अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि,समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला हेतु जुनून,अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं.मुझे पता नहीं यह कितना सच है लेकिन आमआदमी को अपने विचारों व अनुभव द्वारा अन्याय का विरोध व अपने अधिकारों को लेने हेतु प्रेरित करने की एक छोटी-सी कोशिश ही है उपरोक्त ब्लॉग.
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शुक्रवार, अक्तूबर 26, 2012
सरकार, पुलिस और लड़की वालों का गुंडाराज कब चलेगा ?
6 टिप्पणियां:
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पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.
आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html
सबकुछ जाँच अधिकारी पर निर्भर करता है. कौन सा ऐसा कानून है जिसका दुरूपयोग नहीं होता.
जवाब देंहटाएंआपका कथन से सहमत हूँ. अपने केस में देख चुका हूँ जाँच अधिकारी की भूमिका और एक महीने की जेल के दौरान काफी सुना कि जाँच अधिकारी का मुहँ भर दो. फिर कोई माई लाल जज आपको सजा नहीं दे सकता है. फिर जाँच अधिकारी आपको खुद बताता है कि सबूतों को कैसे नष्ट करना है या तोडना-मोड़ना है. न्याय प्राप्त करना दौलतमंद और पूंजीपतियों के लिए आसान बनता जा रहा है.
हटाएंचिन्तनीय स्थिति..
जवाब देंहटाएंBahut hi gambhir mudda hai.
जवाब देंहटाएंgambhir mudda hai.
जवाब देंहटाएंअगर निशा शर्मा का केस झूठा था तो कोर्ट ने उसी समय उसके लिए सजा सुनाने का काम क्यों नहीं किया .
जवाब देंहटाएंइसी से इनका मनोबल बढ़ा चढ़ा हुआ है सोचते है की हम जो कुछ भी कह दें हमारा कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता है जबकि पुलिस वाले, वकील और जुडिशरी सब मिलकर लड़के और उसके घरवालों को इतना नोचते हैं की उनका तो जीवन ही बर्बाद हो जाता है .
कौन जिम्मेदारी लेगा कौन चुकाएगा उस वक़्त की कीमत जो किसी सिरफिरी ऐसी लड़की के कारण बर्बाद हुआ हो ?