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शुक्रवार, दिसंबर 23, 2011

अनमोल वचन-सात

1. जीवन में हंसी न हो तो वो बोझिल हो जाती है 2. प्यार सभी को जीत लेता है 3. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. 4. वह,जो कभी-कभी होता है अद्भुत होता है. 5. हठ वास्‍तविकता बन जाता है. 6. यदि आप किसी को नहीं बताना चाहते हैं, तो इसे न करें 7. प्रयास करने वाले पर ही विश्वास करें 8. वह जो नए के लिए पुराने को छोड़ता है वह जानता है कि उसने क्‍या छोड़ा है लेकिन यह नहीं जानता है कि उसे क्या मिलेगा. 9.  देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है. 10. वादे कर्ज़ के समान होते हैं जिन्हें कभी न कभी चुकाना होता है 11. कार्य स्वयं आपको बताता है कि इसे कैसे किया जाए 12. धैर्य आशा करने की ही एक कला है 13. कई लोगों की राय लेने से काम बिगड़ जाता है. 14. यदि आप किसी को नहीं बताना चाहते हैं, तो इसे न करें 15. समझ का विकल्‍प गुस्सा नहीं है 16. जब आप विकल्पों पर विचार करते हैं तो बुढ़ापा भी इतना बुरा नहीं लगता 17. किसी को अपनी मर्जी का काम करने को कहा जा सकता है, लेकिन उसकी मर्जी के बगैर करवाया नहीं जा सकता. 18. अशिक्षित व्यक्ति को इस दुनिया में जानवर के समान समझा जाता है 19. मूर्ख और पागल हमेशा अपने बारे में सुनिश्चित होते हैं, जबकि समझदार संशयग्रस्‍त होते हैं 20. आगे का मार्ग जानने के लिए, उनसे पूछे जो लौट रहे हैं 21. अधिक उम्र में शिक्षा सबसे अच्छा प्रावधान है 22. कोई भी व्यक्ति वापस जाकर नई शुरूआत नहीं कर सकता, पंरतु हर कोई आज शुरू कर सकता है और एक नया अंत लिख सकता है 23. उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 24.  प्रत्येक पीढ़ी पुराने फैशन की हंसी उड़ाती है, परंतु नए फ़ैशन का पूरी ईमानदारी से पालन करती है 25. वर्तमान क्षण ही सबसे अच्‍छा समय है. 26. खुशियां अच्छे स्वास्थ और बुरी यादों से ज्यादा कुछ नहीं है 27. आज किसी के लिए कोई अच्छा कार्य करके देखें 28. आज किसी के लिए कोई अच्छा कार्य करके देखें 29. सादगी ही सर्वश्रेष्ठ दुनियादारी है 30. हमें यह करना है कि हमेशा नए दृष्टिकोणों को परखने के लिए उत्सुक रहें और नए प्रभाव ग्रहण करते रहें 31. भविष्य का पूर्वानुमान करने का सबसे अच्छा तरीका उसे बनाना है 32. युवाओं के पास वे इच्‍छाएं होती हैं, जो कभी ख़त्‍म नहीं होतीं, बूढ़ों के पास उन चीज़ों की स्‍मृतियां होती हैं, जो कभी नहीं हुईं 33. आप सबसे बड़ी विजय किसी को विनम्रता में पीछे करके ही प्राप्त कर सकते हैं 34. सफलता का मतलब अंत नहीं होता है, विफलता भी घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है 35.शांत दिखने वाले लोग काफी विचारशील होते हैं 36.आपके पास बहुत कम समय है, इसे दूसरों का जीवन जीने में बर्बाद न करें 37.  कार्य करने से परिणाम मिलता है, सिर्फ बोलने से कुछ हासिल नहीं होता. 38. ज्ञान ऐसा ख़ज़ाना होता है जो अपने स्वामी के साथ हमेशा रहता है 39. अपने काम में ख़ुशी तलाशने का प्रयत्न करें अन्यथा आप कभी नहीं जान पाएंगे कि ख़ुशी क्या होती है 40. लोगों को अच्छे और बुरे में विभाजित करना निरर्थक है. लोग आकर्षक या उबाऊ होते हैं 41. पुराने कामों को पूरा करने का अच्छा समय है 42. हर पीढ़ी स्वयं की कल्पना अपने से पिछली पीढ़ी से अधिक बुद्धिमान और अपनी अगली पीढ़ी से अधिक समझदार के रूप में करती है 43. समय या अवसर संबंधों की घनिष्‍ठता नहीं दर्शाते; यह व्‍यवहार पर निर्भर करता है. 44. प्यार सभी को जीत लेता है 45.चीज़ों को शुरु में एक मिनट व्यवस्थित करने से, बाद में एक घंटा बचाया जा सकता है. 46. खुशियां अच्छे स्वास्थ और बुरी यादों से ज्यादा कुछ नहीं है. 47. ज्‍़यादा समय तक क्रोध नहीं करना चाहिए. 48. मित्र वही होता है जो आपको बेहतर तरीके से जानता है और आपसे उतना ही प्यार करता है 49. प्‍यार पाने और खो जाने से बेहतर हैं कि प्‍यार कभी ना मिले. 50. मुस्कु्राएं. बस इतना ही 51. कलम तलवार से अधिक ताकतवर होती है.52 जिंदगी एक किताब की तरह है: महत्‍व इस बात का है कि वह कितनी अच्‍छी है, इसका नहीं कि वह कितनी लंबी है 53. हार मानने वाले कभी जीतते नहीं और जीतने वाले कभी हार नहीं मानते. 54 समय या अवसर संबंधों की घनिष्‍ठता नहीं दर्शाते; यह व्‍यवहार पर निर्भर करता है 55.आज दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें 56. समय सर्वाधिक मूल्यवान चीज़ है, जिसे कोई मनुष्य ख़र्च कर सकता है 57.प्रयास करने वाले पर ही विश्वास करें.
दोस्तों, मेरे "प्रकाशन" परिवार में इस श्रंखला को कम से कम बीस कड़ी तक ले जाने की योग्यता है. लेकिन अपने कुछ निजी समस्याओं के चलते समयाभाव और साधनों की व्यवस्था न होने के कारण मैं अनमोल वचनों की श्रंखला को यहीं विराम दें रहा हूँ. शेष फिर कभी......

मंगलवार, दिसंबर 13, 2011

अनमोल वचन-छह

1. ज्ञान ही एकमात्र अच्छाई है, और अज्ञानता एकमात्र बुराई 2. हंसी मज़ाक सभी बातों को सहनीय बना देता है 3. देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है 4.शांति के बारे में केवल बात करना ही काफी नहीं. व्यक्ति को उसमें विश्वास होना चाहिए. और केवल उसमें विश्वास होना ही काफी नहीं है. व्यक्ति को उसका अवलम्बन भी करना चाहिए. 5.प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 6. आपको वही कार्य करना चाहिए जो आपको अपने लिए असंभव लगता है. 7. दिन लंबे हैं, लेकिन साल छोटे हैं 8. कल किसने देखा है. आज को जियो. 9. आज दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें 10. हमें ख़ुद को वैसा बनाना चाहिए जैसा परिवर्तन हम दूसरों में चाहते हैं. 11. भलाई का कोई भी काम बेकार नहीं जाता, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो 12. स्वयं को किसी प्रतिभा या अन्य तरीके से विलक्षण बनाएं 13. प्रत्येक पीढ़ी पुराने फैशन की हंसी उड़ाती है, परंतु नए फ़ैशन का पूरी ईमानदारी से पालन करती है 14. वह,जो कभी-कभी होता है अद्भुत होता है.  15. कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है. 16. मौका मिले तो चूको मत.17. अब समय है कुछ नया प्रयास करने का 18. एक हाथ से ताली नहीं बजती.19. अच्छा श्रोता केवल लोकप्रिय ही नहीं होता, बल्कि वह कुछ समय बाद कुछ जानने भी लगता है 20. अच्‍छी पुस्‍तकें, अच्‍छे मित्रों के समान हैं, ये बहुत कम और चुनी हुईं होती हैं; जितना अधिक चयन, उतनी ही अधिक मज़ेदार. 21. अपने स्रोत को किस तरह छुपाएं ये जानना ही रचनात्मकता का राज़ है 22. ख़ून के बदले ख़ून की प्रवृति सारे विश्व का विनाश कर देती है 23. आप अतीत को ध्यान में रखकर अपने भविष्य की योजना नहीं बना सकते 24.कल किसने देखा है. आज को जियो 25.एक हाथ से ताली नहीं बजती 26. जो प्रश्न पूछता है, वह केवल पांच मिनटों के लिए मूर्ख साबित होता है, लेकिन जो नहीं पूछता, वह हमेशा मूर्ख ही बना रहता है 27. वादे कर्ज़ के समान होते हैं जिन्हें कभी न कभी चुकाना होता है 28. पूछने की चाह में कई चीज़ें खो जाती हैं. 29.दिन लंबे हैं, लेकिन साल छोटे हैं 30. वह,जो कभी-कभी होता है अद्भुत होता है 31. मौका मिले तो चूको मत. 32. कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है 33. पुस्तक ज्ञान का भंडार होती है 34. आज का भाग्य: अब समय है कुछ नया प्रयास करने का 35. यदि आप सभी नियमों का पालन करने लगें, तो ज़िंदगी का पूरा मज़ा नहीं ले पाएंगे 36. सादगी ही सर्वश्रेष्ठ दुनियादारी है 37. एक कुंद पेंसिल किसी तीक्ष्‍ण स्मृति से बेहतर है. 38.धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें. 39. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 40. विरोध के बदले शांति अनुभव करना चुनें 41.कमज़ोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं करता. क्षमा करना महान व्यक्ति की विशेषता होती है 42 अपने काम में ख़ुशी तलाशने का प्रयत्न करें अन्यथा आप कभी नहीं जान पाएंगे कि ख़ुशी क्या होती है 43. महसूस करने वालों के लिए ये दुनिया एक त्रासदी है, लेकिन सोचने वालों के लिए एक आनंद 44. आज किसी मित्र को प्रशंसापत्र लिखें. 45. अध्‍ययन ऐसा करो जैसे कि आपको हमेशा जीना है.ऐसे जियो जैसे जीवन का अंतिम समय निकट हो. 46. कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है. 47. भविष्य उन लोगों का होता है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास करते हैं. 48. स्वार्थ का मतलब स्वयं की इच्छा के अनुसार जीना नहीं होता, इसका मतलब होता है दूसरों से भी आपकी इच्छा के अनुसार जीने को कहना 49. नए मित्र बनाने के लिए सही समय है 50. कमज़ोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं करता. क्षमा करना महान व्यक्ति की विशेषता होती है 51.कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. 52. अपने आप को जोखिम में न डालें. वह सब कुछ, जो आपके पास है, वह आप स्वयं हैं. 53. आज किसी व्यक्ति की तारीफ़ करके देखें 54. मुस्कु्राएं. बस इतना ही 55. जीत के लिए प्रतिभा आवश्यक है, और उसे दोहराने के लिए चरित्र. 56. महान कार्य करने के लिए हमें सपने देखने के साथ-साथ कार्य भी करना होता है 57.बिना हंसी का दिन व्यर्थ होता है 58. धैर्य आशा करने की ही एक कला है.

