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आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "निर्भीक-आजाद पंछी" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

शनिवार, सितंबर 24, 2011

आमंत्रण पत्र-अनपढ़ और गंवारों के समूह में शामिल होने का

दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि "अनपढ़ और गँवार" लोगों का भी कोई ग्रुप इन्टरनेट की दुनिया पर भी हो सकता है? मैं आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से करवा रहा हूँ. जो हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हिंदी प्रेमी ने बनाया है. जो अपना "नाम" करने पर विश्वास नहीं करता हैं बल्कि अच्छे "कर्म" करने के साथ ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने आपको "अनपढ़ और गँवार" की संज्ञा से शोभित कर रहा है.अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा, तब आप इस लिंक पर "हम है अनपढ़ और गँवार जी" जाकर देख लो. वैसे अब तक इस समूह में कई बुध्दिजिवों के साथ कई डॉक्टर और वकील शामिल होकर अपने आपको फक्र से अनपढ़ कहलवाने में गर्व महसूस कर रहे हैं. क्या आप भी उसमें शामिल होना चाहेंगे?  फ़िलहाल इसके सदस्य बहुत कम है, मगर बहुत जल्द ही इसमें लोग शामिल होंगे. कृपया शामिल होने से पहले नियम और शर्तों को अवश्य पढ़ लेना आपके लिए हितकारी होगा.एक बार जरुर देखें.
"हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह का उद्देश्य-

