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सोमवार, अगस्त 01, 2011

अभी ! मैं दूध पीता बच्चा हूँ और अपना जन्मदिन कब मनाऊं ?



दोस्तों, आज मेरे दो  "सिरफिरा-आजाद पंछी" और "रमेश कुमार सिरफिरा" ब्लोगों का जन्मदिन (ब्लॉग जगत के नियमानुसार) हैं. जिससे आप परिचित भी है. उसकी प्रथम अभी तो अजन्मा बच्चा हूँ मेरे दोस्तों!  पोस्ट को मैं जानकारी के अभाव में 31 जुलाई को डाल पाया था. जिससे किन्ही कारणों के चलते 2 अगस्त को देखा गया था, क्योंकि मैंने उससे 31 जुलाई को केवल "सेव" कर लिया था. फिर एक अगस्त को काफी प्रयास करके उसको प्रकाशित किया था. मुझे इन्टरनेट कहूँ या ब्लॉग जगत की ए.बी.सी भी नहीं आती थी और फिर बहुत कम शिक्षा होने के कारण अंग्रेजी न आने की वजह से आज भी अंग्रेजी में आने वाली ईमेल को डिलेट कर देता हूँ. मुझे टिप्पणी आदि और किसी को लिंक कैसे भेजना  होता है की जानकारी नहीं थी. 
         शुरू के दिनों में लगातार 20-22 घंटे कंप्यूटर पर बैठकर लगातार अध्ययन और सिर्फ अध्ययन करने के साथ प्रयास करता रहा. पहले एक पोस्ट फिर दूसरी पोस्ट भी डाल दी. मगर कोई जानकारी नहीं हो रही थीं कि कोई पढ़ भी रहा है या नहीं, क्योंकि समाचार पत्र में तो संपादक के नाम प्रशसकों और आलोचकों के पत्र आते रहते थें. संत कबीरदास के एक दोहे की प्रेरणा से आलोचकों अपने समाचार पत्र में सर्वक्ष्रेष्ट पत्र को थोडा इनाम तक देता था. इसके पीछे मेरी अपनी एक कमजोरी थीं, उसके द्वारा बताई गलतियों को दोहराने से मेरी पत्रकारिता में निखार आने लगा था और समाचार पत्र को विज्ञापन ज्यादा मिलने लग गए थें. मगर यहाँ यह व्यवस्था कैसे हो? इसकी कोई जानकारी नहीं थीं. 
 फिर मैंने अपने दो ब्लोगों पर एक ही तीसरी पोस्ट गुड़ खाकर, गुड़ न खाने की शिक्षा नहीं देता हूँ   डाल दी.उसके बाद मुझे एक पहली टिप्पणी मिली थी. वो मेरे गुरुवर जी की थी. उस टिप्पणी के सन्दर्भ में अपनी बात रखी और कई जानकारी प्राप्त की. आप देखें वो टिप्पणी-श्री दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…एक ही काम के लिए दो ब्लाग क्यों? शब्द पुष्टिकरण हटाएँ। आप के काम समाज में सकारात्मक योगदान कर रहे हैं। Friday, August 06, 2010 6:59:00 PM उसके बाद बिमारी की हालत में गलती से बने दो ब्लोगों पर अलग-अलग विषयों से संबंधित समाचार या लेख प्रकाशित करने का विचार किया. आज आप देखते भी होंगे.