रविवार, दिसंबर 11, 2011

मेरा हर शब्द देश और समाजहित के लिए.....

दोस्तों, अच्छी चीज या बात/संस्कारों की नकल करना बहुत अच्छी बात है. मगर आप नक़ल के साथ अकल(बुद्धि) का प्रयोग जरुर करों. हर बात हर व्यक्ति द्वारा अपने अनुभवों से प्राप्त सीख़ कहूँ या सबक को ध्यान में रखकर कहता है. कहीं ऐसा न हो दोस्तों नक़ल के चक्कर में आपके साथ भी चूहे और हाथी वाली कहानी बन जाए. जिसमें चूहे ने अपने आगे बैठे हाथी की नक़ल करते हुए अपने परीक्षा के पेपर में यह लिखा था कि-दोस्त इस बार जब तुम हमारे यहाँ पर गर्मी की छुटियों में आयोंगे,तब हम अपनी सूंड में पानी भर-भर कर एक दुसरे के ऊपर डालेंगे. 
तब चूहे के टीजर ने परीक्षा का पेपर देखकर तुरंत भांप लिया था कि चूहे ने हाथी की नक़ल की है. परीक्षा में विषय था कि अपने मित्र के साथ गर्मी की छुटियों क्या करोंगे ? कृपया किसी भी संदेश को कॉपी करके कहीं पर पेस्ट करने से पहले संदेश में सुधार जरुर कर लें. एक छोटा-सा उदहारण देखें :- 

@संगीता (बदला हुआ नाम)-रमेश जी, आपके संदेश की नक़ल कर रही हूँ. आपको भी पता होगा कि फेसबुक पर लड़कियों की बातों पर लोग ज्यादा ध्यान देते हैं. मुझे क्षमा करें.

रमेश कुमार सिरफिरा- ‎@ संगीता जी, कोई बात नहीं, लेकिन नकल के साथ अक्ल का भी प्रयोग करना और क्षमा मांगने की कोई जरूरत नहीं है.हम पहले ही लिख चुके हैं कि मेरी कलम से लिखा मेरा हर शब्द देश और समाजहित के लिए है. इसको जहाँ चाहो साझा करो. मेरा कोई भी कॉपी राइट नहीं है. मैंने इस भारत माता की कोख में जन्म लिया. यहीं पर एक-एक अक्षर जोड़कर "शब्द" लिखना सिखा है. खाली हाथ आया हूँ और खाली हाथ ही लौट भी जाऊँगा. लेकिन आप लड़की होकर ऐसी बात ना करें. अपने आप को उपयोग की वस्तु ना बनाये. चाकू खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर नुकसान खरबूजे का ही होता है. यह तो फेस बुक पर किसी भी लड़की की प्रोफाइल देख पता चल जाता है कि उनको दोस्ती के कितने निवेदन आते हैं ? सब उसको अपना दोस्त बनाना चाहते हैं. मेरी प्रोफाइल की "वाल" पर अनेकों संदेश है. उनका भी प्रयोग कर सकती है. मगर सम्भल करें. कहीं किसी कथन को लेकर आप "विवाद" में ना फंस जाए. इसके लिए पहले थोड़ी हमसे जानकारी लेना उचित समझे तो आपका स्वागत है.

नोट:-लेख में प्रयोग नाम काल्पनिक है. समानता मात्र संयोग है. यह एक मात्र अनुभव है.

सूचना-विशेष खोजबीन में हमने पाया कि फेसबुक पर अगर एक लड़की मात्र एक लम्बा-सा hiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii या hellooooooo अपनी प्रोफाइल की "वाल" कर दें.तब उस पर टिप्पणी के ढेर लग जाते हैं और अगर उसने अगर कोई गंभीर बात या कोई ग़ज़ल डाल दी. तब क्या होगा ? जरा सोचो और विचार करों. 

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रविवार, दिसंबर 04, 2011

अनमोल वचन-पांच

1.स्‍वयं को किसी प्रतिभा या अन्‍य तरीके से विलक्षण बनाएं 2.ज्‍़यादा समय तक क्रोध नहीं करना चाहिए. 3.उत्साह खोए बिना एक विफलता से दूसरी की ओर जाने की क्षमता ही सफलता है 4.चीज़ों को शुरु में एक मिनट व्यवस्थित करने से, बाद में एक घंटा बचाया जा सकता है 5.अशिक्षित व्यक्ति को इस दुनिया में जानवर के समान समझा जाता है 6.सफलता अंत नहीं होती, विफलता घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है 7.आलस्‍य एक दिलचस्प किंतु कष्टप्रद स्थिति है; हमें ख़ुश होने के लिए कुछ करना ही होगा 8.आज दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें 9.महान कार्य करने के लिए हमें सपने देखने के साथ-साथ कार्य भी करना होता है 10.मजाक में भी कई सच्‍ची बातें निकल आती है. 11.ज्ञान ऐसा ख़ज़ाना होता है जो अपने स्वामी के साथ हमेशा रहता है 12.सुरक्षा सुझाव अपने खाते को सुरक्षित रखें : निजी संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक जगहों पर प्रकाशित न करें। 13.समझदारी दो तरफा मार्ग है 14.कभी भी किसी ऐसे व्‍यक्ति को हतोत्‍साहित न करें जो लगातार प्रगति कर रहा हो, भले ही उसकी गति कितनी ही धीमी क्यों न हो 15.आपको वही कार्य करना चाहिए जो आपको अपने लिए असंभव लगता है.16.देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है 17.पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 18.जीत के लिए प्रतिभा आवश्यक है, और उसे दोहराने के लिए चरित्र 19.अपने स्रोत को किस तरह छुपाएं ये जानना ही रचनात्मकता का राज़ है 20.अपने काम में ख़ुशी तलाशने का प्रयत्न करें अन्यथा आप कभी नहीं जान पाएंगे कि ख़ुशी क्या होती 21.अपने आप को जोखिम में न डालें. वह सब कुछ, जो आपके पास है, वह आप स्वयं हैं. 22.हमें यह करना है कि हमेशा नए दृष्टिकोणों को परखने के लिए उत्सुक रहें और नए प्रभाव ग्रहण करते रहें 23.हमें यह करना है कि हमेशा नए दृष्टिकोणों को परखने के लिए उत्सुक रहें और नए प्रभाव ग्रहण करते रहें 24.मूर्ख और पागल हमेशा अपने बारे में सुनिश्चित होते हैं, जबकि समझदार संशयग्रस्‍त होते हैं 25.कार्य करने से परिणाम मिलता है, सिर्फ बोलने से कुछ हासिल नहीं होता. 26.विरोध के बदले शांति अनुभव करना चुनें 27.भविष्य का पूर्वानुमान करने का सबसे अच्छा तरीका उसे बनाना है 28.समय की पाबंदी ऊबाउ व्यक्ति की विशेषता है (परंतु यदि आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, तो समय पर पहुंचे) 29.मुझे तूफानों से डर नहीं लगता क्‍योंकि मैं अपना जहाज़ चलाना सीख रहा हूं. 30.यदि भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है, तो भी लड़कर जीतने का प्रयास करें 31.उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 32. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है–उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 33.समझ का विकल्प गुस्सा नहीं है 34.महान कार्य करने के लिए आत्म-विश्वास सबसे पहली आवश्यकता है 35.सफलता अक्सर उन लोगों के पास आती है जिनके पास उसका इंतज़ार करने का समय नहीं होता 36.उत्साह खोए बिना एक विफलता से दूसरी की ओर जाने की क्षमता ही सफलता है 37.परिवर्तन जीवन का नियम है 38.कुछ लोगों में अपने वरिष्‍ठों के प्रति इतना सम्‍मान होता है कि उनके पास स्‍वयं के लिए कोई आत्‍मसम्‍मान नहीं बचा रह जाता 39.कमज़ोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं करता. क्षमा करना महान व्यक्ति की विशेषता होती है 40.कभी भी बहाने न बनाएं.आपके मित्रों को उनकी आवश्‍यकता नहीं है और आपके शत्रु उन पर विश्वास नहीं करेंगे 41.जब लोहा गरम हो, तो चोट करो. 42. नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है 43.प्‍यार पाने और खो जाने से बेहतर हैं कि प्‍यार कभी ना मिले. 44.उत्साह खोए बिना एक विफलता से दूसरी की ओर जाने की क्षमता ही सफलता है 45. आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे. 46.मजाक में भी कई सच्‍ची बातें निकल आती है 47.समय सर्वाधिक मूल्‍यवान चीज़ है, जिसे कोई ही मनुष्‍य ख़र्च कर सकता है 48.वर्तमान क्षण ही सबसे अच्‍छा समय है. 49.प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 50.किसी को अपनी मर्जी का काम करने को कहा जा सकता है, लेकिन उसकी मर्जी के बगैर करवाया नहीं जा सकता. 51.बिना हंसी का दिन व्यर्थ होता है 52.स्वार्थ का मतलब स्वयं की इच्छा के अनुसार जीना नहीं होता, इसका मतलब होता है दूसरों से भी आपकी इच्छा के अनुसार जीने को कहना 53. पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 54. यदि बाकी सब कुछ विफल हो जाता है, तो स्वाभाविक को आजमाएं. लड़ाई के लिए भी दो लोगों का होना जरूरी है 55. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है – उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 56.हठ वास्‍तविकता बन जाता है 57.कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है 58. सफलता अक्सर उन लोगों के पास आती है जिनके पास उसका इंतज़ार करने का समय नहीं होता 59.प्यार सभी को जीत लेता है 60.गुणवत्ता से समझौता न करें. 61. महसूस करने वालों के लिए ये दुनिया एक त्रासदी है, लेकिन सोचने वालों के लिए एक आनंद 62.यदि आप कभी भी डरते नहीं, या असहज नहीं होते, या चोट नहीं खाते, तो इसका अर्थ है कि आप कभी भी प्रयास ही नहीं करते 63.जीत के लिए प्रतिभा आवश्यक है,और उसे दोहराने के लिए चरित्र 64.कार्य करने से परिणाम मिलता है, सिर्फ बोलने से कुछ हासिल नहीं होता.65. समझ का विकल्प गुस्सा नहीं है. जब लोहा गरम हो, तो चोट करो.