प सभी को नमस्कार जी, यहाँ पर बिना किसी धर्म, जाति और भेदभाव के ही देश प्रेम की भावना को सबसे बड़ा धर्म मानते हुए हिंदी और भारत देश की क्षेत्रीय भाषा के हित में कार्य करने हेतु समूह का निर्माण किया है.यह मेरा नहीं आपका समूह है.इसको आगे लेकर जाना भी हम सब का काम है.ना यहाँ कोई मालिक और ना कोई नौकर है. बस "इंसानियत" ही एक हमारी पहचान है. 
इस ग्रुप में लगाईं फोटो मेरे पिता स्व.श्री राम स्वरूप जैन और मेरी माताश्री फूलवती जैन जी की है. जो अनपढ़ है. मगर उन्होंने अपने तीनों बेटों को कठिन परिश्रम करने के संस्कार दिए.जिससे इनके तीनों बेटे अपने थोड़ी-सी पढाई के बाबजूद कठिन परिश्रम के बल पर समाज में एक अच्छा स्थान रखते हैं. 
    इनके अनपढ़ और भोले-भाले होने के कारण इन्होने दिल्ली में आने के चार साल बाद ही अपनी बड़ी बेटी स्व. शकुन्तला जैन को दहेज लोभी सुसराल वालों के हाथों जनवरी,सन-1985 में गँवा दिया था और तब मेरे अनपढ़ माता-पिताश्री से दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों ने कोरे कागजों पर अंगूठे लगवाकर मन मर्जी का केस बना दिया. जिससे सुसराल वालों को कानूनरूपी कोई सजा नहीं मिल पाई. गरीबों के प्रति फैली अव्यवस्था और सरकारी नीतियों के कारण ही पता नहीं कब इनके सबसे छोटे बेटे रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा के सिर पर लेखन का क्या भुत सवार हुआ. फिर लेखन के द्वारा देश में फैली अव्यवस्था का विरोध करने लगा.    
       मेरे माता-पिताश्री के आर्थिक रूप से ज्यादा संपन्न ना होने के कारण मेरी पढाई ज्यादा नहीं हो पाई. इसलिए मुझे अंग्रेजी नहीं आती हैं. अत: आपसे विनम्र अनुरोध है आप इस ग्रुप में अपने पढ़े-लिखें होने का मुझे अहसास करवाते हुए "अंग्रेजी" में टिप्पणी ना करें. आज मैं थोड़ा बहुत जो भी "पत्रकार" हूँ, अपनी कठिन परिश्रम करने की लगन और बहुत सारे अच्छे दोस्तों व विद्वानों का लेखन को पढकर उनका अपने जीवन में अमल करने पर ही इस योग्य बन पाया हूँ.    
       यह ऐसे लोगों का समूह है, जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती....इस तरह के जीव आजकल "अनपढ़ और गँवार" कहे जाते हैं....कारण है न इसका, यह समय के साथ नहीं न चल पाए......अब बताओ भला, यह भी कोई बात है ? क्या कहा अंग्रेजी नहीं आती ? लानत है तुम पर, "अनपढ़ और गँवार" कहीं का ! कुछ ऐसी ही टिप्पणियाँ अक्सर इन जीवों को सुनने को मिलती है.कई बार ऐसे व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं. अब इनको दुबारा स्कूल में भेजना संभव नहीं है. लेकिन देखो जी ! अब क्या करें हम, जो हैं सो हैं. अनपढ़ और गँवार ही सही.तब यह सोचा कि कहीं हम अकेले ही तो अनपढ़ और गँवार तो नहीं ? अपनी तरह के क्यों नहीं कुछ और जीवों की खोज की जाए. ऐसे जीवों को यहाँ इकठ्ठा करना ही इस समूह का उद्देश्य है.
     मेरा उन सभी से निवेदन है कि जो संसारिक जीवन की किताबें पढ़ चुके है ओर जीवन की असली किताब "इंसानियत" को पढ़ने से वंचित रह गए थें. वो सभी "अनपढ़" ग्रुप में अपने आप को शामिल करें ओर अपने दोस्तों को शामिल करके देश और मानवता को आगे लेकर जानने में हमारा सहयोग करें. आप सभी महानुभवों से अनुरोध है कि-यहाँ पर केवल हिंदी में ही टिप्पणी और संदेश लिखें. जिनको हिंदी के फॉण्ट की परेशानी हो वो थोड़ा सा ज्यादा कष्ट करें और अपना सहयोग दें. देखो भाई लोगों...जो भी भाषा बोल सको बोलो...कोई बंदिश नहीं...जिसको समझना होगा समझेगा, ना समझ पाए तब वो जाने. लेकिन यहाँ अनपढों को पूर्ण आश्रय मिलेगा.
