1 जुलाई-2015 : अगर आप सदा स्वयं की दूसरों के साथ तुलना करते रहते हैं तो आप अवश्य ही अहंकार अथवा ईर्ष्या के शिकार हो जायेंगे.
2 जुलाई-2015 : अच्छी पुस्तकें अच्छे साथी की तरह हैं. अश्लील साहित्य हमारे मन को दूषित करता है तथा हमें गलत रास्ते की ओर अग्रसर करता है.
3 जुलाई-2015 : समस्याएं चाहे कैसी भी हों परन्तु इनसे घबराइए मत, बल्कि इन्हें परीक्षा समझकर पास कीजिये.
4 जुलाई-2015 : जीवन को आबाद करना है तो मैं कौन हूँ ? इस पहेली को हल कीजिये. मैं और मेरे-मन के भान से मुक्त हो जाइये.
5 जुलाई-2015 : ज्ञान सबसे धन है. स्वयं से पूछें -"मैं कितना धनवान हूँ?"
6 जुलाई-2015 : यदि आपके मुख से गंदे बोल निकलते हैं तो आपका मन कैसा होगा?
7 जुलाई-2015 : हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हों परन्तु दुनियां हमें हमारे कर्मों के द्वारा पहचानती है.
8 जुलाई-2015 : यदि आप मृत्यु से भयभीत होते हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप जीवन का महत्त्व ही नहीं समझते हैं.
9 जुलाई-2015 : आप अपने अधिकारों के प्रति ही जागरूक न रहें अपितु इस बात का भी ध्यान रखें कि आप सही मार्ग पर हैं या नहीं.
10 जुलाई-2015 :अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से आप में अहंकार आ सकता है परन्तु आध्यामिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी नम्रता आती है.
11 जुलाई-2015 : आप किसी समस्या के बारे में कितनी भी चिंता करें परन्तु क्या आपका चिंतित मन उस समस्या का समाधान कर सकता है ?
12 जुलाई-2015 : समय ही जीवन है. समय को बर्बाद करना अपने जीवन को बर्बाद करने के समान है.
13 जुलाई-2015 : किसी दूसरे व्यक्ति की आलोचना करने से पहले हमें अपने अन्दर झाँक कर देख लेना चाहिए.
14 जुलाई-2015 :लोभ को अभी जीतने का प्रयास करें, क्योंकि "मानव जब बूढ़ा भयो, तृष्णा भई जवान"
15 जुलाई-2015 :जब कोई व्यक्ति परमात्मा को आत्म-समर्पण करता है तो वह अपना मन ईश्वर की ओर लगाकर उसी की श्रीमत को सुनता है तथा उसी के अनुरूप कर्म करता है.
16 जुलाई-2015 : हम सितारों की दूरी तथा समुद्र की गहराई का माप करते हैं परन्तु हम कौन हैं तथा इस संसार में क्यों आये हैं, इस विषय में कितना जानते हैं?
17 जुलाई-2015 :कभी-कभी हम दूसरों को बदलने के लिए बाध्य कर देते हैं, क्योंकि हम चाहते हाँ कि वे वैसे ही बनें, जैसा हम चाहते हैं.
18 जुलाई-2015 : किसी चीज़ को समझने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है किन्तु उसे महसूस करने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है.
19 जुलाई-2015 : एक बार आपको कुछ न करने की आदत पड़ जाये तो आप पायेंगे कि व्यस्त होने के लिए समय ही नहीं बचता है.
20 जुलाई-2015 : दर्पण में आप अपना चेहरा देख सकते हैं, चरित्र नहीं.
21 जुलाई-2015 : हमारे विचारों का स्तर ही हमारी निजी प्रसन्नता का स्तर निर्धारित करता है.
22 जुलाई-2015 : अगर आप अतीत (बीती) को ही याद करते रहेंगे तो वर्तमान में जीना कठिन लगेगा व भविष्य असम्भव प्रतीत होगा.
23 जुलाई-2015 : यदि घर में हिंसा शुरू हो जाएँ तो यह समाज में खून-खराबे जैसा उग्र रूप धारण कर सकती है.
24 जुलाई-2015 : यदि आन्तरिक स्थिति अशांति की होगी तो सभी बाहरी चीजों मिएँ गडबडी मालूम पड़ती हैं.
25 जुलाई-2015 : आपके मुख से उच्चारित सभी शब्दों में से कितने शब्द परमात्मा के प्रति होते हैं?
26 जुलाई-2015 : वर्तमान समय जो कुछ आपके हाथ में है, यदि आप उसको महत्त्व नहीं देते हैं तब जो भविष्य में आपको मिलने वाला है , उसका सम्मान कैसे कर सकेंगे?
27 जुलाई-2015 :कौन-सी चीज़ अधिक महत्त्वपूर्ण है-आपका जीवन स्तर या उचित आदर्शों वाला जीवन?
28 जुलाई-2015 : यदि कोई व्यक्ति नेत्रहीन है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह अंधकार में है.
29 जुलाई-2015 :चरित्र ऐसी वस्तु है जो स्थूल दर्पण में नहीं देखी जा सकती है.
30 जुलाई-2015 :सावधान रहिए-आपकी प्रत्येक अभिव्यक्ति क्रिया की प्रतिक्रिया होती है.
31 जुलाई-2015 : श्रेष्ठ स्मृतियों का स्विच आपके हाथ में हो तो जीवन आनन्दमय बन जायेगा.
ओवरसीज़ व हेल्थ मेडिक्लेम और गाड़ियों (1st पार्टी व 3rd पार्टी) के इंश्योरेस और भारत के सभी समाचार पत्रों / पत्रिकाओ में विज्ञापन बुकिंग हेतु : निष्पक्ष, निडर, आज़ाद विचार, अपराध विरोधी, स्वतंत्र पत्रकार, कवि और लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक (प्रधान संपादक-जीवन का लक्ष्य, शकुन्तला टाइम्स, उत्तम बाज़ार) पूर्व प्रत्याशी-उत्तमनगर विधानसभा 2008 व 2013 और दिल्ली नगर निगम 2007 व 2012 (वार्ड नं. 127 व 128) चुनाव चिन्ह-कैमरा # सम्पर्क सूत्र : 9910350461, 9868262751, 011-28563826 ईमेल: sirfiraa@gmail.com सोशल आई डी : www.facebook.com/sirfiraa, www.twitter.com/Nirbhik20 मेरे ब्लॉग :-www.rksirfiraa.blogspot.in, www.shakuntalapress.blogspot.in ऑफिस का पता : A-34-A, शीशराम पार्क, सामने-शिव मन्दिर, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059.
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