मंगलवार, नवंबर 29, 2011

मद का प्याला-अहंकार

दि नरक को पास से देखना हो तो अहंकार के विचार अपना लीजिये, आपको पूरी दुनिया स्वार्थी नजर आने लगेगी. मद का दुसरा नाम शराब भी है जिसके पान के बाद बुद्धि सुप्त हो जाती है.अहंकार से सभी लौकिक और परलौकिक कर्म हमें अन्धकार के गर्त में ले जाते हैं.
अहंकार क्या है ?
-जब हम में "मैं" पन जाग जाता है. मैं और मेरे विचार, मेरी सोच ही हर जगह सही है, बाकी सब गौण या मूल्यहीन.
अहंकार होने के कारण-
धन-धनवान होने की भावना हमारे पर शासन करने लग जाये. हमारी सोच हमारे धन तक आकर ठहर जाये. हमारी द्रष्टि अन्य सद्गुणों की जगह सिर्फ धन को देखने लग जाये.
विद्या-वैसे तो विद्या हमें विनय तक ले जाने वाली होती है मगर हम खुद को विद्धवान समझने की भूल कर देते हैं तब हमें हमारे ज्ञान के अलावा सब फीका लगने लग जाता है.
जवानी-जवानी के जोश में हम अपने को करता-धरता मान बैठते हैं. हमें वृद्ध और पूजनीय लोगो की सलाह नागवार गुजरती है. यदि जवानी के साथ परमात्मा रूप -रंग भी प्रदान कर देता है तो हम अंधे तो जाते हैं.
कुल-यदि हम उच्चे कुल में जन्म ले लेते हैं तो बाकी के कुल को हम हेय मान बैठते हैं. हम अपने कुल पुरुषो की थाती के विपरीत कर्म करने लग जाते हैं.
धर्म-हम जब कोई भी परोपकार के, मानवता के भले के लिए कर्म करते है तो हम यह शीघ्र भूल जाते है की हमारे द्वारा किये जा रहे कर्म हमारे कर्तव्य हैं.हम अपने किये जाने वाले या कर चुके शुभ कर्मो का जोरशोर से ढिंढोरा पीटने लग जाते हैं.बड़ी-बड़ी नाम पट्टिकाए अपने नाम की लगाकर खुश होते हैं.
कीर्ति-यदि किसी शुभ कर्म के कारण हम लोकप्रिय हो जाते हैं तब हम अपनी कीर्ति का सुख लेने में लग जाते हैं. हमें लगाता है की नियंता भी हमारे सम्मुख कुछ भी सत्ता नहीं रखता है. हम अपनी यश गाथा को अपने मुंह से सुनाते हैं और दुनिया से सुनना पसंद करते हैं.
विजय-हमें अपनी छोटी मोटी हर सफलता पर घमंड हो जाता है, हम यह भूल जाते हैं की सफलता सिर्फ हमारे अकेले के सुप्रयासो का फल नहीं होती है वरन समय, प्रकृति नियति, परिवार और मित्र वर्ग के पूर्ण सहयोग से मिलती है.
संतान-यदि हमें सुयोग्य संतान मिल जाती है तो हम उसे अपने कर्म से जोड़ लेते हैं और अपने ही मुख से संतानों की प्रशंसा सारे जग में करते रहते हैं.
अहंकार के दुष्परिणाम-
1. अहंकार हमें कर्तव्य पथ से दूर ले जाता है.
2. अहंकार हमें मित्रो से विहीन कर देता है.
3. अहंकार हमारी योग्यता को कुंठित कर देता है.
4. अहंकार हमारे इर्दगिर्द भ्रम का निर्माण कर देता है.
5. अहंकार हमारे शुभ कर्मो का क्षरण कर लेता है.
6. अहंकार हमें नित नयी विपत्तियों में डाल देता है.
7. अहंकार हमें असफलता के नजदीक ले जाता है.
8. अहंकार हमारे विवेक का हरण कर लेता है.
9. अहंकार हमें इष्टमित्रो से दूर कर देता है.
10. अहंकार हमें आलोचना से परिचय करवाता है.
11. अहंकार हमें उद्दंड बना देता है .
12. अहंकार हमें नकारात्मक बना देता है.
13. अहंकार से अनचाहे संघर्ष उत्पन्न होते हैं.
14. अहंकार से असहयोग को जन्म देता है.
15. अहंकार से दुनिया हमसे नफरत करने लग जाती है.
16. अहंकार के कारण अनुकूल भी प्रतिकूल में बदल जाता है
अहंकार का त्याग कैसे करे-
1. हमें जो कुछ मिला है वह सामूहिक प्रयत्नों का फल है इसलिए सफलता में कृतज्ञ बने.
2. कर्म के परिणाम अगर अच्छे हैं तो सब में बराबर बाँट दे और बुरे हैं तो स्वयं पर ले ले.
3. हमें अपने कर्तव्यो का ज्ञान रहे परिणामो पर समय व्यतीत नहीं करे ,उत्सव नहीं मनाये.
4. स्वयं को निमित्त मात्र माने, यह काम तो होने ही वाला था मगर नियति ने मुझे गोरवान्वित कर दिया इसलिए नियति की कृतज्ञता प्रगट करे.
5. विनयी बने, विवेकशील बने .
6. समस्त कर्मो का फल नियति को समर्पित कर दे.

सोमवार, नवंबर 28, 2011

अनमोल वचन-चार

1. अपने नीति-बोध को भलाई के आड़े न आने दें 2. यदि आप किसी को नहीं बताना चाहते हैं, तो इसे न करें 3. बचाया गया हर पैसा, कमाए गए पैसे के बराबर है. 4. दिन लंबे हैं, लेकिन साल छोटे हैं 5. शायद मैं वहां नहीं गया, जहां मैं जाना चाहता था, लेकिन मुझे लगता है कि मैने वहां समाप्त किया है जहां मुझे करना चाहिए था. (डगलस ऐडम्‍स) 6. कार्य स्वयं आपको बताता है कि इसे कैसे किया जाए 7. वादे कर्ज़ के समान होते हैं जिन्हें कभी न कभी चुकाना होता है 8. कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 9. अशिक्षित व्यक्ति को इस दुनिया में जानवर के समान समझा जाता है 10. जल्‍दी सोना, जल्‍दी जागना, व्‍यक्‍ति को स्‍वस्‍थ, धनवान और बुद्धिमान बनाता है. 11. जब आप विकल्पों पर विचार करते हैं तो बुढ़ापा भी इतना बुरा नहीं लगता 12. पुस्तक ज्ञान का भंडार होती है 13. महान आत्‍माओं को हमेशा ही मध्यम स्तर की सोच वालों से हिंसक विरोध का सामना करना पड़ा है. (अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन) 14. ज्ञान ऐसा ख़ज़ाना होता है जो अपने स्वामी के साथ हमेशा रहता है 15. आशा और प्रत्‍याशा अक्‍सर वास्‍तविकता से बेहतर होते हैं. 16. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 17. वर्तमान क्षण ही सबसे अच्‍छा समय है. 18. खुशियां अच्छे स्वास्थ और बुरी यादों से ज्यादा कुछ नहीं है 19. वह,जो कभी-कभी होता है अद्भुत होता है.20. यदि भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है, तो भी लड़कर जीतने का प्रयास करें 21. जीवन में एक अवसर, अक्‍सर आता है, इसलिए तैयार रहें. 22.  युवाओं के पास वे इच्‍छाएं होती हैं, जो कभी ख़त्‍म नहीं होतीं, बूढ़ों के पास उन चीज़ों की स्‍मृतियां होती हैं, जो कभी नहीं हुईं  23. भविष्य उन लोगों का होता है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास करते हैं. 24. यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 25. जीवन का उद्देश्य जीने में निहित है, और जिज्ञासा को जीवित रखा जाना चाहिए. व्‍यक्ति को कभी भी, किसी भी कारण से, जीवन से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. 26. अपने काम में ख़ुशी तलाशने का प्रयत्न करें अन्यथा आप कभी नहीं जान पाएंगे कि ख़ुशी क्या होती है 27. यदि आप किसी को नहीं बताना चाहते हैं, तो इसे न करें 28. लोगों को अच्छे और बुरे में विभाजित करना निरर्थक है. लोग आकर्षक या उबाऊ होते हैं 29. कुछ चीज़ों में कर्मठता और कुशलता असंभव है. महान कार्य शक्ति से नहीं, दृढ़ता से संपन्‍न किए जाते हैं 30. आपके पास बहुत कम समय है, इसे दूसरों का जीवन जीने में बर्बाद न करें 31.  भविष्य का पूर्वानुमान करने का सबसे अच्छा तरीका उसे बनाना है 32. कल किसने देखा है. आज को जियो 33. आगे का मार्ग जानने के लिए, उनसे पूछे जो लौट रहे हैं 34. सफलता अक्सर उन लोगों के पास आती है जिनके पास उसका इंतज़ार करने का समय नहीं होता 35. सादगी ही सर्वश्रेष्ठ दुनियादारी है 36. कार्य स्वयं आपको बताता है कि इसे कैसे किया जाए 37. ऐसा काम ना करें, जो किसी को बता ना सकें 38. महसूस करने वालों के लिए ये दुनिया एक त्रासदी है, लेकिन सोचने वालों के लिए एक आनंद