    इसलिए आप यहाँ अनपढों का ध्यान रखते हुए. अपनी टिप्पणी या संदेश हिंदी में ही लिखें. इसका पालन ना करने वाले संदेश या टिप्पणी को यहाँ से हटा दिया जाएगा.मुझे अंग्रेजी के छोटे और सरल शब्दों को हिंदी में लिखे जाने पर कोई एतराज नहीं है. जैसे OFFICE को हिंदी में "ऑफिस" लिखने पर कोई एतराज नहीं है. वैसे हिंदी में ऑफिस का अर्थ "दफ्तर" होता है और अपने किसी भी दोस्त को इस समूह में बिना उसकी अनुमति के शामिल ना करें. बल्कि उसको इसमें शामिल होने के लिए इस ग्रुप का लिंक भेजकर शामिल होने का निवेदन करें. बाकी उसकी मर्जी पर छोड़ दीजिए और उस पर किसी प्रकार का दवाब ना बनाये. बस यही शर्त है यहाँ शामिल होने की. धन्यवाद !
     वैसे हम मानते हैं कि हिंदी की टाइपिंग थोड़ी मुश्किल तो है, मगर इतनी मुश्किल भी नहीं है कि-हिंदी की टाइपिंग सीखी/करी न जा सकें.फिर हिंदी की टाइपिंग कौन-सी असंभव चीज है, जो करी न जा सकें. कहा जाता है कि-आसान कार्य तो सभी करते हैं, मगर मुश्किल कार्य कोई-कोई करता है. इसी सन्दर्भ में एक कहावत भी है कि-गिरते हैं मैदाने जंग में शेरे सवार,वो क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं.बस अपने मन में ठानकर निरंतर प्रयास करना शुरू कर दीजिये. तब देखना कैसे हिंदी पर आपकी उंगुलियां अपने आप कैसे और किस गति से चलती है.
       अगर आपको हिंदी लिखने में परेशानी होती हो तब आप यहाँ (http://www.google.co.in/transliterate) पर जाकर हिंदी में संदेश लिखें .फिर उसको वहाँ से कॉपी करें और यहाँ पर पेस्ट कर दें. दोस्त, ऊपर दिए लिंक पर आप जाकर रोमन में इंग्लिश लिखो और स्पेस दो.आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा.जैसे-dhanywad = धन्यवाद
       आनलाइन हिंदी लिखने का यह नया टूल गेट2होम बड़ा ही क्रांतिकारी अविष्कार है। दुनिया की तमाम भाषाओं में इसमें न सिर्फ लिखना आसान होता है बल्कि वहीं से सीधे आप इसे ट्विटर, फेसबुक पर पोस्ट कर सकते हैं। इसे आप सीधे मेल भी कर सकते हैं। शेयर कर सकते हैं और जीप्लस पर भी पोस्ट कर सकते हैं। खुद ही आजमाकर देखिए। इसका लिंक है- http://gate2home.com/Hindi-Keyboard इसमें जाकर दाहिनी तरफ ऊपर अपनी मनचाही भाषा बदल सकते हैं।
   इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें जाने हेतु ब्लॉग देखें. 
     आखिर हम कब तक सारे हिन्दुस्तानी एक दिन का "हिंदी दिवस" मानते रहेंगे? क्या हिंदी लिखने/बोलने/समझने वाले अनपढ़ होते हैं? क्या हिंदी लिखने से हमारी इज्जत कम होती हैं? अगर ऐसा है तब तो मैं अंगूठा छाप हूँ और मेरी पिछले 35 सालों में इतनी इज्जत कम हो चुकी है, क्योंकि इतने सालों तक मैंने सिर्फ हिंदी लिखने/बोलने/समझने के सिवाय कुछ किया ही नहीं है. अंग्रेजी में लिखी/कही बात मेरे लिए काला अक्षर भैंस के बराबर है. आइये दोस्तों, हम सब संकल्प लें कि-आगे से हम बात हिंदी में लिखेंगे/बोलेंगे/समझायेंगे और सभी को बताएँगे कि हम अपनी भाषा को एक दिन की भाषा नहीं मानते हैं. अब देखते हैं यहाँ कितने व्यक्ति अपनी हिंदी में टिप्पणियाँ करते हैं? 
     दोस्तों और सदस्यों को एक निवेदन-इस समूह में हिंदी से जुडी तकनीकी जानकारी और टूल, लिंक आदि अगर आपकी जानकारी में हो उसको प्रयोग करने का तरीका सरल भाषा में लिखकर यहाँ पर टिप्पणी/संदेश के रूप में पोस्ट/प्रकाशित करें. जिससे कुछ अन्य व्यक्ति भी आपकी जानकारी से लाभानित होंगे और आपको दुआएं देंगे.
     दुश्मनों को दोस्त बनाने में ही बहादुरी है. इसलिए दुश्मनों को भी दोस्त बनाना सीखो, दोस्तों को दुश्मन बनाना तो बहुत आसान काम है. किसी दोस्त से मतभेद होना कोई बड़ी बात नहीं, किसी दोस्त के प्रति मनभेद होना बहुत बड़ी बात है.   
     आप विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं-
