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शुक्रवार, जनवरी 27, 2012

अनमोल वचन-आठ

1. हर इंसान में कुछ ख़ूबियां होती हैं – बस कुछ लोग अपने अंदर नहीं झांकते 2. कभी भी बहाने न बनाएं. आपके मित्रों को उनकी आवश्‍यकता नहीं है और आपके शत्रु उन पर विश्वास नहीं करेंगे.3.उत्साह खोए बिना एक विफलता से दूसरी की ओर जाने की क्षमता ही सफलता है 4. जो आपके करीब है उन्हें खुश रखें, और जो आपसे दूर हैं वो एक दिन ज़रूर आपके क़रीब आएंगे 5. अच्‍छी पुस्‍तकें, अच्‍छे मित्रों के समान हैं, ये बहुत कम और चुनी हुईं होती हैं; जितना अधिक चयन, उतनी ही अधिक मज़ेदार 6.व्यक्ति को जीवित रहने के लिए साफ छवि की आवश्यकता होती है 7. अच्छा श्रोता केवल लोकप्रिय ही नहीं होता, बल्कि वह कुछ समय बाद कुछ जानने भी लगता है 8. जब लोग बातें करते हैं तो उन्हें ध्यान से सुनें. बहुत से लोग कभी नहीं सुनते.9. आवश्‍यकता आविष्‍कार की जननी है. 10. अधिक उम्र में शिक्षा सबसे अच्छा प्रावधान है. 11.अच्छा श्रोता केवल लोकप्रिय ही नहीं होता, बल्कि वह कुछ समय बाद कुछ जानने भी लगता है 12. दूसरो की गलतियों को उसी रूप में देखें जैसे आप अपनी गलतियों को देखते हैं 13.पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 14. अपने स्रोत को किस तरह छुपाएं ये जानना ही रचनात्मकता का राज़ है. 15. समझदारी दो तरफा मार्ग है 16. केवल अकुशल व्यक्ति ही गलत तरीके अपनाते हैं. 17. प्रयास करने वाले पर ही विश्वास करें. 18. नए मित्र बनाने के लिए सही समय है 17.यदि आप दूसरों को खुश देखना चाहते हैं, तो दयालु बनें. यदि आप खुश रहना चाहते हैं, तो दयालु बनें 18. आज किसी के लिए कोई अच्छा कार्य करके देखें 19. सफलता का मतलब अंत नहीं होता है, विफलता भी घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है. 20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. 21 भलाई का कोई भी काम बेकार नहीं जाता, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो 22.महान कार्य करने के लिए आत्म-विश्वास सबसे पहली आवश्यकता है 23. हम जैसा सोचते हैं, हम वैसे हो जाते हैं (पर कृपया खुद को सुपरहीरो न समझें और उड़ने का प्रयास न करें) 24. यदि आप कभी भी डरते नहीं, या असहज नहीं होते, या चोट नहीं खाते, तो इसका अर्थ है कि आप कभी भी प्रयास ही नहीं करते 25. कल के जीवन में बहुत समय है. आज में जीएं 26. शायद मैं वहां नहीं गया, जहां मैं जाना चाहता था, लेकिन मुझे लगता है कि मैने वहां समाप्त किया है जहां मुझे करना चाहिए था. 27. प्रयास करने वाले पर ही विश्वास करें 28. पुराने कामों को पूरा करने का अच्छा समय है 29. ख़ून के बदले ख़ून की प्रवृति सारे विश्व का विनाश कर देती है 30.प्रयास करें और विफल हों, परंतु प्रयास करने में कभी विफल न हों 31. भविष्य उन लोगों का होता है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास करते हैं 32. नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है 33.पढ़ें ऐसे जैसे आप हमेशा जीवित रहना चाहते हैं. जिएं ऐसे जैसे आप कल ही मरने वाले है. 34.जैसा अन्न, वैसा मन. 35. आज ख़ुशी बांटने का एक बेहतरीन दिन है 36. अंहकार ही पतन का कारण है 37.मित्र वही होता है जो आपको बेहतर तरीके से जानता है और आपसे उतना ही प्यार करता है 38. यदि बर्बाद नहीं करेंगे, तो आपके पास कमी भी नहीं होगी. 39. जीवन का सबसे अधिक आनंद उस कार्य को करने में है जिसे लोग कहते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं 40. कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 41. खुद के प्रति ईमानदार रहें 42. महसूस करने वालों के लिए ये दुनिया एक त्रासदी है, लेकिन सोचने वालों के लिए एक आनंद 43. कमज़ोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं करता. क्षमा करना महान व्यक्ति की विशेषता होती है 44.ज़िंदगी दुश्‍मनी निभाने या कमियां ढूंढने के लिए बहुत छोटी है. 45. पुस्तक ज्ञान का भंडार होती है 46. आप जीवन को अनदेखा कर शांति नहीं पा सकते. 46.यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 47. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 48. महान कार्य करने के लिए हमें सपने देखने के साथ-साथ कार्य भी करना होता है 49. जो पसंद हो वह करो और जो करो उसे पसंद करो.50. यदि बाकी सब कुछ विफल हो जाता है, तो स्वाभाविक को आजमाएं. लड़ाई के लिए भी दो लोगों का होना जरूरी है. 51. यदि आप किसी को नहीं बताना चाहते हैं, तो इसे न करें 52. मैं अकेले दुनिया नहीं बदल सकती, लेकिन मैं पानी में पत्‍थर फेंककर उसमें कई लहरें बना सकती हूं. 53. आप जीवन को अनदेखा कर शांति नहीं पा सकते. 54. जो प्रश्न पूछता है, वह केवल पांच मिनटों के लिए मूर्ख साबित होता है, लेकिन जो नहीं पूछता, वह हमेशा मूर्ख ही बना रहता है 55. जीत के लिए प्रतिभा आवश्यक है, और उसे दोहराने के लिए चरित्र. 56.देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है 56. सनकी वह है, जो अपने विचार बदल नहीं सकता और विषय को बदलेगा नहीं. 57.प्यार सभी को जीत लेता है 58. यदि आप प्यार पाना चाहते है, तो प्यार करने योग्य बनें. कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 60. निराशावाद से कभी कोई युद्ध नहीं जीत सकता 61. एक हाथ से ताली नहीं बजती. 62. पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 63. अपने काम में ख़ुशी तलाशने का प्रयत्न करें अन्यथा आप कभी नहीं जान पाएंगे कि ख़ुशी क्या होती है. 64. कार्य स्वयं आपको बताता है कि इसे कैसे किया जाए 65. आज आप किसी ऐसे व्यक्ति को स्क्रैप क्यों नहीं करते, जिससे आपने वर्षों से बात नहीं की है? 66. उत्साह खोए बिना एक विफलता से दूसरी की ओर जाने की क्षमता ही सफलता है. 67. धैर्य आशा करने की ही एक कला है 68. आपको वही कार्य करना चाहिए जो आपको अपने लिए असंभव लगता है. 69. अशिक्षित व्यक्ति को इस दुनिया में जानवर के समान समझा जाता है 70. दृश्य धोखा देता है, जबकि शब्‍द बयान कर देते हैं.71. एक हाथ से ताली नहीं बजती. 72. देखें आप क्या कहते हैं – जो कुछ भी नहीं कहते, उनमें से कुछ ख़ामोश हैं 73. बिना गुण की सुंदरता बिना सुगंध के गुलाब की तरह है 74. मूर्ख और पागल हमेशा अपने बारे में सुनिश्चित होते हैं, जबकि समझदार संशयग्रस्‍त होते हैं 75. ज्ञान ऐसा ख़ज़ाना होता है जो अपने स्वामी के साथ हमेशा रहता है 76. कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को हतोत्साहित न करें जो लगातार प्रगति कर रहा हो, भले ही उसकी गति कितनी ही धीमी क्यों न हो. 77. उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 78. विरोध के बदले शांति अनुभव करना चुनें 79. आपको वही कार्य करना चाहिए जो आपको अपने लिए असंभव लगता है. 80. कलम तलवार से अधिक ताकतवर होती है. 81. ज्ञान ऐसा ख़ज़ाना होता है जो अपने स्वामी के साथ हमेशा रहता है 82. स्वयं को किसी प्रतिभा या अन्य तरीके से विलक्षण बनाएं 83. हमेशा सही काम करें और किसी से न डरें 84. जब-जब भी आप किसी को देखकर मुस्‍कुराते हैं, तो वह प्रेम की क्रिया है, वह उस व्‍यक्ति के लिए उपहार है, एक सुंदर वस्‍तु है. 85. भविष्य का पूर्वानुमान करने का सबसे अच्छा तरीका उसे बनाना है 86. साधारण होना ही महान होना है 87. आज पुराने मित्र को संदेश भेजें 88. हठ वास्‍तविकता बन जाता है. 89. जो आपके करीब है उन्हें खुश रखें, और जो आपसे दूर हैं वो एक दिन ज़रूर आपके क़रीब आएंगे 90.अच्छा श्रोता केवल लोकप्रिय ही नहीं होता, बल्कि वह कुछ समय बाद कुछ जानने भी लगता है 91. जब लोहा गरम हो, तो चोट करो. 92. केवल कम स्मृति वाले व्‍यक्ति ही अपनी मौलिकता पर ज़ोर देते हैं 93. क्षमा करो और भूल जाओ. 94. काव्‍य एक प्रतिध्‍वनि है, जो साये को भी नाचने के लिए प्रेरित करता है 95. साधारण होना ही महान होना है  96. एक समझदार मौन किसी वक्तव्य से अधिक अर्थपूर्ण होता है 97. जो पक्षी पहले आता है वह कीट को पकड़ लेता है. लेकिन दूसरे चूहे को ही मक्खन मिलता है. 98.अचानक आया तुफ़ान, जल्द ही थम जाता है.99. मजाक में भी कई सच्‍ची बातें निकल आती है. 100. भलाई का कोई भी काम बेकार नहीं जाता, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो 101. सादगी ही सर्वश्रेष्ठ दुनियादारी है 102.स्वयं को किसी की ज़रूरत बनाएं 103. गुणवत्ता से समझौता न करें. 104. जो पक्षी पहले आता है वह कीट को पकड़ लेता है. लेकिन दूसरे चूहे को ही मक्खन मिलता है.105. देखें आप क्या कहते हैं – जो कुछ भी नहीं कहते, उनमें से कुछ ख़ामोश हैं 106. अपने आप को जोखिम में न डालें. वह सब कुछ, जो आपके पास है, वह आप स्वयं हैं 107.हंसी मज़ाक सभी बातों को सहनीय बना देता है 108. मौका मिले तो चूको मत. 109. जब आप मज़ा कर रहे होते हैं तो समय तेजी से गुज़रता है. 110. जब लोग बातें करते हैं तो उन्हें ध्यान से सुनें. बहुत से लोग कभी नहीं सुनते 111. कार्य करने से परिणाम मिलता है, सिर्फ बोलने से कुछ हासिल नहीं होता 112. आप अतीत को ध्यान में रखकर अपने भविष्य की योजना नहीं बना सकते 113. जैसा अन्न, वैसा मन 114.  सफलता का मतलब अंत नहीं होता है, विफलता भी घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है 115. यदि बाकी सब कुछ विफल हो जाता है, तो स्वाभाविक को आजमाएं. लड़ाई के लिए भी दो लोगों का होना जरूरी है. 116. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं. 117. महान कार्य करने के लिए आत्म-विश्वास सबसे पहली आवश्यकता है 118. यदि आपका जीवन आपको खुशी नहीं देता, तो अपने नए जीवन की रचना करें. 119. हर पीढ़ी स्वयं की कल्पना अपने से पिछली पीढ़ी से अधिक बुद्धिमान और अपनी अगली पीढ़ी से अधिक समझदार के रूप में करती है 120. पढ़ें ऐसे जैसे आप हमेशा जीवित रहना चाहते हैं. जिएं ऐसे जैसे आप कल ही मरने वाले है 121. मूर्ख और पागल हमेशा अपने बारे में सुनिश्चित होते हैं, जबकि समझदार संशयग्रस्त होते हैं 122. जिंदगी एक किताब की तरह है: महत्‍व इस बात का है कि वह कितनी अच्‍छी है, इसका नहीं कि वह कितनी लंबी है 123. खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद को दूसरों की सेवा में समर्पित कर दें 124.महान कार्य करने के लिए आत्म-विश्वास सबसे पहली आवश्यकता है 125.ज्ञान ही एकमात्र अच्छाई है, और अज्ञानता एकमात्र बुराई 126.धैर्य एक सदाचार है. 127. देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है 128.निराशावाद से कभी कोई युद्ध नहीं जीत सकता129. समय पर पहल करने से ही सफलता मिलती है. 130.सबसे साहसिक कार्य अब भी स्वयं के बारे में विचार करना ही है. गंभीरतापूर्वक. 131.हमारी कमज़ोरियां ही हमारी क्षमता बढ़ाती है. 132.थोड़ी सी चूक से बड़ी हानि होती है 133.  परिवर्तन जीवन का नियम है 134. एक समझदार मौन किसी वक्तव्य से अधिक अर्थपूर्ण होता है. 134. महान आत्‍माओं को हमेशा ही मध्यम स्तर की सोच वालों से हिंसक विरोध का सामना करना पड़ा है. 135. आप भला तो जग भला 136. आज किसी के लिए कोई अच्छा कार्य करके देखें 137. आज से कोई किताब पढ़ना आरंभ करें 138. महान कार्य करने के लिए हमें सपने देखने के साथ-साथ कार्य भी करना होता है 139. उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है  140. कमजोर कभी माफ नहीं कर सकता. माफी तो ताकतवर का गुण है 140. आज कुछ नया सीखने का प्रयत्न करें 141. कलम तलवार से अधिक ताकतवर होती है. 142. भविष्य उन लोगों का होता है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास करते हैं. 143. पुराने कामों को पूरा करने का अच्छा समय है 144. उत्साह खोए बिना एक विफलता से दूसरी की ओर जाने की क्षमता ही सफलता है 145. कमजोर कभी माफ नहीं कर सकता. माफी तो ताकतवर का गुण है 146. उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 147. जीवन का उद्देश्य जीने में निहित है, और जिज्ञासा को जीवित रखा जाना चाहिए. व्‍यक्ति को कभी भी, किसी भी कारण से, जीवन से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. 148. कार्य करने से परिणाम मिलता है, सिर्फ बोलने से कुछ हासिल नहीं होता 149. भविष्य उन लोगों का होता है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास करते हैं. 150.मुफ्त में कुछ नहीं मिलता 151.  सहयोग से कार्य आसान हो जाता है. 152. आप अतीत को ध्यान में रखकर अपने भविष्य की योजना नहीं बना सकते

रविवार, जनवरी 15, 2012

दोस्ती को स्वीकार करों या इंकार करों

भेजा है निमंत्रण दोस्ती का स्वीकार करों या इंकार करों

प्रिय दोस्तों, सदा खुश रहो!
 जय जिनेन्द्र दोस्तों, भेजा है निमंत्रण दोस्ती का स्वीकार करों या इंकार करों क्या यह तुम्हारे काबिल भी है. मेरा यह खाता कहूँ या प्रोफाइल फेसबुक की भीड़ में कहीं खो गई थी. असल में हुआ यह मुझे अंग्रेजी का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है.  एक दिन अखबार पढते हुए इन्टरनेट पर किसी फेसबुक सोशल वेबसाइट का जिक्र किया हुआ.  उस समाचार को पढकर पता चला. यहाँ पर लोगों बिछड़े हुए यार भी मिल जाते हैं और किसी को प्यार मिलता है.  कोई प्यार जैसे पवित्र रिश्ते को इसकी आड़ लेकर तार-तार भी कर देता है.  मैंने फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल बनाने का खूबसूरत-सा पंगा ले तो लिया.  मगर सात-आठ घंटे खूब माथा-खपची करके कुछ नहीं कर पाया. क्योंकि हम अनाड़ी और आप खिलाडी. हम इसकी कुछ भी सेटिंग करते, हो कुछ जाता था.  आखिर थक-हारकर हम फेसबुक पर बिछड़े हुए यारों और रिश्तेदारों को तलाशने की कार्यवाही को "मेरे सपनों की रानी" कब आएगी?  जैसी एक दुल्हन समझकर, एक बुरा ख्याब की तरह भूल गए.
       इन्टरनेट की दुनिया से यह अनजान आपका दोस्त, भाई, चाचा, मामा अपनी ही पत्रकारिता की दुनिया में कागज पर कलम को घिसते-घिसते कब बाहर की दुनिया से कट गया खबर ही नहीं हुई.  अप्रैल 2011में एक हमारा दोस्त फेसबुक पर कुछ करने में लगा हुआ था.  हम इस फेसबुक के पीड़ित ने अपनी पीड़ा को उसके सामने ऐसा रखा. अगर तुम हमें ई ससुरी, फेसबुकवा के बारे में नहीं बतओंगे तो हमारा सारा सपना चूर-चूर हो जाएगा.  अब हम तो अनाड़ी और वो थें खिलाडी. एक फिर हमने उनको उनके घर जाकर अपना दुखड़ा रोना शुरू कर दिया. जनाब उनको हम पर रहम आया और हमारे घर आकर हमारा भी फेसबुक पर खाता खोल दिया.
     एक-दो बाते बता दी और चल दिए हमें हमारे कम्प्युटर के साथ तन्हा छोड़कर.  अब हम थें और हमारे तन्हाई का साथी कम्प्युटर था.  मगर आँखों में अपने बिछड़े दोस्तों और रिश्तेदारों को तलाश करने का सपना था.  मगर हमें कुछ नहीं मिला तब इस अंधे के हाथ एक दिन बटेर हाथ लग गई. यानि एक जगह हिंदी लिखा मिला उसको सलेक्ट करा और पता-पता कहाँ-कहाँ पर क्लिक किया.  फिर तो ऐसा हुआ जैसे किसी के हाथ अलादीन का चिराग हाथ लग जाता है. हम हिंदी को पढ़-पढकर बहुत से खाली बक्सों में कुछ भरने लगे.  कभी-कहीं कभी कहीं किल्क करते रहे.
     एक दिन देखा कि हमारी प्रोफाइल में हमारे द्वारा लिखी सब उलटी-सीधी बातें दिख रही है.  फिर तो मानों मुझे पंख ही लग गए.  मगर ख्याब अब भी अधूरा था.  बस उसका प्रयोग अपनी पत्रकारिता में करने लग गए.  अपनी आठ-दस दिन से मेरी बड़ी भतीजी ने मेरे पास आकर थोड़ी देर बैठती और हम अनाड़ी उसकी मदद लेकर फेसबुक की नई से नई चीजों को सिखने लग गए.  अब हमने सोचा जब रिश्तेदार नहीं मिल रहे हैं तब कुछ अनजान लोगों को ही दोस्त क्यों नहीं बना लिया जाए. लेकिन हमे यह नहीं पता था कितनों को दोस्त बनाने के लिए आवेदन करना है. एक के बाद एक हमने सौ से भी ज्यादा लोगों दोस्ती करने का निमत्रण पत्र भेज दिया. एक फेसबुक पर से सूचना भी आई.मगर ससुरी अंग्रेजी में होने के कारण सिर के ऊपर से निकल गई.
      उस सूचना ने अगले दिन अपना प्रभाव दिखा दिया.  हमारे हाथ और माउस को बौना बना दिया, क्योकि कुछ दोस्त बन गए थें लेकिन आगे किसी को दोस्ती का निमंत्रण नहीं जा रहा था. एक दो दिन पहले अपनी भतीजी के खाते से कई पुराने दोस्तों का नाम डालकर दिखवाया.  हम क्या देखते यह सब रिश्तेदार और दोस्त सब फेसबुक पर बैठे है.  कोई शादी की फोटो लगा रखा तो कोई किसी कार्टून का फोटो के पीछे छुपा बैठा है. मगर अफ़सोस हुआ जब तलाश किया तब नहीं मिले. अब मिले तो हम इनको दोस्ती का निमंत्रण नहीं भेज सकते है. इसलिए उस प्रोफाइल को केवल पत्रकारिता के लिए प्रयोग करने का सोचकर इस प्रोफाइल के बारे में सोच-विचार करने लग गए.  तब आज एक पुरानी डायरी में इस प्रोफाइल का ईमेल आई.डी और पासवर्ड लिखा मिला.  तब जुड गए क्योंकि कुछ समय में हम थोड़े से खिलाडी जो बन गए थें.  अब इस में थोड़ा-बहुत लिख दिया है. बाकी धीरे-धीरे लिखता रहूँगा.
       अच्छा दोस्तों/रिश्तेदारों मैंने अपनी दोस्ती का निमंत्रण पत्र भेजने की जिम्मेदारी निभा दी है.  अब आपकी मर्जी मेरी दोस्ती का प्रस्ताव स्वीकार करों या इंकार करो. मेरी "सपनों की रानी " को दुल्हन बनों या इसको भगा दो. यह सब आपके हाथ में....है. मेरा ख्याब तो पूरा हो गया जो आपको तलाशने का था.  भेजा है निमंत्रण दोस्ती का स्वीकार करों या इंकार करों- क्या यह (रमेश) तुम्हारे काबिल भी है  मगर यह जरुर बताओ.  अच्छा तो हम चलते हैं, फिर मिलेंगे जब तुम याद करोंगे.......
-----आपका मानो तो दोस्त/भाई/मामा/चाचा आदि नहीं तो मैं रमेश कुमार जैन तो हूँ ही.



दोस्तों, मेरा फेसबुक का एक अनुभव देख लो. जब मैंने कुछ अपने रिश्तेदारों फेसबुक पर ढूंढा और उनको दोस्ती का निमंत्रण भेजा. तब उन्होंने ठुकरा दिया. कुछ चाहते थें कि मैं नियमों की अनदेखी करके अपनी प्रेस कार्ड दे दूँ. मगर मैंने उनको जारी नहीं किए. जिन्हें "पत्रकारिता" शब्द का सही अर्थ नहीं मालूम उनको कैसे "प्रेस कार्ड" जारी कर देता. आज भी मेरी प्रोफाइल में एक-आध अपवाद छोड़ दें तो कोई मेरा रिश्तेदार नहीं है. अगर एक-आध है भी तो उसकी कभी प्रतिक्रिया नहीं मिली. एक गाना भी है कि "अपने गिरते है नशे दिल पर बिजलियाँ और गैरों ने आकर फिर भी थाम लिया" आज मेरे अनेकों दोस्त बने हुए. जिनसे मेरा कोई रिश्ता नहीं है. मगर एक "इंसानियत" का रिश्ता है. जो सब से बड़ा रिश्ता है
          दोस्तों, आप विश्वास करना हम ने किसी दोस्त से दगा नहीं की. मगर हमारे दोस्तों ने अनेकों बार दगा दी. हमारे तो दोस्त और अपने ही दुश्मन बन खड़े है. हमें गैरों ने आकर फिर भी थाम लिया है. वरना अपनों ने तो हमें कागज काले करने वाला एक निकम्मा और चोर व्यक्ति कहकर सरे-बाजार में बदनाम तक कर दिया है. फेसबुक पर आई टिप्पणी और गीतों से सजे इस नोट को पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें.  

शुक्रवार, जनवरी 13, 2012

भगवान महावीर स्वामी जी का संदेश:-जियो और जीने

 ब्लोग्गर परिचय-शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन:-
जय जिनेन्द्र दोस्तों, आज बाजारवाद की अंधी दौड़ ने समाज और जीवन के हर क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले लिया है.खासकर पत्रकारिता सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुई है। स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रही है। यह चिंता का विषय है। आज पूंजीवादी मीडिया के समक्ष वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्‍त हो। इन्टरनेट जगत में "शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन" अपने ब्लोगों के माध्यम से इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।

जय जिनेन्द्र!!! अगर आप "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ब्लॉग पर "योगदानकर्त्ता" के रूप में जुड़ना चाहते हैं. तब आप हमें उपरोक्त ईमेल rksirfiraa@gmail.com पर लिखकर भेजें. सभी जैन बंधुओं! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. पत्रकार रमेश कुमार जैन:-09910350461

भगवान महावीर स्वामी जी का सच्चा संदेश पूरे विश्व में फैले और जैन समाज व देश में कुछ फैली कुरीतियों पर रोक लगे.जिससे संपूर्ण संसार जगत में द्वेष भावना खत्म होकर प्यार-प्रेम और भाईचारा कायम हो."जैन" कोई जाति नहीं, धर्म है.जैन-धर्म के सिध्दांतों में जो दृढ विश्वास रखता है और उनके अनुसार आचरण करता है, वही सच्चा जैन कहलाता है.इसको कोई भी अपनी स्वेच्छा से अपना सकता है.भगवान महावीर स्वामी जी का सच्चा संदेश जानने हेतु मेरे ब्लॉग "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी"  http://tirthnkarmahavir.blogspot.com को देखें. अपने विचार और बहुमूल्य सुझाव भेजें. सभी जैन मित्र अपने अन्य मित्रों के पास संदेश भेजें.

तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ब्लॉग पर लेख और अन्य सामग्री भेजे:-प्रकाशन कार्यालय:-A-34-A,शीश राम पार्क, सामने-शिव मंदिर, उत्तम नगर, नई दिल्ली-59 या फिर सीधे rksirfiraa@gmail.com पर हमें लिख भेजें। पाठकों से निवेदन:-सुधी लेखकों से निवदेन है अपनी रचनाएं यूनिकोड (मंगल) फोंट में भेजें और साथ ही संबंधित तस्‍वीर भी हमें भेजेंगे तो उसे प्रकाशित करने में सुविधा होगी। लेखों के त्‍वरित प्रकाशन के लिए हमें आप SMS के जरिए तत्‍काल सूचना दे सकते हैं : 09868566374 या ईमेल करें (sirfiraa@gmail.com)

.... जैन!आपको एक ईमेल आई होगी या आएगी. उसको ओके करते ही आप तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ब्लॉग http://tirthnkarmahavir.blogspot.com से जुड़ जायेंगे. उपरोक्त तीर्थंकर महावीर स्वामी जी समुदाय में आप स्वयं भी शामिल हो और दूसरों को भी शामिल होने के लिए प्रेरित करें.

आप सभी जैन मित्र "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ब्लॉग से जुड़े और अपने मित्रों को भी जोड़े. फेसबुक https://www.facebook.com/groups/mahavirswamiji/ और ऑरकुट http://www.orkut.co.in/Main#Community?rl=cpp&cmm=115919805 पर बने ग्रुप में भी अपने मित्रों को शामिल करें और होने के लिए कहें.अगर आप इस ग्रुप से जुड चुके हैं. तब अपनी फेसबुक की प्रोफाइल में जितने भी जैन मित्र हो उनको 'होम' पेज पर जाकर बांये लिखे "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" पर क्लिक करके दांये देखें.वहाँ पर पहले सबको देख लें. फिर उसके नीचे "मित्रों को समूह में जोड़े" पर क्लिक करके सभी उन मित्रों को शामिल कर दें, जिन्हें आप उचित मानते हो.

आप इस में लेखक कहूँ या प्रेस रिपोर्टर(पत्रकार) के रूप में भी "योगदानकर्त्ता" बन सकते हैं.अब बात करते हैं ऑरकुट की यहाँ अगर आपको "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ग्रुप से जुड़ने में परेशानी हो रही हो तो आप पहले मुझे "रमेशकुमारसिरफिरा" या "रमेश कुमार जैन" (यहाँ से कॉपी करें) सर्च करें. फिर मेरी प्रोफाइल में जाकर "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ग्रुप को सलेक्ट करें और ज्वाइन कर लें.जय जिनेन्द्र! आप सभी जैन मित्र "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ब्लॉग एक बार जरुर देखें

मेरा आप सभी देशवासियों से यहीं कहना है कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा.फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा कार्य(कर्म) करो, तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण ही तुम्हें सारी दुनियां हमेशा याद रखे और इंसानियत की आवाज सुनो, इंसानियत वाले कर्म करो, इंसानियत का जज्बा पैदा करो, इंसानियत के लिए मर जाओ, मौत कल भी आनी है फिर क्यों नहीं आज ही इंसानियत के लिए अपना मिटटी शारीर का बलिदान कर दो और अपनी आत्मा को पवित्र बना लो.

महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का पहला धर्म है अपने राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का सम्मान करना. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.


