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गुरुवार, दिसंबर 30, 2010

अब आरोपित को ऍफ़ आई आर की प्रति मिलेगी

  आरोपित को ऍफ़आईआर की प्रति 
दिल्ली पुलिस को 24 घंटे में देनी होगी
आप सभी दोस्तों/ पाठकों मुझे यह बताते हुए काफी ख़ुशी हो रही कि मैंने अपनी दिनांक 6 सितम्बर 2010 की एक पोस्ट " क़ानूनी समाचारों पर बेबाक टिप्पणियाँ (1)" में अपने एक बुरे अनुभव के आधार पर माननीय उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय सुझाव भेजा था. उस पर एक संतोषजनक यह बात हुई है कि-अब आरोपित को ऍफ़ आई आर की प्रति दिल्ली पुलिस को 24 घंटे में देनी होगी. काश यह कानून पूरे भारत देश में भी लागू हो जाये तो कुछ हद तक भ्रष्टाचार कम हो जायेगा.
मेरा निम्नलिखित सुझाव था
मेरा  अपने अनुभव के आधार पर माननीय उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय को विन्रम अनुरोध के साथ उपरोक्त बहुमूल्य सुझाव है कि-एक आरोपी को अपने खिलाफ दर्ज हुई ऍफ़.आई.आर की एक प्रति निकलवाने के लिए वकीलों को या अदालतों में एक-एक हजार रूपये देने पड़ते है. जिससे न्यायालयों में भ्रष्टाचार चरम-सीमा पर पहुँच चुका है. अगर कुछ ऐसी व्यवस्था कर दी जाये कि-माना "अ" ने "ब" के खिलाफ "स" थाने में FIR दर्ज करवाई है और जोकि "द" नामक अदालत के क्षेत्राधिकार में आता है. तब "ब" आरोपी "द" नामक अदालत की वेबसाइट पर FIR के कालम पर क्लिक करके अपना और "अ" का नाम के साथ ही "स" थाने का नाम डालकर उपरोक्त आंकडें जमा करा दें. तब उसकी FIR की संख्या दिखें. उस संख्या पर क्लिक करके "ब" आरोपी अपनी FIR का इन्टरनेट से प्रिंट आउट निकाल सकेंगा. इससे न्यायालयों और थानों में भ्रष्टाचार रुकने के साथ ही एक बेकसूर आरोपी वकीलों और चारों ओर से लुटने से बच जायेगा. अपने बचाव के लिए उचित कदम उठा सकेंगा. इससे एक बेकसूर आरोपी थानों के अधिकारीयों व वकीलों द्वारा मानसिक व आर्थिक शोषण होने से बच जायेगा और एक आम-आदमी का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास कायम होगा. धन्यबाद!
उपरोक्त सुझाव पर दिल्ली उच्च न्यायालय का यह था निर्णय

 # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन: 09868262751, 09910350461 email: sirfiraa@gmail.com, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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