 उपरोक्त वार्तालाप को यहाँ डालने का उद्देश्य है. सभी यहाँ नियमों का पालन करें. यहाँ पर किसी अपमान करना मेरा उद्देश्य नहीं है. नियमों की अनदेखी पर मैं बहुत सख्त हूँ. आप यहाँ पर अपना किसी भी प्रकार की विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं.यह समूह व्यक्ति विशेष का नहीं है.बल्कि हम सभी है. जिसमें महिलाएं और पुरुष शामिल है. इसलिए यहाँ पर विचारों में शालीनता होनी चाहिए. मुझे उम्मीद है. आप सभी "अनपढ़ और गंवारों" का सहयोग प्राप्त होगा.
     अंग्रेजी को छोड़कर आप भारतीय किसी भाषा और लिपि का प्रयोग कर सकते हैं. लेकिन एक से ज्यादा भाषा में संदेश को डालते समय उसमें एक हिंदी लिपि का होना आवश्क है. अगर आपको एक से अधिक भाषों का ज्ञान है. तब आप अपनी प्रतिभा दिखाए. हर प्रतिभाशाली का उत्साह में खुद बढ़ाऊंगा.
रमेश कुमार सिरफिरा= क्या आपने समूह के नियम नहीं पढ़ें, यहाँ पर फ़िलहाल नाम और लिंक को छोड़कर एक शब्द अंग्रेजी में नहीं होना चाहिए.अपने संदेश में सुधार करें. नहीं तो हटा दिया जाएगा.यहाँ हिंदी को लेकर सख्त नियम बनाये है. कृपया ऐसे व्यवहार के लिए क्षमा करें.
Vaibhav Ajmera= एक बार और देख ले बंधू ..........कही कुछ गलत नहो जाय ,,,,,,,,क्योंकि किसी के नियमो की अवहेलना करना मेरा उद्देश्य नहीं है............वरण आध्यात्मिक विचारो का प्रसार करना .....न की स्वयं का प्रचार................आपकी आध्यात्मिक विनम्रता के लिए साधुवाद !!!!
रमेश कुमार सिरफिरा=आपको भी. बिल्कुल सही है, उच्चारण में पढ़े के स्थान पर आपने पड़े लिख दिया है. मगर उच्चारण की बात समझते हैं लोग.
हिंदी मैं नाम लिखने की भीख मांगता एक पत्रकार- 
मुझ "अनपढ़ और गँवार" नाचीज़(तुच्छ) इंसान को ग्रुप/समूह के कितने सदस्य अपनी प्रोफाइल में अपना नाम पहले देवनागरी हिंदी में लिखने के बाद ही अंग्रेजी लिखकर हिंदी रूपी भीख मेरी कटोरे में डालना चाहते है.किसी भी सदस्य को अपनी प्रोफाइल में नाम हिंदी में करने में परेशानी हो रही हो तब मैं उसकी मदद करने के लिए तैयार हूँ. लेकिन मुझे प्रोफाइल में देवनागरी "हिंदी" में नाम लिखकर "हिंदी" रूपी एक भीख जरुर दें. आप एक नाम दोंगे खुदा दस हजार नाम देगा. आपके हर सन्देश पर मेरा "पंसद" का बटन क्लिक होगा. दे दो मुझे दाता के नाम पे, मुझे हिंदी में अपना नाम दो, दे दो अह्ल्ला के नाम पे, अपने बच्चों के नाम पे, अपने माता-पिता के नाम पे. दे दो, दे दो मुझे हिंदी में अपना नाम दो.
प्रश्न:-मुझे देवनागरी में नाम लिखने से सर्च करने में परेशानी होती है....इसलिए मैंने रोमन में लिखा हुआ है.....जो भी नाम देवनागरी में लिखे हैं, वो सर्च करने पर नहीं मिलते हैं.
उत्तर:-अपनी प्रोफाइल में हिंदी में नाम कैसे लिखें:-आप सबसे पहले "खाता सेट्टिंग " में जाए. फिर आप "नेम एडिट" को क्लिक करें. वहाँ पर प्रथम,मिडिल व लास्ट नाम हिंदी में भरें और डिस्प्ले नाम के स्थान पर अपना पूरा नाम हिंदी में भरें. उसके बाद नीचे दिए विकल्प वाले स्थान में आप अपना नाम अंग्रेजी में भरने के बाद ओके कर दें. अब आपको कोई भी सर्च के माध्यम से तलाश भी कर सकता है और आपका नाम हर संदेश और टिप्पणी पर देवनागरी हिंदी में भी दिखाई देगा. अब बाकी आपकी मर्जी. हिंदी से प्यार करो या बहाना बनाओ.
          उपरोक्त समूह के माननीय/आदरणीय सदस्यगणों से विनम्र अनुरोध हैं कि अपनी कोई भी टिप्पणी/संदेश अंग्रेजी में यहाँ ना डाले. किसी भी सदस्य को समूह का नियम याद नहीं करवाया जाएगा. मेरी नज़र पड़ते ही तुरंत हटा दिया जाएगा. कृपया ख्याल रखे यह "अनपढों और गंवारों" का समूह है और भविष्य में सभी ध्यान रखेंगे. बार-बार निवेदन करने से मुझे शर्म आ रही हैं. मगर "हम नहीं सुधरेंगे" प्रवृत्ति के व्यक्ति नहीं समझ रहें हैं.