      हाँ एक-एक से एक महानुभवों का जमावड़ा हैं. मैं आज भी ब्लॉग जगत की बहुत चीजों के चलते अनाड़ी हूँ और यहाँ पर बड़े-बड़े खिलाडी है. मैं भी चिंतित हूँ कि ब्लॉग जगत मीडिया के विकल्प के रूप में उभरकर आये और इसके  सदस्यों की संख्या 20-50 हजार हो जाए. तकनीकी जानकारी की भाषा इतनी सरल और आम-बोलचाल में हो कि-उसको एक अनाड़ी भी उपयोग में ला सकें. मैं बहुत दिनों तक पोस्ट कैसे दिखेंगी जानकारी के कारण वंचित रहा. जिससे तकनीकी जानकारी ना हो वो वेचारा क्या करेंगा. मैं आज भी ब्लॉग जगत का ए.बी ही सीख पाया हूँ. उससे आगे सिखने के लिए बहुत सारा अध्ययन कर रहा हूँ. मगर जटिल भाषा शैली के कारण बहुत ही थोड़ा-थोड़ा सीख पा रहा हूँ. अपने गुरुवर श्री दिनेशराय द्विवेदी के मार्गदर्शन से आगे बढ़ने के प्रयास भी कर रहा हूँ . मेरे विचार से:-यहाँ पर कुछ ऐसे लेख जो "ब्लॉग कैसे बनाये" की जानकारी देते हो उसका एक कालम हो.इससे नए ब्लोग्गर को बहुत फायदा होगा. हो सकता हैं मेरे विचार सही ना हो, मगर मेरा विश्वास है.अगर ऐसा होता है. तब ब्लॉग जगत मीडिया के विकल्प के रूप में बहुत आगे तक जा सकता हैं. यहाँ पर एक ब्लॉगर डी.ए.वी.पी(भारत सरकार की सरकारी विज्ञापन रिलीज करने वाली संस्था) और मार्किटिंग पर विज्ञापन के लिए निर्भर नहीं है. बातें बहुत सी है मगर फिर कभी.............
ब एक जिज्ञासा कहूँ या जानकारी मुझे अपने ब्लॉग का जन्मदिन कब मनाना चाहिए? क्या 19 जुलाई को या 31 जुलाई को या 2 अगस्त को? वैसे मेरे विचार में मेरा ब्लॉग "दूध पीता बच्चा है" क्योंकि गर्भकाल को न गिने तो मात्र मेरा ब्लॉग आज 3 महीने और 4 दिन का है. नन्हें शिशु को थोड़ा बड़ा होने दीजिए.फिर आप इसका जन्मदिन बना लेना उचित होगा. अभी तो यह केवल दूध पर ही निर्भर है.जरा अन्न-बन्न खाने लग जाने दो. सभी महानुभवों को दूध पीते बच्चे की ओर से प्रणाम. किसी प्रकार की गुस्ताखी के लिए क्षमा करें. क्षमादान से बड़ा कोई दान नहीं है.   
 दोस्तों, आप सब अच्छी तरह से परिचित होंगे कि-मैं कलम का सिपाही हूँ. मगर मेरे कुछ निजी कारणों से मेरी कलम का लेखन काफी समय से बंद था. अपनी निजी समस्यों के चलते मेरा परिचय 11 जुलाई 2010 को ब्लॉग जगत से परिचय हुआ. जानकारी के अभाव में सर्वप्रथम हम उसे एक वेबसाइट समझ बैठे. मगर अचानक 19 जुलाई 10 को एक कमाल हो गया. हम अपना भी ब्लॉग बना बैठे. मगर फिर जानकारी के अभाव में अगले 12 दिनों तक उस पर कुछ नहीं लिख सकें. अब हमें ब्लॉग जगत पर लिखते हुए कोई लगभग एक साल होने को है. अपनी निजी वैवाहिक समस्याओं के चलते वैसे हमने ज्यादा नहीं लिखा. मगर जितना लिखा, उतना सच लिखा. जहाँ एक ओर ब्लॉग जगत में अनेकों मित्र मिले, दूसरी ओर क़ानूनी ज्ञान देने वाले गुरुवर श्री दिनेश राय द्विवेदी जी जैसे गुरु मिले. जिन्होंने कदम-कदम पर निराशा के बादलों को दूर करके आशा में बदलने की कोशिश की, मगर हमारी भ्रष्ट न्याय व्यवस्था में अब तक कोई सफलता नहीं मिली. लेकिन उनके मार्गदर्शन में प्रयासरत हूँ. अनेक मित्रों  ने तकनीकी ज्ञान देकर काफी मदद की और कुछ हमारे सच लिखने के कारण अपने आप हमारे दुश्मन कहूँ या आलोचक बन बैठे. 

