन का लक्ष्य, शकुन्तला टाइम्स, उत्तम बाज़ार) पूर्व प्रत्याशी-उत्तमनगर विधानसभा 2008 व 2013 और दिल्ली नगर निगम 2007 व 2012 (वार्ड नं. 127 व 128) चुनाव चिन्ह-कैमरा # सम्पर्क सूत्र : 9910350461, 9868262751, 011-28563826 ईमेल: sirfiraa@gmail.com सोशल आई डी : www.facebook.com/sirfiraa, www.twitter.com/Nirbhik20 मेरे ब्लॉग :-www.rksirfiraa.blogspot.in, www.shakuntalapress.blogspot.in ऑफिस का पता : A-34-A, शीशराम पार्क, सामने-शिव मन्दिर, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059.
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