6 टिप्‍पणियां:

  1. यथासंभव हम भी अनपढ़ ही रहेंगे, लगता है।

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  2. jin baaton ko insaan bachkaana baaten samjhte hai asal men vahin sanjidaa baaten hoti hai.

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  3. "हम नहीं सुधरेंगे" प्रवृत्ति के व्यक्ति नहीं समझ रहें हैं.

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  4. रमेश जी नमस्कार। बहुत अच्छा आमन्त्राण है और लीक से हट्कर आपने जो मुहिम छेड़ी हम जैसे हिन्दी से प्रेम करने वालों मि लिये बढिया मंच है जयहिन्द और जय हिन्दी की और आपको बधाई ।

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  5. रमेश जी,
    ’अनपढ ऒर गंवार’गुरुप का मॆं भी सदस्य हूं.अभी भी कुछ सदस्य अंग्रेजी में लिख रहे हॆं.जब यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका हॆ कि यह गुरुप अंग्रेजी वालों के लिए नहीं हॆ,फिर उनके इस तरह के आचरण को क्यों सहन किया जा रहा हॆ? जब हिंदी में लिखने के लिए तकनीकी जानकारी तक उन्हें दी जा रही हॆ-फिर समझ में नहीं आता कि क्यों अंग्रेजी के मोह में फंसे हॆं.में सरकारी सेवा हूं.अपवाद स्वरुप ही अपना सरकारी काम अंग्रेजी में करता हूं.मेरा एक ब्लाग ’राजभाषा विकास मंच’ के नाम से हॆ.यह हिंदी प्रेमियों का ही एक सामूहिक मंच हॆ.यदि आप एक लेखक के रुप में इससे जुडकर,अपना रचनात्मक सहयोग दे सकें,तो आपका आभारी रहूंगा.

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  6. श्रीमान विनोद पाराशर जी,
    आपने शायद उपरोक्त पोस्ट को ध्यान से नहीं पढ़ा है. इसमें दिए समूह के नाम "हम है अनपढ़ और गँवार जी" को भी देखना भूल गए. इसमें आपकी गलती नहीं है, क्योंकि इस वर्णित समूह का नाम "हम है अनपढ़ और गँवार जी" और आप ’अनपढ ऒर गंवार’ जिसके सदस्य है. दोनों का नाम मिलता-जुलता है. दोनों समूह का नाम और नियम मैंने ही बनाये थें. जिसका थोड़ा जिक्र हमारे समूह में किया हुआ है. लेकिन आपके समूह के मलिक श्री राहुल सिंह अपने ही बनाये नियमों का पालन सख्ती से करने के पक्षधर नहीं थें और अपनी अनजाने में हुई गलती पर सदस्यों से माफ़ी मांगना भी उनको उचित नहीं लगा था. फिर उन्होंने बिना कारण बताये ही मेरे अधिकार छीन लिए और तब तक प्रकाशित हमारी अन्धिकाश टिप्पणी और संदेशों को हटाने के साथ ही अनेकों लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोट दिया. कई घंटों तक उपरोक्त समूह को फेसबुक पर से भी हटा लिया था और हमें ब्लाक कर दिया. तब हमने अपना उपरोक्त "हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह बनाया है. आज भी कई सदस्य आपके वाले समूह के हमारे समूह "हम है अनपढ़ और गँवार जी" में शामिल है. मगर हमारे यहाँ पर आज भी नियमों को लेकर बहुत ज्यादा सख्ती है. हम किसी भी कीमत पर समझौतावादी नहीं है. आप एक बार उपरोक्त "हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह का अवलोकन करके देख सकते हैं. आपको हमारे "हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह की सारी पोस्ट पढ़ने में समय जरुर ज्यादा लगेगा. मगर मुझे पूरा विश्वास है. आप इस नाचीज़ को अपनी उम्मीदों पर खरा पायेंगे. मैंने आपके ब्लॉग "राजभाषा का विकास" का अवलोकन कर लिया है. काफी अच्छा है. उसकी साज-सज्जा भी अति सुन्दर है. लेकिन कुछ निजी कारणों की वजह से अगले दो महीने तक "सेवा" देने में असमर्थ हूँ. लेकिन फिर भी आप धैर्य, नम्रता और सहनशीलता रखते हैं. तब आप हमें अपने ब्लॉग में "लेखक" के तौर पर जोड़ सकते हैं. मुझे आपके ब्लॉग से जुडकर बहुत खुशी होगी. आप मेरा हिंदी प्रेम मेरे ब्लोगों की पोस्ट पढकर और मेरी गूगल, ऑरकुट और फेसबुक की प्रोफाइल देख ही जान सकते हैं. वैसे आपको अपनी उपरोक्त शिकायत को अपने समूह में पोस्ट के माध्यम से रखनी चाहिए. ऐसा मेरा सोचना है.

    जवाब देंहटाएं

अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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