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शनिवार, अगस्त 29, 2015

हमारे जीवन का दर्शन ( सितम्बर -2015 )

1 सितम्बर 2015 :मान-शान की इच्छा से दिये गए लाख रूपये की तुलना में प्रेम व ईमानदारी से दान किये गए मुट्ठी भर चावल का अधिक महत्व है.

2 सितम्बर 2015 : यदि आप हिम्मत का पहला कदम आगे बढायेगे तब परमात्मा की सम्पूर्ण मदद मिल जायेगी.

3 सितम्बर 2015 : मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है. इसलिए सदा मुस्कराते रहो.

4 सितम्बर 2015 : क्या मेरे विचारों का स्तर ऐसा है कि मैं परमात्मा का बच्चा कहलाने का अधिकारी हूँ.
5 सितम्बर 2015 : स्वयं में दैवी गुणों का आह्वान करो तो अवगुण भाग जायेंगे.

6 सितम्बर 2015 : एक अच्छा, स्वच्छ मन वाला व्यक्ति दूसरों की विशेषताओं को देखता है. दूषित मन वाला व्यक्ति दूसरों में बुराई ही तलाशता है.

7 सितम्बर 2015 : जो संकल्प करो उसे बीच-बीच में दृढ़ता का ठप्पा लगाओ तब विजयी बन जायेंगे.

8 सितम्बर 2015 : जितना आप दूसरों में अवगुण देखेंगे, उतना ही आप पर अवगुणों का असर पड़ेगा, इसलिए गुणग्राही बनो.

9 सितम्बर 2015 : सहनशील बनो, सहनशीलता कायरता नहीं, वीरता है.

10 सितम्बर 2015 : स्वयं को सिद्ध करने का प्रयास क्यों किया जाये? आपकी निर्दोषिता से दूसरे लोग स्वत: ही समझ जायेंगे.

11 सितम्बर 2015 : दूसरों को सहयोग देना ही उन्हेया अपना सहयोगी बनाना है.

12 सितम्बर 2015 : धैर्यता, विश्वास और सहनशीलता ही सफलता की कुँजी है.

13 सितम्बर 2015 : नम्र बनो तो लोग नमन करते हुए सहयोग देंगे. 

14 सितम्बर 2015 : यह सत्य है कि "सत्य का अस्तित्व" है, सत्यता की महानता आपको महान बना देंगी.

15 सितम्बर 2015 : सदा प्रसन्न रहने के लिए प्रशंसा की इच्छा का त्याग करना आवश्यक है. 

16 सितम्बर 2015 :पवित्र प्रेम शाश्वत सम्बन्धों का आधार है. शिष्ट व्यवहार शालीनता से भरा होता है, जबकि दूषित व्यवहार अकीर्तिकार होता है. 

17 सितम्बर 2015 : अपने संकल्प, बोल और कर्म द्वारा सुख देने से सुख के देवता बन जायेंगे. 
18 सितम्बर 2015 : स्वयं की खोज के लिए स्वयं के प्रति सच्चा बनना होगा. 

19 सितम्बर 2015 : हमें सरल होना चाहिए, परन्तु मूर्ख नहीं. अपना सद-विवेक आपका अच्छा मित्र है, इसकी बात प्राय: सुनिये. 

20 सितम्बर 2015 : भगवान की इच्छाओं को पूर्ण करने से हमारी इच्छाएं स्वत: ही पूरी हो जाती है. 

21 सितम्बर 2015 : भगवान का बच्चा होने का अर्थ है कि उनकी विशेषताओं को स्वयं में प्रत्यक्ष करना.  
22 सितम्बर 2015 : यदि आप गलती करके स्वयं को सही सिद्ध करने का प्रयास करते हैं तब समय आपकी मूर्खता पर हंसा करेगा. 

23 सितम्बर 2015 : यदि आप अपने मन के संशयों को दूर नहीं करते तब मानों आप कैंसर की बीमारी को बढ़ने डे रहे हैं. 
24 सितम्बर 2015 :बीती बातों को भूलकर, बीती बातों से शिक्षा लेकर आगे के लिए सावधान रहिये.  
25 सितम्बर 2015 : अपने सहज स्वाभाविक स्वरूप में रहिए, यह कुछ और होने का स्वांग करने से कहीं अधिक अच्छा है. 

26 सितम्बर 2015 : यदि आपके संकल्प शुद्ध हैं तब जो आप सोचते हैं, वह कहना तथा जो आप कहते हैं वह करना सरल हो जाता है. 

27 सितम्बर 2015 : यदि आप हमेशा ऊँची दृष्टि रखते हैं तब आपका मस्तक स्वत: ऊँचा रहेगा. 

28 सितम्बर 2015 : सरलता में महान सौन्दर्य होता है. जो सरल है, वह सत्य के समीप है.
29 सितम्बर 2015 : चाहे कोई आपकी निंदा या अपमान करता है फिर भी उस पर मुस्कान व शुभकामनाओं के पुष्पों की वर्षा करें. 

30 सितम्बर 2015 : यदि कोई आपसे नाराज है और आपको बुरा-भला कह रहा है तब उस समय उत्तेजित होने के बजाय धैर्यता से काम लें. 



नोट : तस्‍वीरों का इस्‍तेमाल सिर्फ प्रस्‍तुतिकरण के लिए किया गया है। फोटो-गूगल+फेसबुक साभार.
ओवरसीज़ व हेल्थ मेडिक्लेम और गाड़ियों (1st पार्टी व 3rd पार्टी) के इंश्योरेस और भारत के सभी समाचार पत्रों / पत्रिकाओ में विज्ञापन बुकिंग हेतु : निष्पक्ष, निडर, आज़ाद विचार, अपराध विरोधी, स्वतंत्र पत्रकार, कवि और लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक (प्रधान संपादक-जीवन का लक्ष्य, शकुन्तला टाइम्स, उत्तम बाज़ार) पूर्व प्रत्याशी-उत्तमनगर विधानसभा 2008 व 2013 और दिल्ली नगर निगम 2007 व 2012 (वार्ड नं. 127 व 128) चुनाव चिन्ह-कैमरा 
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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