हम हैं आपके साथ

कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे.

आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "निर्भीक-आजाद पंछी" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

बुधवार, जून 25, 2014

कुछ यात्राएँ निराशाजनक भी साबित होती है

दोस्तों, मैंने कल अपनी भतीजी चारू जैन के साथ एक छोटी सी रोहतक, हरियाणा की यात्रा की. जो उम्मीदों के अनुरूप बहुत ही निराशाजनक रही. दरअसल मेरी भतीजी एम.बी.बी.एस का कोर्स करना चाहती है. पिछले साल ही बारहवीं पास कर ली थी और दाखिले से पहले होने वाली परीक्षा में भी पास हो गई थी. लेकिन उसकी आयु कम होने के कारण दाखिला नहीं मिल पाया था.


इस बार उसने काफी कोचिंग भी ली और परीक्षा में पास भी हो गई. मगर इस बार थोड़े कम नम्बर छह सौ में से चार सौ एक आये. दिल्ली के कालेज में दाखिला नहीं मिल सकता था. फिर थोड़े बहुत चांस थें तो हमारे भारत की चरमराई हुई डाक व्यवस्था (दिल्ली की दिल्ली में दो दिन में भी स्पीड पोस्ट से भरा हुआ फॉर्म अपने स्थान पर नहीं पहुंचा था) के कारण वो भी चले गए. 

हरियाणा के लिए प्रयास शुरू कियें. फिर किसी तरह से जानकारी एकत्रित करके गुडगांव दो बार फॉर्म लेने भी गई. मगर वहां नहीं मिलने के स्थिति में रोहतक से फॉर्म लेकर आई और फिर एक दिन अपने पापा के साथ जाकर जमा करवाकर भी आई. 

जानकारी के अभाव में भतीजी और साइबर कैफे की गलती से दाखिले से पहले होने वाली परीक्षा के फॉर्म में नजदीकी राज्य न भरने के कारण कल रोहतक के कालेज (दिल्ली हो या अन्य राज्य के कालेज हो. कोई सही जानकारी नहीं देता है. जब मेरी भतीजी की अंक तालिका पर नजदीकी राज्य का नाम नहीं था तो यदि कालेज जानकारी देता तब मेरी भतीजी तीन हजार का फॉर्म ही नहीं खरीदती और जमा करवाती.बस कालेज वालों को तो अपने फॉर्म बेचने से मतलब है) की कौन्सिलिंग में मेरी भतीजी का नाम तक लिस्ट में नहीं आया था और यात्रा आदि काफी पैसे भी खर्च हुए. मगर कोई लाभ नहीं मिला. 

इससे मेरी भतीजी को बहुत निराशा हुई और आँखें भी भर आई थी. फिर मैंने समझाया कि बेटा हर दिन एक जैसा नहीं होता है. वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता है. हमारा काम केवल प्रयास करना है और हमने प्रयास भी किये और मेहनत भी. जब लोग सत्रह युद्ध हारकर भी अठारहवा युद्ध जीत सकते हैं. तब हम क्यों एक दो प्रयास में अपना हौंसला छोड़ दें. आज नहीं तो कल हमें मंजिल जरुर मिलेगी अपना प्रयास हमें नहीं छोड़ना है. यह मन में दृढ निश्चय कर लो.  

अब देखो एक अब ऑनलाइन कौन्सिलिंग होनी है. क्या पता उसमें उसका नम्बर आ जाये? आप सभी दोस्त अपनी प्यारी और अच्छी-अच्छी प्रेरणादायक टिप्पणियों या चित्रों से मेरी भतीजी का कुछ हौंसला बढाओ. मुझे पूरी उम्मीद है कि आप ऐसा जरुर करेंगे.

दोस्तों, सच बताऊ अपनी भतीजी को तो समझाया दिया मगर मुझे उसके कारण खुद भी बहुत निराशा हो रही थी. मैंने कोई दो-तीन घंटे पहले उपरोक्त(नीचे)लिंक वाले वीडियो देखे/सुने. तब जाकर कल की यात्रा के अनुभव आप तक पहुँचाने की हिम्मत कर पाया हूँ.मैं जब भी थोडा सा निराश होता हूँ किसी के व्यवहार या बात को लेकर तब मैं अक्सर इन लिंकों जरुर सुन लेता हूँ. मुझे तो काफी ऊर्जा मिलती है इसको देखकर/सुनकर. बाकी हर व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. मेरा ऐसा मानना है.

खुशनुमा जीवन जीने की कला के लिंक 

कौन्सिलिंग होने के इंतजार में बैठे छात्र व उनके अभिभावक और रोहतक बस अड्डे के दो चित्र.
 
















1 टिप्पणी:

अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

पहले हमने यह भी लिखा हैRelated Posts Plugin for WordPress, Blogger...
यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

यह हमारी नवीनतम पोस्ट है: