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शुक्रवार, जनवरी 13, 2012

भगवान महावीर स्वामी जी का संदेश:-जियो और जीने

 ब्लोग्गर परिचय-शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन:-
जय जिनेन्द्र दोस्तों, आज बाजारवाद की अंधी दौड़ ने समाज और जीवन के हर क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले लिया है.खासकर पत्रकारिता सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुई है। स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रही है। यह चिंता का विषय है। आज पूंजीवादी मीडिया के समक्ष वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्‍त हो। इन्टरनेट जगत में "शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन" अपने ब्लोगों के माध्यम से इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।

जय जिनेन्द्र!!! अगर आप "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ब्लॉग पर "योगदानकर्त्ता" के रूप में जुड़ना चाहते हैं. तब आप हमें उपरोक्त ईमेल rksirfiraa@gmail.com पर लिखकर भेजें. सभी जैन बंधुओं! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. पत्रकार रमेश कुमार जैन:-09910350461

भगवान महावीर स्वामी जी का सच्चा संदेश पूरे विश्व में फैले और जैन समाज व देश में कुछ फैली कुरीतियों पर रोक लगे.जिससे संपूर्ण संसार जगत में द्वेष भावना खत्म होकर प्यार-प्रेम और भाईचारा कायम हो."जैन" कोई जाति नहीं, धर्म है.जैन-धर्म के सिध्दांतों में जो दृढ विश्वास रखता है और उनके अनुसार आचरण करता है, वही सच्चा जैन कहलाता है.इसको कोई भी अपनी स्वेच्छा से अपना सकता है.भगवान महावीर स्वामी जी का सच्चा संदेश जानने हेतु मेरे ब्लॉग "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी"  http://tirthnkarmahavir.blogspot.com को देखें. अपने विचार और बहुमूल्य सुझाव भेजें. सभी जैन मित्र अपने अन्य मित्रों के पास संदेश भेजें.

तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ब्लॉग पर लेख और अन्य सामग्री भेजे:-प्रकाशन कार्यालय:-A-34-A,शीश राम पार्क, सामने-शिव मंदिर, उत्तम नगर, नई दिल्ली-59 या फिर सीधे rksirfiraa@gmail.com पर हमें लिख भेजें। पाठकों से निवेदन:-सुधी लेखकों से निवदेन है अपनी रचनाएं यूनिकोड (मंगल) फोंट में भेजें और साथ ही संबंधित तस्‍वीर भी हमें भेजेंगे तो उसे प्रकाशित करने में सुविधा होगी। लेखों के त्‍वरित प्रकाशन के लिए हमें आप SMS के जरिए तत्‍काल सूचना दे सकते हैं : 09868566374 या ईमेल करें (sirfiraa@gmail.com)

.... जैन!आपको एक ईमेल आई होगी या आएगी. उसको ओके करते ही आप तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ब्लॉग http://tirthnkarmahavir.blogspot.com से जुड़ जायेंगे. उपरोक्त तीर्थंकर महावीर स्वामी जी समुदाय में आप स्वयं भी शामिल हो और दूसरों को भी शामिल होने के लिए प्रेरित करें.

आप सभी जैन मित्र "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ब्लॉग से जुड़े और अपने मित्रों को भी जोड़े. फेसबुक https://www.facebook.com/groups/mahavirswamiji/ और ऑरकुट http://www.orkut.co.in/Main#Community?rl=cpp&cmm=115919805 पर बने ग्रुप में भी अपने मित्रों को शामिल करें और होने के लिए कहें.अगर आप इस ग्रुप से जुड चुके हैं. तब अपनी फेसबुक की प्रोफाइल में जितने भी जैन मित्र हो उनको 'होम' पेज पर जाकर बांये लिखे "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" पर क्लिक करके दांये देखें.वहाँ पर पहले सबको देख लें. फिर उसके नीचे "मित्रों को समूह में जोड़े" पर क्लिक करके सभी उन मित्रों को शामिल कर दें, जिन्हें आप उचित मानते हो.

आप इस में लेखक कहूँ या प्रेस रिपोर्टर(पत्रकार) के रूप में भी "योगदानकर्त्ता" बन सकते हैं.अब बात करते हैं ऑरकुट की यहाँ अगर आपको "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ग्रुप से जुड़ने में परेशानी हो रही हो तो आप पहले मुझे "रमेशकुमारसिरफिरा" या "रमेश कुमार जैन" (यहाँ से कॉपी करें) सर्च करें. फिर मेरी प्रोफाइल में जाकर "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ग्रुप को सलेक्ट करें और ज्वाइन कर लें.जय जिनेन्द्र! आप सभी जैन मित्र "तीर्थंकर महावीर स्वामी जी" ब्लॉग एक बार जरुर देखें

मेरा आप सभी देशवासियों से यहीं कहना है कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा.फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा कार्य(कर्म) करो, तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण ही तुम्हें सारी दुनियां हमेशा याद रखे और इंसानियत की आवाज सुनो, इंसानियत वाले कर्म करो, इंसानियत का जज्बा पैदा करो, इंसानियत के लिए मर जाओ, मौत कल भी आनी है फिर क्यों नहीं आज ही इंसानियत के लिए अपना मिटटी शारीर का बलिदान कर दो और अपनी आत्मा को पवित्र बना लो.

महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का पहला धर्म है अपने राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का सम्मान करना. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.


2 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. श्री प्रवीण पाण्डेय जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. हमारे इस ब्लॉग की हर पोस्ट पर काफी समय से निरन्तर आपकी टिप्पणी कहूँ या विचारधारा प्राप्त हो रही है.

      हटाएं

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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