गुरुवार, जनवरी 05, 2012

दोस्त के नाम पर कलंक है सिरफिरा

म दोस्त के नाम पर कलंक है. चलो कुछ तो है. हम तो खुद को किसी काबिल समझते ही नहीं थें. आज फख्र हो रहा है कि हम कलंक के काबिल तो है.
लो दोस्तों ! मैं आपको पहले ही कहता था कि मैं अनपढ़ और गंवार/ सिरफिरा इंसान किसी भी काबिल नहीं हूँ. मगर आप अपने प्यार और स्नेह से मुझे खजूर के पेड़ पर चढाते रहे. हम आप सब अनेकों बार कहते रहे कि आप तुच्छ इंसान को तुच्छ ही रहने दो. हमें खजूर के पेड़ पर मत चढाओं. हममें भी अनेकों अवगुण है. हम भी गलतियों के पुतले है. हमसे भी गलतियाँ होती है. मगर आप तो हमारी चापलूसी करते थें शायद.  फेसबुक के प्रयोगकर्त्ता हमारे इस लिंक (जरा देखें-http://www.facebook.com/note.php?note_id=271490346234943)पर टिप्पणी की है. श्री गोपाल झा जी (http://facebook.com/gopaljha73) तो यह कहते हैं कि "सिरफिरा जी आप काफी घमंडी है और इतना घंमड ठीक नहीं होता है दोस्ती के लिये आप दोस्त के नाम पर कलंक है. आप लोग को भ्रमित करते है. जिनका स्वयं (Gopal के बारे में) के बारें में कहना है कि-निगान्हे निगाहों से मिला कर तो देखो,हम से रिश्ता बना कर तो देखो. अपनी प्रशंसा मैं स्वयं कैसे करूँ ? निन्दा करना मुझे आता नहीं. अब बताए कौन सही कह रहा है और कौन झूठ कह रहा है. इसका फैसला कैसे करूँ ? कुछ मुझे रास्ता दिखाए आप सभी.
         दोस्तों, मुझे तो लगता है कि मुझे अपना बहुत बड़ा आलोचक मिल गया. आपकी क्या राय है ? अब देखिये आलोचक द्वारा कुछ देने पर समर्थकों का भटकना स्वाभाविक है. जैसे-सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ "जन लोकपाल" कानून बनाने की नीयत अच्छी ना होने के श्री अन्ना हजारे के ब्यान पर सरकार के मंत्रियों ने भटकना शुरू कर दिया. कुछ बुध्दिजीवी वर्ग के नेता तो असभ्य और सभ्य भाषा में फर्क तक भूलकर लगे आरोप लगाने अन्ना टीम पर. इसलिए दोस्तों अपनी बात कहते हुए सयम रखना. लोगों को भी पता चले कि सिरफिरा के दोस्त सभ्य भाषा में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना जानते है.  आप मेरे एक नौजवान(इनकी उम्र कम और थोडा जवानी का जोश भी है) मित्र ने ऑनलाइन वार्तालाप में गलती कर दी थी. इसलिए उसकी वार्तालाप भी डाल रहा हूँ.
     Ankit Goyal-GUPAL ONLINE HO GAYA H KIYA रमेश कुमार सिरफिरा-नहीं, मेरे दोस्त नहीं है वो Ankit Goyal-YE (अपशब्द) APNE AAP KO MANTA KIYA H. रमेश कुमार सिरफिरा-दोस्त किसी के लिए अपशब्दों प्रयोग उचित नहीं. सभ्य भाषा में बात करें. Ankit Goyal-SOORY.RAMESH JI..रमेश कुमार सिरफिरा-उनकी गलत फहमियां दूर की जानी चाहिए. Ankit Goyal-OK M PURI KOSIS KARONGA.रमेश कुमार सिरफिरा-उनको कहिए आप अपनी शिकायत पूरे विस्तार से रमेश की वाल पर रखें. आपको समाधान जरुर मिलेगा. Ankit Goyal-OK,WE ONLINE H KIYA रमेश कुमार सिरफिरा-नहीं.
 दोस्तों, हमने अपनी समझ से श्री गोपाल झा जी को जवाब दे दिया. अब आपको उचित लगा या नहीं. इसकी आप जानो. अगर आज तक उससे हुई फेसबुक/ऑरकुट पर ऑनलाइन बातचीत का डाटा देखना हो तो मुझे ग्यारह तारीख तक का समय दे दो, क्योंकि मुझे अपने गुरु श्री राजीव मुनि जी महाराज के चरणों में पहुंचना है और दो-तीन दिन उनकी सेवा करने का लाभ लेना है और उनके ज्ञान के अमृत का रसपान करना है. उनके अनुसार पुरुषार्थ करना मनुष्य का कर्म है. सच कहने के लिए लेखनी से किया कर्म हिंसा की परिभाषा में नहीं आता है. हो सकता है मेरे गुरु जी या मैं गलत हो. लेकिन आपका क्या नजरिया है ? अपने मुझे विचारों से अवगत करवाए. भटके हुए राही को क्या आप सही रास्ता नहीं दिखायेंगे.
Gopal Jha· Friends with Manish Jain and 42 अन्य, सिरफिरा जी आप काफी घमंडी है और इतना घंमड ठीक नहीं होता है दोस्ती के लिये आप दोस्त के नाम पर कलंक है आप लोग को भ्रमित करते है इसलिये मैं आप से दोस्ती को खत्म कर लिया हूँ सरफिरा जी
रमेश कुमार सिरफिरा-‎Gopal Jha जी, हमसे दोस्ती खत्म करने के लिए और हमारी क्रोध से भरपूर टिप्पणी करने के लिए भी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन हमने अपना सब कुछ सार्वजनिक किया हुआ है. आप हमारी कौन-सी जानकारी से भ्रमित हुए आपने जिक्र नहीं किया. आपके शब्दों में हम दोस्त के नाम पर कलंक है. चलो कुछ तो है. हम तो खुद को किसी काबिल समझते ही नहीं थें. हमारी आलोचना और भी करों हमें अच्छा लगता है. हम आपकी टिप्पणी को हटाएंगे भी नहीं. अगर वो सभ्य भाषा में होगी. 
दोस्तों अगर आपको फेसबुक पर इस पोस्ट को गाने के साथ सुनने का मन है. तब यहाँ पर क्लिक करो और देखों कौन व्यक्ति अपने विचार रख रहा है ?