 
 म समाचार पत्र-पत्रिकाओं से जुडे होने के कारण ब्लॉग जगत की चालों और रणनीतियों के साथ कलाकारी से बिल्कुल अनजान है. लेकिन जैसे हम अपने समाचार पत्र में भारत सरकार के विभाग आर.एन.आई के नियमों का पालन करते हुए अपना नाम, पता और फोन नं. तक हर समाचार पत्र में लिखते हैं. उसी तरह से मैंने अपने सभी ब्लोगों में अपना पता, नाम, ईमेल और फोन नं आदि सब कुछ लिखा हुआ है. आज मुझे याद भी नहीं. कब किसकी सदस्यता ली. अपने सिखने के दौरान कहीं भी पढ़ने के लिए चला जाता था और उस मंच को नियमित रूप से पढ़ने के लिए बस ईमेल डाल देता था.पता ही नहीं चलता था. कहाँ-कहाँ,  क्या-क्या हो रहा है या हो जाता था. सिखने के चक्कर में इधर-उधर कहीं पर भी पंगा लेता रहता था. माउस को लेकर कहीं भी छेड़खानी(महिला से नहीं) करता रहता था. कभी कहीं से कोई अंग्रेजी में ईमेल आ जाती और पढ़ने में असमर्थ होने के कारण उस पर जगह-जगह पर क्लिक करके देखता था. बस और कुछ नहीं आता था.   
जैसे जैसे मुझे थोड़ी-थोड़ी जानकारी होती गई, मेरी किसी भी चीज़ को जानने की तीव्र जिज्ञासा और सिखने की लगन और कठिन परिश्रम ने काफी कुछ सीखा दिया है. मगर दूसरे ब्लोगों में नई-नई अनेक कलाकारियों को देखते हुए आज भी अपने आपको अभी अधुरा मानता हूँ. मुझे जब महसूस हुआ कि-उपरोक्त व्यक्ति को इस चीज़ का तकनीकी या दूसरा ज्ञान है. तभी मैंने उसके आगे ज्ञान की भीख मांगने के लिए अपनी झोली फैला दी. कुछ ने दुत्कार दिया और कुछ ने ज्ञान रूपी प्रकाश डालकर मेरी झोली को भर दिया. यहाँ  ब्लॉग जगत में सबसे अनाड़ी और कम पढ़ा-लिखा शायद मैं ही हूँ. इसलिए ब्लॉग जगत के विद्वान मेरे लेखन को सार्थक नहीं मानते हैं. मुझे अपनी बात को कहने के लिए कई वाक्यों का इस्तेमाल करना पड़ता है और वो उसी बात एक या दो वाक्यों में अपनी बात कह देते हैं. लेकिन मैंने अपनी पत्रकारिता और समाचार पत्रों में अपनी भाषा को बिलकुल सरल रखा. जिसे बेशक मेरे लेख कहूँ या समाचार पत्र विद्वान न भी पढ़ें, मगर जब उसका एक गरीब कहूँ कम पढ़ा-लिखा रिक्सा वाला, मोची या अन्य कोई पढ़े. तब उसको सारी बात समझ में आ जाए और उसको लगे कि-इसमें मेरे शब्दों में मेरी बात लिखी है और पढ़ते हुए ऐसा महसूस हो कि-मैं उसके सामने ही खड़ा होकर बात कर रहा हूँ. 
मेरे परिवार के आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण मेरी शिक्षा भी ज्यादा नहीं हुई थी. चाहे पत्रकारिता हो या अन्य कुछ भी सब कठिन परिश्रम से सीखा है. बहुत छोटी सी उम्र से बड़े-बड़े विद्वानों और जैन गुरुओं के कथनों को सुनकर समय और हालतों के अनुरूप उनकी शिक्षा का अमल अपने जीवन में करने लगा.अध्ययन और कुछ नया विचार करने के साथ लेखन ने पता नहीं कब पत्रकार के रूप में खड़ा कर दिया पता ही नहीं चला था. मुझे आज मुकाम तक पहुचने में पुस्तकों इतना बड़ा योगदान रहा है. जिसको मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता हूँ. (क्रमश:)
प्रचार सामग्री:-दोस्तों/पाठकों, http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/SIRFIRAA-AAJAD-PANCHHI/ यह मेरा नवभारत टाइम्स पर ब्लॉग. इस को खूब पढ़ो और टिप्पणियों में आलोचना करने के साथ ही अपनी वोट जरुर दो. जिससे मुझे पता लगता रहे कि आपकी पसंद क्या है और किन विषयों पर पढ़ने के इच्छुक है. नवभारत टाइम्स पर आप भी अपना ब्लॉग बनाये. मैंने भी बनाया है. एक बार जरुर पढ़ें.

6 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लाग जगत के जन्मदिन की बधाई! मैं फिर कहता हूँ कि आप यदि एक ब्लाग पर अपना ध्यान केंद्रित करें तो बहुत कुछ कर पाएंगे।

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  2. ब्लॉग जगत के जन्म दिन की शुभ कामना ! धैर्य से लगे रहें ! सफलता मिलेगी !

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  3. बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएँ.

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  4. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और उत्साहवर्धक टिप्पणी देने के लिए! क्षमा मांगकर यूँ शर्मिंदा न कीजिये क्यूंकि मैं समझ सकती हूँ की आप काम में व्यस्त थे इसलिए मेरे ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ सके!
    आपके दोनों ब्लॉग के जन्मदिन पर आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  5. जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें।

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अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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