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शुक्रवार, नवंबर 05, 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
हर आंगन, हर चौखट पर, हर धड़कन, हर उम्मीद पर, हर शब्द और हर पन्ने पर जले प्यार की बाती "शकुन्तला प्रेस" परिवार की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
          
आपके घर में रौशनी की जगमग हो. स्वादिस्ट पकवान बनें और मिठाइयों का आदान-प्रदान हो. पूजा के दौरान श्री लक्ष्मी माता का आगमन हो. आपके चारों खुशियों का वातावरण हो. दु:खों-ग़मों और मुसीबतों का बेसरा बस मेरे घर तक ही सीमित हो. आपका व आपके परिवार का इनसे दूर-दूर तक कोई वास्ता भी न हो. इन्हीं मंगल कामनाओं के साथ....
एक फिर से "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार और "शकुन्तला एडवरटाईजिंग एजेंसी" की ओर से आप व आप सभी के परिवारों को दीपावली, गोबर्धन पूजा और भैया दूज की हार्दिक शुभकामनायें
#आपका अपना शुभाकांक्षी-निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

मंगलवार, नवंबर 02, 2010

सड़कों पर खाना हजम करें

 दिल्ली की सड़कों पर खाना हजम करें

नई दिल्ली :दिल्ली की सड़के तौबा-तौबा! हमारी दिल्ली को कहा जाता है कि-भारत की राजधानी है मगर राजधानी होने के कारण जैसी शान होनी चाहिए वैसी है नहीं. समाचार के साथ लगी यह फोटो कर्मपुरा से जखीरा की ओर जाने वाली सड़क की हैं. इसकी हालत इतनी जर्जर हैं कि-आप अपनी गाडी या वाहन के साथ यहाँ से गुजर जाने के बाद आपके पेट की रोटी हजम हो जाती है. जैसे फुटबाल के खेल में फुटबाल पर कभी किक एक बार इधर से लगती है और कभी उधर से लगती है. ठीक उसी प्रकार से यहाँ पर एक बार वाहन का पहिया इस गड्डे में गिरता है और कभी उस गड्डे में गिरता है. वाहन का पहिया गड्डे में गिरने से इतना जोर का झटका लगता है. इसे पेट की सारी आतिड़ियों की कसरत हो जाती है और आपका खाना हजम हो जाता है. उपरोक्त संवाददाता को राहगीर रिटार्ड कर्नल सरदार हरनारिंदर  सिंह  ने  बताया  कि यह सडक  पिछले  दस  सालों  से नहीं बनी है और जहाँ पर मंत्री रहते हैं वहां की सड़के ठीक से बनी हुई है मगर जिन सड़कों से आम आदमी गुजरते हैं उनकी हालत खस्ता है. एक अन्य राहगीर नितिन अरोड़ा का कहना है कि-काश दिल्ली सरकार ने कोमनवेल्थ के नाम  पर इतना पैसा बर्बाद न करके उसका 1% पूरी ईमानदारी से दिल्ली की सड़कों पर लगाया होता तो वो ज्यादा कहीं अच्छा होता. कर्मपुरा से उत्तम नगर की ओर जाने वाली रोड की मरम्मत  करवाता  दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी  ने  नाम  न  छापने का अनुरोध  करते हुए बताया  कि- अगर पूरी दिल्ली के लिए (एक मशीन की ओर इशारा करते हुए) इसी चार-पाँच मशीनें आ जाए तो दिल्ली की एक भी सडक टूटी हुई नहीं रह सकती है मगर मशीने मंगवाने वाली फाइल विभागों में अटकी पड़ी रहती है.
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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