बुधवार, जनवरी 04, 2012

हिंदी अति सरल और मीठी भाषा हैं

 युधवीर सिंह लाम्बा भारतीय का कहना कि-हिंदी अति सरल और मीठी भाषा हैं। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। तभी तो देश के बाहर भी हिंदी ने अपना स्थान बना सकने में सफलता हासिल किया है। फ़िजी, नेपाल, मोरिशोस, गयाना, सूरीनाम यहाँ तक चाइना और रसिया में भी हिंदी अच्छी तरह बोली और पढ़ी जाती है।
*हिन्दी के प्रभाव और क्षमता को अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी सलाम कर रही है। विश्व में मोबाइल की सबसे बड़ी कंपनी नोकिया ने हाल ही लन्दन में अपने तीन नए मॉडल बाजार में उतारे। आपको ये जानकर खुशी होगी कि इन तीनो मॉडल्स को कंपनी ने हिन्दी का नाम दिया है। इन्हें अमेरिका, यूरोप और एशिया यानी पूरी दुनिया में आशा-300 और आशा-200 मॉडल के फोन लांच किए जाएंगे।
*अटल बिहारी वाजपयी वे पहले भारतीय थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (1977) में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। (अटल बिहारी वाजपयी 1977 में विदेश मंत्री थे)
*जुरासिक पार्क जैसी अति प्रसिध्द हॉलीवुड फ़िल्म को भी अधिक मुनाफ़े के लिए हिंदी में डब किया जाना जरूरी हो गया । इसके हिंदी संस्करण ने भारत में इतने पैसे कमाए जितने अंग्रेजी संस्करण ने पूरे विश्व में नहीं कमाए थे ।
*अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 114 मिलियन डॉलर की एक विशेष राशि अमरीका में हिंदी, चीनी और अरबी भाषाएं सीखाने के लिए स्वीकृत की है । इससे स्पष्ट होता है कि हिंदी के महत्व को विश्व में कितनी गंभीरता से अनुभव किया जा रहा है ।
*हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त।
*बह्म समाज के नेता बंगला-भाषी केशवचंद्र सेन ने भी हिन्दी का समर्थन किया था।
* गुजराती भाषा-भाषी स्वामी दयानंद सरस्वती ने जनता के बीच जाने के लिए 'जन-भाषा' हिन्दी सीखने का आग्रह किया ।
*गुजराती भाषा-भाषी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मराठी-भाषा-भाषी चाचा कालेलकर जी को सारे भारत में घूम-घूमकर हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने का आदेश दिया।
*सुभाषचंद्र बोस की 'आजाद हिन्द फौज' की राष्ट्रभाषा हिन्दी ही थी।
*श्री अरविंद घोष हिन्दी-प्रचार को स्वाधीनता-संग्राम का एक अंग मानते थे।
* नागरी लिपि के प्रबल समर्थक न्यायमूर्ति श्री शारदाचरण मित्र ने तो ई. सन् 1910 में यहां तक कहा था - यद्यपि मैं बंगाली हूं तथापि इस वृद्धावस्था में मेरे लिए वह गौरव का दिन होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ, 'साधु हिन्दी' में वार्तालाप करूंगा।
* अहिन्दी-भाषी-मनीषियों में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी हिन्दी का समर्थन किया था।
*अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, यूएई क़े 'हम एफ-एम' ,जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
*हॉलीवुड ने पहचानी हिन्दी की ताकत – बहुचर्चित मशहूर ओर कामयाबी का नया इतिहास रचने वाली चलचित्र ( फ़िल्म) को दिया वैश्विक हिन्दी नाम 'अवतार' ।हिंदी शब्द अवतार का अर्थ 'अवतार' शब्द 'अव' उपसर्गपूर्वक 'तृ' धातु में 'धण' प्रत्यय लगाकर बना है। अवतार शब्द का अर्थ यह है कि पृथ्वी में आना।हॉलीवुड की मशहूर फ़िल्म "अवतार" दुनिया की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली चलचित्र ( फ़िल्म) बन गई है ।
क्या हमें अँग्रेजी की गुलामी छोडकर हिन्दी को महत्व नहीं देना चाहिए ? दोस्तों-जब हम हिन्दुस्थान में रहते हुए भी हम हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे तो क्या अमरीका व अन्य देशों के नागरिक प्रयोग करने के लिए आयेंगे?
जय हिन्द, जय भारत ! वन्दे मातरम !

रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा : हम फेसबुक पर हिंदी में कैसे लिखें ?
दोस्तों/सदस्य ध्यान दें. मेरे पास अक्सर अनेकों ईमेल/फोन आते हैं और ऑनलाइन वार्तालाप में सबका एक ही प्रश्न होता है कि हम हिंदी में कैसे लिखें. यह जानकारी सब सदस्यों और फेसबुक आदि प्रयोगकर्त्ता के लिए उपयोगी होगी. ऐसा मेरा विश्वास है. अब अगर आप कुछ करके दिखाना चाहते है. तब थोडा पढ़ें और सीखें. http://www.facebook.com/groups/anpadh/doc/216950435051713/
युधवीर सिंह लाम्बा भारतीय का कहना कि-बहुत ही सार्थक और सुंदर लेख के लिए आपका कोटि कोटि अभिनन्दन!

मंगलवार, जनवरी 03, 2012

हम बुध्दिजीवी कब से एक धर्म के हो गए ?

क्या हम सब बुध्दिजीवी एक दूसरे के घर्म को नीचा दिखाने के लिए सोशल वेबसाइट (फेसबुक, गूगल, ब्लॉग और ऑरकुट आदि) एकत्रित हुए है ? हम बुध्दिजीवी कब से एक धर्म के हो गए ? क्या हम सब धर्म से बढ़कर "इंसानियत" को ही अपना सबसे बड़ा धर्म नहीं मानते हैं ?
मैंने अपने पिछले दो सालों की रिसर्च (शोध) कार्य में महसूस किया कि कोई(कुछ) हिंदू, मुस्लिम धर्म की बुराई कर रहा और कोई मुस्लिम भाई, हिंदू धर्म की बुराई कर रहा है. इसी प्रकार हर(कुछ) धर्म के अनुयायी सोशल वेबसाइटों को उपयोग दूसरे धर्मों की बुराई करने के कर रहा है. हम आखिर कब देश को आगे लेकर जाने के लिए विचार करना और लिखना शुरू करेंगे. 
यह मेरे विचार है कि हम बुध्दिजीवी अगर कुछ नहीं कर सकते है. तब किसी धर्म, जाति, व्यक्ति विशेष को नीचा दिखाने का कार्य भी नहीं करना चाहिए. देश में फैली बुराइयों को खत्म करने के लिए "कुछ" कहूँ या थोडा-सा कार्य करना चाहिए.
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

यह हमारी नवीनतम पोस्ट है: