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गुरुवार, सितंबर 02, 2010

दुल्हन जैसा सजा मंदिर

दुल्हन जैसा सजा मंदिर
पाठकों /दोस्तों को शकुंतला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार व मेरी की ओर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
पश्च्मि दिल्ली के अंतर्गत आने वाले उत्तम नगर के थाना-बिंदापुर के तहत शीश राम पार्क कालोनी में स्थित "शिव मंदिर धमार्थ सभा" का शिव मंदिर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में आज गुब्बारों, रंग बिरंगी लाइटों व झालरों से सजाया गया.आज मंदिर की शोभा देखते ही बनती थी. आज पूरी कालोनी के बच्चों में जन्माष्टमी की तैयारियों को लेकर उत्साह देखने योग्य था.
"शीश राम पार्क सुधार सभा" वेलफेयर एसोसिएशन और "शिव मंदिर धमार्थ सभा" संस्थाओं के कार्यकारिणी सदस्यों के प्रयासों से आयोजित कार्यक्रम व व्यवस्था की सभी कालोनीवासियों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की.भगवान कृष्ण के विविध रूपों पर आधारित नृत्य व झांकियों का प्रदर्शन श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही. मंदिर में फूलों की भव्य सजावट की शोभा देखते ही बन रही थी.इस अवसर पर लगाई गई झाकियों की सुन्दरता के साथ-साथ कला-निर्देशक वीरपाल वर्मा के कार्यों की प्रशंसा हुई.उनके द्वारा तैयार झाकियों की एक झलक :-
मंदिर के भव्य तोरणद्वार की सजावट, उस पर जगमग करती प्रकाश व्यवस्था से सम्पूर्ण मंदिर व वातावरण कृष्णमय हो रहा है.

मुख्य द्वार पर श्री गणेश जी

राधा-कृष्ण की रासलीला
खौलते हुए तेल में भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु की आराधना में लीन.
तीरों की शैय्या पर भीष्म पितामह.

भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह द्वारा हिरणाकश्यप का वध.
समुन्द्र पार करते समय महावीर हनुमान जी अपने बल द्वारा मिनाक्ष पर्वत को दबाते हुए.

मंदिर की सुरक्षा के मद्देनजर चाक चौबंद व्यवस्था के तहत तैनात पुलिस अधिकारी
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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