गुरुवार, नवंबर 17, 2011

अनमोल वचन-तीन

1. मुझे तूफानों से डर नहीं लगता क्‍योंकि मैं अपना जहाज़ चलाना सीख रहा हूं.  2. आज किसी व्यक्ति की तारीफ़ करके देखें 3. धैर्य आशा करने की ही एक कला है 4. आप सबसे बड़ी विजय किसी को विनम्रता में पीछे करके ही प्राप्‍त कर सकते हैं 5. जो पक्षी पहले आता है वह कीट को पकड़ लेता है. लेकिन दूसरे चूहे को ही मक्खन मिलता है. 6. यदि आप चाहते हैं कि दूसरे ख़ुश रहें, तो करुणा का भाव रखें. यदि आप चाहते हैं कि स्‍वयं ख़ुश रहें, तो करुणा का भाव रखें. 7. शांति, दान की ही तरह, घर से शुरु होती है. 8. ईश्वर करे हमारा ह्रदय रूपी बगीचा खिले हुए सैकड़ों सजीव फूलों से भर जाए. (हीच नात हान) 9. हमें यह करना है कि हमेशा नए दृष्टिकोणों को परखने के लिए उत्सुक रहें और नए प्रभाव ग्रहण करते रहें 10.हमें ख़ुद को वैसा बनाना चाहिए जैसा परिवर्तन हम दूसरों में चाहते हैं 11.कुछ चीज़ों में कर्मठता और कुशलता असंभव है. महान कार्य शक्ति से नहीं, दृढ़ता से संपन्‍न किए जाते हैं. 12. एक समझदार मौन किसी वक्तव्य से अधिक अर्थपूर्ण होता है 13. समय की पाबंदी ऊबाउ व्यक्ति की विशेषता है (परंतु यदि आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, तो समय पर पहुंचे) 14. सफलता अंत नहीं होती, विफलता घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है 15. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है – उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 16. अंहकार ही पतन का कारण है. 17. जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है।18. सहानुभूति मनुष्य के हृदय में निवास करने वाली वह कोमलता है, जिसका निर्माण संवेदना, दया, प्रेम तथा करुणा के सम्मिश्रण से होता है। 19. आलिंगन सर्वोत्तम उपहार है: सभी इसे पसंद करते हैं और वापस करने पर कोई इसका बुरा भी नहीं मानता 20. परिवर्तन जीवन का नियम है. 21. सादगी ही सर्वश्रेष्ठ दुनियादारी है 22. अब समय है कुछ नया प्रयास करने का 23. अवसर प्रतीक्षारत है, आप को केवल दरवाज़ा खोलने की जरूरत है. 24. समय सर्वाधिक मूल्‍यवान चीज़ है, जिसे कोई मनुष्‍य ख़र्च कर सकता है 24. कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को हतोत्साहित न करें जो लगातार प्रगति कर रहा हो, भले ही उसकी गति कितनी ही धीमी क्यों न हो 25. कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 26. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है – उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 27. दूसरो की गलतियों को उसी रूप में देखें जैसे आप अपनी गलतियों को देखते हैं 28. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 29. जैसी करनी वैसी भरनी. 30.कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 31.  प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 32. कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है 33. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं. 34. नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है 35. यदि भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है, तो भी लड़कर जीतने का प्रयास करें 36.बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय 37.यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 38.विरोध के बदले शांति अनुभव करना चुनें 39.यदि आप प्यार पाना चाहते है, तो प्यार करने योग्य बनें 40. सुरक्षा सुझाव अपने खाते को सुरक्षित रखें : यदि आप सहभाजित कंप्यूटर पर हों तो प्रत्येक सत्र के बाद लॉग आउट करना ना भूलें। 

बुधवार, नवंबर 02, 2011

अनमोल वचन-दो

1. स्वयं को किसी की ज़रूरत बनाएं  2. समय सर्वाधिक मूल्‍यवान चीज़ है, जिसे कोई महान मनुष्‍य ही ख़र्च कर सकता है  3. पुस्तक ज्ञान का भंडार होती है 4. आज कुछ नया सीखने का प्रयत्न करें 5. जैसा अन्न, वैसा मन 6. स्वयं को किसी की ज़रूरत बनाएं 7. ईमानदारी सर्वश्रेष्‍ठ नीति है.8. कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है 9. जहां मन रम जाए वहीं घर. 10. अपने नीति-बोध को भलाई के आड़े न आने दें 11. आज ख़ुशी बांटने का एक बेहतरीन दिन है 12.  कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है13. जैसी करनी वैसी भरनी.14. देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है 15.  हम जैसा सोचते हैं, हम वैसे हो जाते हैं (पर कृपया खुद को सुपरहीरो न समझें और उड़ने का प्रयास न करें) 16. पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 17. आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे.18. अपने नीति-बोध को भलाई के आड़े न आने दें 19. देखें आप क्या कहते हैं – जो कुछ भी नहीं कहते, उनमें से कुछ ख़ामोश हैं 20.जैसी करनी वैसी भरनी.21. जीवन में सबसे बड़ी ग़लती जो आप कर सकते हैं, वो है ग़लती कर जाने के लगातार बने रहने वाले डर से डरना 22. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें  23. यदि आप कभी भी डरते नहीं, या असहज नहीं होते, या चोट नहीं खाते, तो इसका अर्थ है कि आप कभी भी प्रयास ही नहीं करते 24. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं.25.हर पीढ़ी स्वयं की कल्पना अपने से पिछली पीढ़ी से अधिक बुद्धिमान और अपनी अगली पीढ़ी से अधिक समझदार के रूप में करती है 26. प्रयास करें और विफल हों, परंतु प्रयास करने में कभी विफल न हों 27. आज पुराने मित्र को संदेश भेजें 28. आज दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें 29. प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 30.युवाओं के पास वे इच्छाएं होती हैं, जो कभी ख़त्म नहीं होतीं, बूढ़ों के पास उन चीज़ों की स्मृतियां होती हैं, जो कभी नहीं हुईं 31.अभ्‍यास परिपूर्ण बनाता है.32. उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 33. जिंदगी एक किताब की तरह है: महत्व इस बात का है कि वह कितनी अच्छी है, इसका नहीं कि वह कितनी लंबी है 34. अध्‍ययन ऐसा करो जैसे कि आपको हमेशा जीना है.ऐसे जियो जैसे जीवन का अंतिम समय निकट हो 35. मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. 36. जैसी करनी वैसी भरनी.37. आप भला तो जग भला.38. निराशावादी व्यक्ति प्रत्येक अवसर में समस्या देखता है;आशावादी व्यक्ति प्रत्येक समस्या में अवसरों को देखता है. 39.नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है 40. प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 41. पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 42. हर बात के दो मतलब होते हैं 43. यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 44. जब लोग बातें करते हैं तो उन्हें ध्यान से सुनें. अधिकांश लोग सुनते नहीं 45. यदि भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है, तो भी लड़कर जीतने का प्रयास करें 46. हर बात के दो मतलब होते हैं. 47.आगे का मार्ग जानने के लिए, उनसे पूछे जो लौट रहे हैं 48. दूसरो की गलतियों को उसी रूप में देखें जैसे आप अपनी गलतियों को देखते हैं.49 स्वयं को किसी प्रतिभा या अन्य तरीके से विलक्षण बनाएं 50.अच्छा श्रोता केवल लोकप्रिय ही नहीं होता, बल्कि वह कुछ समय बाद कुछ जानने भी लगता है 51. आज आप ऐसी भाग्य कुकी देखेंगे जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा 52. जब लोहा गरम हो, तो चोट करो.53.ज्‍़यादा समय तक क्रोध नहीं करना चाहिए. 54. परिवर्तन जीवन का नियम है 55. आज व्यायाम करें 56. मित्र वही होता है जो आपको बेहतर तरीके से जानता है और आपसे उतना ही प्यार करता है 57. लोगों को अच्छे और बुरे में विभाजित करना निरर्थक है. लोग आकर्षक या उबाऊ होते हैं 58. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 59. मजाक में भी कई सच्‍ची बातें निकल आती है. 60 मौका मिले तो चूको मत. 61. थोड़ी सी चूक से बड़ी हानि होती है  62. अपने आप को जोखिम में न डालें. वह सब कुछ, जो आपके पास है, वह आप स्वयं हैं. (जैनिस जॉपलिन) 63. मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. 64. सफलता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा विफलता का डर होता है. 65. आलस्‍य एक दिलचस्प किंतु कष्टप्रद स्थिति है; हमें ख़ुश होने के लिए कुछ करना ही होगा

मंगलवार, नवंबर 01, 2011

अनमोल वचन-एक

1. शांति, दान की ही तरह, घर से शुरु होती है. 2. ज्‍़यादा समय तक क्रोध नहीं करना चाहिए. 3. ईमानदारी सर्वश्रेष्‍ठ नीति है.4. लोगों को अच्छे और बुरे में विभाजित करना निरर्थक है. लोग आकर्षक या उबाऊ होते हैं 5. देखें आप क्या कहते हैं – जो कुछ भी नहीं कहते, उनमें से कुछ ख़ामोश हैं 6. अभ्‍यास परिपूर्ण बनाता है.7. प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 8.  स्वार्थ का मतलब स्वयं की इच्छा के अनुसार जीना नहीं होता, इसका मतलब होता है दूसरों से भी आपकी इच्छा के अनुसार जीने को कहना 9. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. 10. यदि आप प्यार पाना चाहते है, तो प्यार करने योग्य बनें 11.  कमज़ोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं करता. क्षमा करना महान व्यक्ति की विशेषता होती है 12. आज व्यायाम करें 13.  सफलता अंत नहीं होती, विफलता घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है 14. ज्‍़यादा समय तक क्रोध नहीं करना चाहिए 15.  अचानक आया तुफ़ान, जल्द ही थम जाता है. 16. जो आपके करीब है उन्हें खुश रखें, और जो आपसे दूर हैं वो एक दिन ज़रूर आपके क़रीब आएंगे 17. कई लोगों की राय लेने से काम बिगड़ जाता है. 18. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं. 19.  आज का भाग्य: पढ़ें ऐसे जैसे आप हमेशा जीवित रहना चाहते हैं. जिएं ऐसे जैसे आप कल ही मरने वाले है. 20.  वर्तमान क्षण ही सबसे अच्‍छा समय है. 21.  अपने नीति-बोध को भलाई के आड़े न आने दें 22.  हर पीढ़ी स्‍वयं की कल्‍पना अपने से पिछली पीढ़ी से अधिक बुद्धिमान और अपनी अगली पीढ़ी से अधिक समझदार के रूप में करती है 23. आलस्य एक दिलचस्प किंतु कष्टप्रद स्थिति है; हमें ख़ुश होने के लिए कुछ करना ही होगा 24. निराशावाद से कभी कोई युद्ध नहीं जीत सकता 25.  आप सबसे बड़ी विजय किसी को विनम्रता में पीछे करके ही प्राप्त कर सकते हैं 26.  कुछ कार्य क्रम से करने पर ही सफल होते हैं. 27. देखें आप क्या कहते हैं – जो कुछ भी नहीं कहते, उनमें से कुछ ख़ामोश हैं 28.  बिना हंसी का दिन व्यर्थ होता है 29.  कार्य स्वयं आपको बताता है कि इसे कैसे किया जाए 30.  कुछ लोगों में अपने वरिष्ठों के प्रति इतना सम्मान होता है कि उनके पास स्वयं के लिए कोई आत्मसम्मान नहीं बचा रह जाता 31. ज्ञान ऐसा ख़ज़ाना होता है जो अपने स्वामी के साथ हमेशा रहता है 32. यदि आप सभी नियमों का पालन करने लगें, तो ज़िंदगी का पूरा मज़ा नहीं ले पाएंगे. 33.  हमारी कमज़ोरियां ही हमारी क्षमता बढ़ाती है. 34.  दोस्‍ती निश्‍चित ही प्‍यार में मिले जख्‍़मों के लिए सबसे बेहतर मरहम है. (जेन आस्‍टिन)35.  नए मित्र बनाने के लिए सही समय है 36.  महसूस करने वालों के लिए ये दुनिया एक त्रासदी है, लेकिन सोचने वालों के लिए एक आनंद 37.  उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 38.  साधारण होना ही महान होना है 39.  बिना गुण की सुंदरता बिना सुगंध के गुलाब की तरह है 40.  कुछ लोगों में अपने वरिष्ठों के प्रति इतना सम्मान होता है कि उनके पास स्वयं के लिए कोई आत्मसम्मान नहीं बचा रह जाता 41. यदि आप कभी भी डरते नहीं, या असहज नहीं होते, या चोट नहीं खाते, तो इसका अर्थ है कि आप कभी भी प्रयास ही नहीं करते 42.  व्यक्ति को जीवित रहने के लिए साफ छवि की आवश्यकता होती है 43.  जब लोग बातें करते हैं तो उन्हें ध्यान से सुनें. अधिकांश लोग सुनते नहीं 44.  नए मित्र बनाने के लिए सही समय है 45.  आज आप किसी ऐसे व्यक्ति को स्क्रैप क्यों नहीं करते, जिससे आपने वर्षों से बात नहीं की है? 46.  समझ का विकल्प गुस्सा नहीं है 47.  कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं. 48.  कुछ लोगों में अपने वरिष्ठों के प्रति इतना सम्मान होता है कि उनके पास स्वयं के लिए कोई आत्मसम्मान नहीं बचा रह जाता 49.  शांति, दान की ही तरह, घर से शुरु होती है 50.  अशिक्षित व्यक्ति को इस दुनिया में जानवर के समान समझा जाता है 51.  आवश्‍यकता आविष्‍कार की जननी है 52.  अपने दुश्‍मनों को माफ़ कर दें, लेकिन उनके नाम कभी न भूलें 53. यदि आप प्यार पाना चाहते है, तो प्यार करने योग्य बनें 54.  आज आप ऐसी भाग्य कुकी देखेंगे जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा 55. वादे कर्ज़ के समान होते हैं जिन्हें कभी न कभी चुकाना होता है 56. भलाई का कोई भी काम बेकार नहीं जाता, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो 57. यदि आप सभी नियमों का पालन करने लगें, तो ज़िंदगी का पूरा मज़ा नहीं ले पाएंगे 58. कुछ कार्य क्रम से करने पर ही सफल होते हैं 59. प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 60. आलस्‍य एक दिलचस्प किंतु कष्टप्रद स्थिति है; हमें ख़ुश होने के लिए कुछ करना ही होगा 61. आलिंगन सर्वोत्तम उपहार है: सभी इसे पसंद करते हैं और वापस करने पर कोई इसका बुरा भी नहीं मानता 62.  कभी भी किसी ऐसे व्‍यक्ति को हतोत्‍साहित न करें जो लगातार प्रगति कर रहा हो, भले ही उसकी गति कितनी ही धीमी क्यों न हो 63.  आप सबसे बड़ी विजय किसी को विनम्रता में पीछे करके ही प्राप्‍त कर सकते हैं 64. आज दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें 65. एक समझदार मौन किसी वक्‍तव्‍य से अधिक अर्थपूर्ण होता है 66. यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 67. समय या अवसर संबंधों की घनिष्‍ठता नहीं दर्शाते; यह व्‍यवहार पर निर्भर करता है. (जेन ऑस्‍टिन) 68. हमें यह करना है कि हमेशा नए दृष्टिकोणों को परखने के लिए उत्सुक रहें और नए प्रभाव ग्रहण करते रहें 69. समय की पाबंदी ऊबाउ व्यक्ति की विशेषता है (परंतु यदि आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, तो समय पर पहुंचे) 70. आपके पास बहुत कम समय है, इसे दूसरों का जीवन जीने में बर्बाद न करें 71. चीज़ों को शुरु में एक मिनट व्यवस्थित करने से, बाद में एक घंटा बचाया जा सकता है. 72. आलिंगन सर्वोत्तम उपहार है: सभी इसे पसंद करते हैं और वापस करने पर कोई इसका बुरा भी नहीं मानता 73. रोज़ एक सेब खाना सेहत के लिए फायदेमंद है 74. सफलता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा विफलता का डर होता है 75. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है – उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 75. पुराने कामों को पूरा करने का अच्छा समय है. 76. आशा और प्रत्‍याशा अक्‍सर वास्‍तविकता से बेहतर होते हैं. 77.आज किसी के लिए कुछ अच्छा करें 78. कल्पनाशक्ति, ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है  79. मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. 80.समय की पाबंदी ऊबाउ व्यक्ति की विशेषता है (परंतु यदि आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, तो समय पर पहुंचे) 81.दिन लंबे हैं, लेकिन साल छोटे हैं 82. रूठे हुए को मनाना जिंदगी है दूसरों को हंसाना जिंदगी है कोई जीतकर खूश हुआ तो क्या हुआ सब कुछ हारकर मुस्कराना भी जिंदगी है। 83.कुछ लोगों में अपने वरिष्‍ठों के प्रति इतना सम्‍मान होता है कि उनके पास स्‍वयं के लिए कोई आत्‍मसम्‍मान नहीं बचा रह जाता.

शनिवार, अक्तूबर 29, 2011

नाम के लिए कुर्सी का कोई फायदा नहीं

रमेश कुमार जैन ने "सिर-फिरा" दिया नाम से गूगल के ब्लॉग "ब्लॉग की खबरें" पर प्रकाशित एक विवादित पोस्ट को पूरा पढ़ने और समझने के लिए यहाँ पर और पोस्ट के नाम पर क्लिक करें. यह विवाद 03 जुलाई 2011 से लेकर 23 जुलाई 2011 लेकर चला था. जिसमें सिध्दांतों और कार्यशैली को लेकर लेखन व विचारों के माध्यम से युध्द हुआ.फिर मैंने "सच लिखने का ब्लॉग जगत में सबसे बड़ा ढोंग-सबसे बड़ी और सबसे खतनाक पोस्ट" नामक पोस्ट लिखने की श्रखंला शुरू की. जिससे यहाँ पर किल्क करके पढ़ा जा सकता हैं.
मेरे बड़े भाई हरीश सिंह जी, आपने इस नाचीज़ "सिरफिरा" को "प्रसार व्यवस्थापक" के पद के योग्य पाया है. उसके लिए आपका दिल की गहराइयों से शुक्रगुजार हूँ. जब आपने मुझे "सहयोगी" के रूप में शामिल किया था.तब मैंने लिखा था कि-आपने मुझे इसमें शामिल करके जो मान-सम्मान दिया है. उसका शुक्रगुजार हूँ. मगर फ़िलहाल कुछ निजी समस्याओं के कारण मैं ज्यादा योगदान देने में असमर्थ रहूँगा.
      मुझे आपसे एक शिकायत है कि आपने एक बार मुझे फोन करके या ईमेल भेजकर नहीं पूछा. मेरा विचार आपको "प्रसार व्यवस्थापक" बनाने का है. आप क्यों एक तरफा फैसले लेते हैं? मुझे ऐसी कुर्सी नहीं चाहिए. जिसके लिए मैं मानसिक रूप से तैयार न होऊं.मुझे "नाम" नहीं "काम" चाहिए. जब मैं काम करने में असमर्थ हूँ. तब नाम के लिए कुर्सी का कोई फायदा नहीं है. हमारे देश में कुर्सी के लिए स्वार्थी लोगों/नेताओं क्या कोई कमी है? आप मेरे संदर्भ में कोई भी फैसला लेने से पहले मुझसे बातचीत जरुर करें. उपरोक्त "प्रसार व्यवस्थापक" पद के नियमों-शर्तों और जिम्मेदारियों से अवगत करवाए बिना मुझे पद नहीं देना चाहिए था. अगर आप चाहते हैं कि-पद पर बना रहूँ तब आप मुझे नियमों-शर्तों और जिम्मेदारियों से अवगत करवाए. अगर ऐसा करने में असमर्थ हैं.तब आप मेरा इस्तीफा स्वीकार करें. मुझे उपरोक्त पद के बारें में जानकारी प्रदान करें कैसे "प्रचार" की व्यवस्था बनाकर रखनी होगी? कितने व्यक्ति है जो मेरे अंतर्गत कार्य करेंगे और कितने लोग ने इस पद के लिए मेरे नाम का समर्थन किया था? क्या यहाँ(ब्लॉग जगत) में कोई भी कुर्सी कोई भी ले सकता है. मैं पद की "गरिमा" का सम्मान करते हुए कह रहा हूँ. कल को मेरे कार्य के संतोषजनक न होने पर आप हटा दें, उससे पहले मैं स्वयं एक तरफा लिए फैसले के कारण पद से त्याग पत्र देता हूँ. मेरे पास एक प्रकाशन परिवार के साथ पहले ही अनेक जिम्मेदारियां है. इसलिए बिना नियमों-शर्तों और जिम्मेदारियों से अवगत हुए पद ग्रहण नहीं कर सकता हूँ और अवगत कराने पर पद स्वीकार करने को तैयार भी हूँ. लेकिन मेरी निजी समस्याओं को देखते हुए मेरे कार्य की समीक्षा करने को पूरा ब्लॉग जगत और प्रबंध मंडल निर्णय लेने में काबिल हो तो और मेरे निजी कारणों में कुछ सहायता करने की हामी भरें. वैसे ब्लोग्स जगत में एक "दिखावा" की दुनियां कायम हो रही हैं. जिसको मैं पसंद नहीं करता हूँ.
        मैंने अपना एक नया  शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय ब्लॉग बनाया है.जिसमें मुझे बहुत से शोध कार्य करने हैं. मैंने भी अपने गुरुवर श्री दिनेश राय द्विवेदी जी को उसमें शामिल करने का मेरा मन है.मगर मैंने पहले उनकी अनुमति प्राप्त करना उचित समझा. इसका उदाहरण आप यहाँ देख सकते हैं.
नोट: यह पोस्ट पहले "भारतीय ब्लॉग समाचार" ब्लॉग पर प्रकाशित हो चुकी है.
         अगर आप मेरे अन्य ब्लॉग को पढ़ने के इच्छुक है. तब आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे "सिरफिरा-आजाद पंछी", "रमेश कुमार सिरफिरा", सच्चा दोस्त, आपकी शायरी, मुबारकबाद, आपको मुबारक हो, शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन, सच का सामना(आत्मकथा), तीर्थंकर महावीर स्वामी जी, शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय और शकुन्तला महिला कल्याण कोष, मानव सेवा एकता मंच एवं  चुनाव चिन्ह पर आधरित कैमरा-तीसरी आँख (जिनपर कार्य चल रहा है) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं.

हत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा, यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें. हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें  क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे?  नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें

शुक्रवार, अक्तूबर 14, 2011

दोस्ती को बदनाम करती लड़कियों से सावधान रहे.

यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे...
प्रिय पाठकों, आज दोस्ती के मायने बदल चुके हैं. आप दोस्ती जैसे पवित्र नाम को बदनाम करती लड़कियों से सावधान रहे. आज मेरी फेसबुक पर एक लड़की से हुए वार्तालाप में मेरा अनुभव नीचे देखें और सच्ची दोस्ती की परिभाषा को व्यक्त करता मेरा ब्लॉग देखें (दोस्ती की बड़ी नाजुक होती है डोर http://sachchadost.blogspot.com/2010/11/blog-post.html)
लड़की :-namaskar sirfire j (नमस्कार सिरफिरे जी )
सिरफिरा:-आपको भी नमस्कार जी,
लड़की :-aap kin kin baton ka jawab dene me samarth hain­ ­ (आप किन-किन बातों का जवाब देने में समर्थ हैं)
सिरफिरा:- जैसे-जैसे मौत की घड़ियाँ नजदीक आती गई ! वैसे-वैसे अर्थी उठाने वालों की संख्या बढती गई !!
लड़की :- bekaar hai­ ­ ye wala­ ­(बेकार है ये वाला)
सिरफिरा:-इसको कहते है हिम्मत वाली लड़की, सच बोलने वाली
लड़की :-ji han­ ­,mujhe jo pasand nh aata saaf bol deti hun­ ­(जी हाँ, मुझे जो पसंद नहीं आता साफ़ बोल देती हूँ)
सिरफिरा:-इसी का नाम ईमानदारी और स्पष्टवादिता कहते हैं.
लड़की :-acha btao ab ki kin kin baton ka jawab de te ho aap­ ­(अच्छा बताओ अब कि किन-किन बातों का जवाब देते हो आप)
सिरफिरा:-जिसका जवाब मालूम नहीं होता उसका ईमानदारी और स्पष्टवादिता से मना कर देंगे.
लड़की :- thk hai­ ­ (ठीक है)
सिरफिरा:-किसी को बीच में नहीं लटकाते है.
लड़की :- mera cell recharge kra do ge plz­ ­ (मेरा सेल रिचार्ज करा दोगे प्लीज़)
सिरफिरा:-बिल्कुल नहीं ? यह कार्य कोई हुश्न के दीवाने करते हैं.
 लगभग आधे घंटे के बाद तक जवाब नहीं आने पर 
सिरफिरा:-आप एक सिरफिरे और पत्रकार को मूर्ख बनाने चली थीं. दोस्ती को पैसों के लिये बदनाम करना उचित नहीं.अगर तुम्हारी दोस्ती में पवित्रता होती तो जवाब मिलने के बाद भी वार्तालाप जारी रखती.Chat Conversation End

शनिवार, सितंबर 24, 2011

आमंत्रण पत्र-अनपढ़ और गंवारों के समूह में शामिल होने का

दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि "अनपढ़ और गँवार" लोगों का भी कोई ग्रुप इन्टरनेट की दुनिया पर भी हो सकता है? मैं आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से करवा रहा हूँ. जो हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हिंदी प्रेमी ने बनाया है. जो अपना "नाम" करने पर विश्वास नहीं करता हैं बल्कि अच्छे "कर्म" करने के साथ ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने आपको "अनपढ़ और गँवार" की संज्ञा से शोभित कर रहा है.अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा, तब आप इस लिंक पर "हम है अनपढ़ और गँवार जी" जाकर देख लो. वैसे अब तक इस समूह में कई बुध्दिजिवों के साथ कई डॉक्टर और वकील शामिल होकर अपने आपको फक्र से अनपढ़ कहलवाने में गर्व महसूस कर रहे हैं. क्या आप भी उसमें शामिल होना चाहेंगे?  फ़िलहाल इसके सदस्य बहुत कम है, मगर बहुत जल्द ही इसमें लोग शामिल होंगे. कृपया शामिल होने से पहले नियम और शर्तों को अवश्य पढ़ लेना आपके लिए हितकारी होगा.एक बार जरुर देखें.
"हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह का उद्देश्य-

प सभी को नमस्कार जी, यहाँ पर बिना किसी धर्म, जाति और भेदभाव के ही देश प्रेम की भावना को सबसे बड़ा धर्म मानते हुए हिंदी और भारत देश की क्षेत्रीय भाषा के हित में कार्य करने हेतु समूह का निर्माण किया है.यह मेरा नहीं आपका समूह है.इसको आगे लेकर जाना भी हम सब का काम है.ना यहाँ कोई मालिक और ना कोई नौकर है. बस "इंसानियत" ही एक हमारी पहचान है. 
इस ग्रुप में लगाईं फोटो मेरे पिता स्व.श्री राम स्वरूप जैन और मेरी माताश्री फूलवती जैन जी की है. जो अनपढ़ है. मगर उन्होंने अपने तीनों बेटों को कठिन परिश्रम करने के संस्कार दिए.जिससे इनके तीनों बेटे अपने थोड़ी-सी पढाई के बाबजूद कठिन परिश्रम के बल पर समाज में एक अच्छा स्थान रखते हैं. 
    इनके अनपढ़ और भोले-भाले होने के कारण इन्होने दिल्ली में आने के चार साल बाद ही अपनी बड़ी बेटी स्व. शकुन्तला जैन को दहेज लोभी सुसराल वालों के हाथों जनवरी,सन-1985 में गँवा दिया था और तब मेरे अनपढ़ माता-पिताश्री से दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों ने कोरे कागजों पर अंगूठे लगवाकर मन मर्जी का केस बना दिया. जिससे सुसराल वालों को कानूनरूपी कोई सजा नहीं मिल पाई. गरीबों के प्रति फैली अव्यवस्था और सरकारी नीतियों के कारण ही पता नहीं कब इनके सबसे छोटे बेटे रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा के सिर पर लेखन का क्या भुत सवार हुआ. फिर लेखन के द्वारा देश में फैली अव्यवस्था का विरोध करने लगा.    
       मेरे माता-पिताश्री के आर्थिक रूप से ज्यादा संपन्न ना होने के कारण मेरी पढाई ज्यादा नहीं हो पाई. इसलिए मुझे अंग्रेजी नहीं आती हैं. अत: आपसे विनम्र अनुरोध है आप इस ग्रुप में अपने पढ़े-लिखें होने का मुझे अहसास करवाते हुए "अंग्रेजी" में टिप्पणी ना करें. आज मैं थोड़ा बहुत जो भी "पत्रकार" हूँ, अपनी कठिन परिश्रम करने की लगन और बहुत सारे अच्छे दोस्तों व विद्वानों का लेखन को पढकर उनका अपने जीवन में अमल करने पर ही इस योग्य बन पाया हूँ.    
       यह ऐसे लोगों का समूह है, जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती....इस तरह के जीव आजकल "अनपढ़ और गँवार" कहे जाते हैं....कारण है न इसका, यह समय के साथ नहीं न चल पाए......अब बताओ भला, यह भी कोई बात है ? क्या कहा अंग्रेजी नहीं आती ? लानत है तुम पर, "अनपढ़ और गँवार" कहीं का ! कुछ ऐसी ही टिप्पणियाँ अक्सर इन जीवों को सुनने को मिलती है.कई बार ऐसे व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं. अब इनको दुबारा स्कूल में भेजना संभव नहीं है. लेकिन देखो जी ! अब क्या करें हम, जो हैं सो हैं. अनपढ़ और गँवार ही सही.तब यह सोचा कि कहीं हम अकेले ही तो अनपढ़ और गँवार तो नहीं ? अपनी तरह के क्यों नहीं कुछ और जीवों की खोज की जाए. ऐसे जीवों को यहाँ इकठ्ठा करना ही इस समूह का उद्देश्य है.
     मेरा उन सभी से निवेदन है कि जो संसारिक जीवन की किताबें पढ़ चुके है ओर जीवन की असली किताब "इंसानियत" को पढ़ने से वंचित रह गए थें. वो सभी "अनपढ़" ग्रुप में अपने आप को शामिल करें ओर अपने दोस्तों को शामिल करके देश और मानवता को आगे लेकर जानने में हमारा सहयोग करें. आप सभी महानुभवों से अनुरोध है कि-यहाँ पर केवल हिंदी में ही टिप्पणी और संदेश लिखें. जिनको हिंदी के फॉण्ट की परेशानी हो वो थोड़ा सा ज्यादा कष्ट करें और अपना सहयोग दें. देखो भाई लोगों...जो भी भाषा बोल सको बोलो...कोई बंदिश नहीं...जिसको समझना होगा समझेगा, ना समझ पाए तब वो जाने. लेकिन यहाँ अनपढों को पूर्ण आश्रय मिलेगा.
    इसलिए आप यहाँ अनपढों का ध्यान रखते हुए. अपनी टिप्पणी या संदेश हिंदी में ही लिखें. इसका पालन ना करने वाले संदेश या टिप्पणी को यहाँ से हटा दिया जाएगा.मुझे अंग्रेजी के छोटे और सरल शब्दों को हिंदी में लिखे जाने पर कोई एतराज नहीं है. जैसे OFFICE को हिंदी में "ऑफिस" लिखने पर कोई एतराज नहीं है. वैसे हिंदी में ऑफिस का अर्थ "दफ्तर" होता है और अपने किसी भी दोस्त को इस समूह में बिना उसकी अनुमति के शामिल ना करें. बल्कि उसको इसमें शामिल होने के लिए इस ग्रुप का लिंक भेजकर शामिल होने का निवेदन करें. बाकी उसकी मर्जी पर छोड़ दीजिए और उस पर किसी प्रकार का दवाब ना बनाये. बस यही शर्त है यहाँ शामिल होने की. धन्यवाद !
     वैसे हम मानते हैं कि हिंदी की टाइपिंग थोड़ी मुश्किल तो है, मगर इतनी मुश्किल भी नहीं है कि-हिंदी की टाइपिंग सीखी/करी न जा सकें.फिर हिंदी की टाइपिंग कौन-सी असंभव चीज है, जो करी न जा सकें. कहा जाता है कि-आसान कार्य तो सभी करते हैं, मगर मुश्किल कार्य कोई-कोई करता है. इसी सन्दर्भ में एक कहावत भी है कि-गिरते हैं मैदाने जंग में शेरे सवार,वो क्या खाक गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं.बस अपने मन में ठानकर निरंतर प्रयास करना शुरू कर दीजिये. तब देखना कैसे हिंदी पर आपकी उंगुलियां अपने आप कैसे और किस गति से चलती है.
       अगर आपको हिंदी लिखने में परेशानी होती हो तब आप यहाँ (http://www.google.co.in/transliterate) पर जाकर हिंदी में संदेश लिखें .फिर उसको वहाँ से कॉपी करें और यहाँ पर पेस्ट कर दें. दोस्त, ऊपर दिए लिंक पर आप जाकर रोमन में इंग्लिश लिखो और स्पेस दो.आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा.जैसे-dhanywad = धन्यवाद
       आनलाइन हिंदी लिखने का यह नया टूल गेट2होम बड़ा ही क्रांतिकारी अविष्कार है। दुनिया की तमाम भाषाओं में इसमें न सिर्फ लिखना आसान होता है बल्कि वहीं से सीधे आप इसे ट्विटर, फेसबुक पर पोस्ट कर सकते हैं। इसे आप सीधे मेल भी कर सकते हैं। शेयर कर सकते हैं और जीप्लस पर भी पोस्ट कर सकते हैं। खुद ही आजमाकर देखिए। इसका लिंक है- http://gate2home.com/Hindi-Keyboard इसमें जाकर दाहिनी तरफ ऊपर अपनी मनचाही भाषा बदल सकते हैं।
   इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें जाने हेतु ब्लॉग देखें. 
     आखिर हम कब तक सारे हिन्दुस्तानी एक दिन का "हिंदी दिवस" मानते रहेंगे? क्या हिंदी लिखने/बोलने/समझने वाले अनपढ़ होते हैं? क्या हिंदी लिखने से हमारी इज्जत कम होती हैं? अगर ऐसा है तब तो मैं अंगूठा छाप हूँ और मेरी पिछले 35 सालों में इतनी इज्जत कम हो चुकी है, क्योंकि इतने सालों तक मैंने सिर्फ हिंदी लिखने/बोलने/समझने के सिवाय कुछ किया ही नहीं है. अंग्रेजी में लिखी/कही बात मेरे लिए काला अक्षर भैंस के बराबर है. आइये दोस्तों, हम सब संकल्प लें कि-आगे से हम बात हिंदी में लिखेंगे/बोलेंगे/समझायेंगे और सभी को बताएँगे कि हम अपनी भाषा को एक दिन की भाषा नहीं मानते हैं. अब देखते हैं यहाँ कितने व्यक्ति अपनी हिंदी में टिप्पणियाँ करते हैं? 
     दोस्तों और सदस्यों को एक निवेदन-इस समूह में हिंदी से जुडी तकनीकी जानकारी और टूल, लिंक आदि अगर आपकी जानकारी में हो उसको प्रयोग करने का तरीका सरल भाषा में लिखकर यहाँ पर टिप्पणी/संदेश के रूप में पोस्ट/प्रकाशित करें. जिससे कुछ अन्य व्यक्ति भी आपकी जानकारी से लाभानित होंगे और आपको दुआएं देंगे.
     दुश्मनों को दोस्त बनाने में ही बहादुरी है. इसलिए दुश्मनों को भी दोस्त बनाना सीखो, दोस्तों को दुश्मन बनाना तो बहुत आसान काम है. किसी दोस्त से मतभेद होना कोई बड़ी बात नहीं, किसी दोस्त के प्रति मनभेद होना बहुत बड़ी बात है.   
     आप विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं-
 उपरोक्त वार्तालाप को यहाँ डालने का उद्देश्य है. सभी यहाँ नियमों का पालन करें. यहाँ पर किसी अपमान करना मेरा उद्देश्य नहीं है. नियमों की अनदेखी पर मैं बहुत सख्त हूँ. आप यहाँ पर अपना किसी भी प्रकार की विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं.यह समूह व्यक्ति विशेष का नहीं है.बल्कि हम सभी है. जिसमें महिलाएं और पुरुष शामिल है. इसलिए यहाँ पर विचारों में शालीनता होनी चाहिए. मुझे उम्मीद है. आप सभी "अनपढ़ और गंवारों" का सहयोग प्राप्त होगा.
     अंग्रेजी को छोड़कर आप भारतीय किसी भाषा और लिपि का प्रयोग कर सकते हैं. लेकिन एक से ज्यादा भाषा में संदेश को डालते समय उसमें एक हिंदी लिपि का होना आवश्क है. अगर आपको एक से अधिक भाषों का ज्ञान है. तब आप अपनी प्रतिभा दिखाए. हर प्रतिभाशाली का उत्साह में खुद बढ़ाऊंगा.
रमेश कुमार सिरफिरा= क्या आपने समूह के नियम नहीं पढ़ें, यहाँ पर फ़िलहाल नाम और लिंक को छोड़कर एक शब्द अंग्रेजी में नहीं होना चाहिए.अपने संदेश में सुधार करें. नहीं तो हटा दिया जाएगा.यहाँ हिंदी को लेकर सख्त नियम बनाये है. कृपया ऐसे व्यवहार के लिए क्षमा करें.
Vaibhav Ajmera= एक बार और देख ले बंधू ..........कही कुछ गलत नहो जाय ,,,,,,,,क्योंकि किसी के नियमो की अवहेलना करना मेरा उद्देश्य नहीं है............वरण आध्यात्मिक विचारो का प्रसार करना .....न की स्वयं का प्रचार................आपकी आध्यात्मिक विनम्रता के लिए साधुवाद !!!!
रमेश कुमार सिरफिरा=आपको भी. बिल्कुल सही है, उच्चारण में पढ़े के स्थान पर आपने पड़े लिख दिया है. मगर उच्चारण की बात समझते हैं लोग.
हिंदी मैं नाम लिखने की भीख मांगता एक पत्रकार- 
मुझ "अनपढ़ और गँवार" नाचीज़(तुच्छ) इंसान को ग्रुप/समूह के कितने सदस्य अपनी प्रोफाइल में अपना नाम पहले देवनागरी हिंदी में लिखने के बाद ही अंग्रेजी लिखकर हिंदी रूपी भीख मेरी कटोरे में डालना चाहते है.किसी भी सदस्य को अपनी प्रोफाइल में नाम हिंदी में करने में परेशानी हो रही हो तब मैं उसकी मदद करने के लिए तैयार हूँ. लेकिन मुझे प्रोफाइल में देवनागरी "हिंदी" में नाम लिखकर "हिंदी" रूपी एक भीख जरुर दें. आप एक नाम दोंगे खुदा दस हजार नाम देगा. आपके हर सन्देश पर मेरा "पंसद" का बटन क्लिक होगा. दे दो मुझे दाता के नाम पे, मुझे हिंदी में अपना नाम दो, दे दो अह्ल्ला के नाम पे, अपने बच्चों के नाम पे, अपने माता-पिता के नाम पे. दे दो, दे दो मुझे हिंदी में अपना नाम दो.
प्रश्न:-मुझे देवनागरी में नाम लिखने से सर्च करने में परेशानी होती है....इसलिए मैंने रोमन में लिखा हुआ है.....जो भी नाम देवनागरी में लिखे हैं, वो सर्च करने पर नहीं मिलते हैं.
उत्तर:-अपनी प्रोफाइल में हिंदी में नाम कैसे लिखें:-आप सबसे पहले "खाता सेट्टिंग " में जाए. फिर आप "नेम एडिट" को क्लिक करें. वहाँ पर प्रथम,मिडिल व लास्ट नाम हिंदी में भरें और डिस्प्ले नाम के स्थान पर अपना पूरा नाम हिंदी में भरें. उसके बाद नीचे दिए विकल्प वाले स्थान में आप अपना नाम अंग्रेजी में भरने के बाद ओके कर दें. अब आपको कोई भी सर्च के माध्यम से तलाश भी कर सकता है और आपका नाम हर संदेश और टिप्पणी पर देवनागरी हिंदी में भी दिखाई देगा. अब बाकी आपकी मर्जी. हिंदी से प्यार करो या बहाना बनाओ.
          उपरोक्त समूह के माननीय/आदरणीय सदस्यगणों से विनम्र अनुरोध हैं कि अपनी कोई भी टिप्पणी/संदेश अंग्रेजी में यहाँ ना डाले. किसी भी सदस्य को समूह का नियम याद नहीं करवाया जाएगा. मेरी नज़र पड़ते ही तुरंत हटा दिया जाएगा. कृपया ख्याल रखे यह "अनपढों और गंवारों" का समूह है और भविष्य में सभी ध्यान रखेंगे. बार-बार निवेदन करने से मुझे शर्म आ रही हैं. मगर "हम नहीं सुधरेंगे" प्रवृत्ति के व्यक्ति नहीं समझ रहें हैं.

गुरुवार, अगस्त 25, 2011

माफ़ी मांग लेने के बाद क्या मामला खत्म समझ लेना चाहिए?

 श्री मनीष तिवारी के माफ़ी मांग लेने के बाद क्या यह मामला खत्म समझ लेना चाहिए? एक शर्त पर उसे रामलीला मैदान में जाकर श्री अन्ना हजारे जी के पांव पकडकर माफ़ी मागनी चाहिए, वर्ना यह माफ़ी के काबिल नहीं, क्योंकि जिस ढंग से बोला था, उसमें अहंकार दिखता था कुर्सी का, जब मनीष तिवारी श्री अन्ना हजारे जी जैसे महान आदमी के विरुध्द् ऎसा बोलता है. तब हम‍‍ तुम जैसे के संग कैसे बोलता होगा? इसलिए इन‌का अंहकार जरुर तोडना चाहियॆ, जाये और‌ अन्ना के पांव पकड कर माफ़ी मांगे, फ़िर श्री अन्ना जी की मर्जी माफ़ करें या नहीं.
 
श्री मनीष तिवारी जी, मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ कि आपने कौन से स्कूल में पढाई की है और किस मास्टर ने आपको पढाया है कि अपने से 28 साल बड़े व्यक्ति को "तुम" कहना चाहिए? बल्कि आयु में इतने बड़े व्यक्ति को "पिता" तुल्य समझा जाता है.मै मानता हूँ कि राजनीति में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगया जाता हूँ. क्या आपके माता‍‍ पिता ने आपको इतने भी संस्कार नहीं दिए? बल्कि आप स्वयं ब्राहमण कुल परिवार से हो फिर पता नहीं आपने इतनी बड़ी गलती कैसे कर बैठे और फिर माफ़ी मांगने में भी ग्यारह दिन लगा दिए.

रविवार, अगस्त 07, 2011

दोस्तों, क्या आपको "रसगुल्ले" खाने हैं

दोस्तों, हमारी गुस्ताखी माफ करना! वैसे गूगल के विद्वानों के अनुसार हमारी गलती माफ करने के काबिल नहीं हैं. फिर भी इस नाचीज़ का "सिर-फिरा" हुआ है. यह समझकर माफ़ कर देना. हमारे पास एक अगस्त को नवभारत टाइम्स के ब्लॉग संपादक की एक ईमेल आई. हम ठहरे अनाड़ी, अनपढ़, गंवार और सिरफिरे. उनके ब्लॉग पर हमें जो परेशानी आ रही थी. गूगल की सुविधा कहूँ या तारीफ करते हुए वो सब लिखकर पूरी भड़ास(दोनों ईमेल नीचे देखें) निकाल दी. अब गूगल की थाली में घी ज्यादा देखकर नवभारत टाइम्स ब्लॉग के संपादक कई लेख एक के एक बाद पाठकों को जानकारी देने वाले प्रकाशित करने शुरू कर दिए है. जोकि इनके शीर्षक "अन्य" में "आप और हम" ब्लॉग में हर रोज एक या दो छप रहे हैं. अब हमें जो भी समस्या आ रही है, उसकी उनके लेखों पर टिप्पणी के रूप में खूब आलोचना कर रहे हैं. हमारी आलोचनाओं का जवाब में श्रीमान जी "मेरी खबर" और "राजनीति" नामक डिब्बे में  "रसगुल्ले" हमें दे रहें. अब कहेंगे कि रसगुल्ले मिल रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है. अरे! भाई अगर हमें शुगर की बीमारी हो गई. तब दवाई के पैसे कौन देगा? हम यह सोचकर ज्यादा चिंतित हो रहे हैं.  इन दिनों अपनी हालत कुछ ज्यादा ही पतली जो चल रही हैं.
ब आप खुद देखें. इस लिंक में "अपनी पोस्ट का स्टेटस कैसे जानें? http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/aapaurhum/entry/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AA-%E0%A4%B8-%E0%A4%9F-%E0%A4%95-%E0%A4%B8-%E0%A4%9F-%E0%A4%9F%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%B8-%E0%A4%9C-%E0%A4%A8      
कह रहे हैं कि किसी भी ब्लोग्गर की पोस्ट तीन दिन से पहले प्रकाशित नहीं होगी. फिर हमने यहाँ यह "आदरणीय संपादक जी, ब्लॉगर की जानकारी के लिए आप अच्छे लेख प्रकाशित कर रहे है. मेरे पास आपके इस लेख के हिसाब से बहुत "रसगुल्ले" है. मगर आपका तीन दिन का नियम के कारण नही डालता हूँ. मैं आपके उपरोक्त लेख से सहमत हू. मुझे अब अगले कई दिन तक समय नही मिलेगा/मिलता है. इसलिए अपने अनेक लेख मैने अपने ब्लॉग पर डाल दिए. जिससे मेरा एक लेख हर तीन दिन बाद आ सके"  टिप्पणी भी कर दी और इसलिए हमने अगले पंदह दिन के हिसाब से अपना कोटा भेज दिया. अब आप यह दोनों लिंक (नीचे) देखकर पता लगा लो. एक ही दिन में दो-दो पोस्ट को छाप रहे हैं.
प्रचार सामग्री:-दोस्तों/पाठकों, यह मेरा नवभारत टाइम्स पर ब्लॉग. इस को खूब पढ़ो और टिप्पणियों में आलोचना करने के साथ ही अपनी वोट जरुर दो.जिससे मुझे पता लगता रहे कि आपकी पसंद क्या है और किन विषयों पर पढ़ने के इच्छुक है. नवभारत टाइम्स पर आप भी अपना ब्लॉग बनाये.मैंने भी बनाया है. एक बार जरुर पढ़ें.
संपादक, नवभारत टाइम्स ब्लॉग की आई ईमेल
 मस्ते, नवभारत टाइम्स के ‘अपना ब्लॉग’ का आपने जिस तरह से स्वागत किया है, उससे हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई है। हमें लग रहा है कि हमारी मेहनत सफल रही। एक महीने से कम समय में ही करीब 400 ब्लॉगर इससे जुड़ चुके हैं और अपना ब्लॉग एक परिवार-सा बन गया है।
             लेखक के परिचय के मार्फत इस परिवार के सदस्य एक-दूसरे को जानने भी लगे हैं। कुछ सदस्यों ने अपना परिचय विस्तृत रूप में नहीं दिया है। अगर वे चाहें तो अपने परिचय या तस्वीर में सुधार कर सकते हैं। यदि आप चाहें तो अपने ब्लॉग का नाम भी बदल सकते हैं। यह सब करने के लिए बस आपको एक मेल भेजनी है। पता वही – nbtonline@indiatimes.co.in
             सके साथ ही हम आपसे एक छोटी-सी जानकारी पाना चाहते हैं। हमने अपने प्रोफाइल पेज पर आपके शहर या गांव के नाम के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी थी जिस कारण हमें यह नहीं मालूम है कि आप कहां रहते हैं। यह जानकारी जरूरी है ताकि यदि आप अपने इलाके की कोई खबर दें तो वह खबर इस ब्लॉग के अलावा नवभारत टाइम्स की मेन साइट में शहरों की खबरों के साथ भी दिखे। इसके लिए आपको एक छोटा-सा काम करना है। आप इस मेल के जवाब में अपने शहर या गांव का नाम अंग्रेजी में लिखकर हमें भेज दें। यह मेल पढ़ने के तुरंत बाद ही यह काम कर दें क्योंकि कहते हैं न शुभस्य शीघ्रम। अच्छे काम में देरी नहीं करनी चाहिए।
                   ‘पना ब्लॉग’ के संबंध में कभी भी कोई समस्या हो, आप nbtonline@indiatimes.co.in पर तुरंत मेल करें और साथ में अपना मोबाइल नंबर भी दें। हम आपसे जल्द से जल्द संपर्क करेंगे और आपकी समस्या सुलझाएंगे।                                       -संपादक, नवभारत टाइम्स ब्लॉग

नवभारत टाइम्स ब्लॉग के संपादक को भेजी ईमेल
श्रीमान जी, मैंने आपकी वेबसाइट पर लगभग एक सप्ताह पहले अपना ब्लॉग बनाया है. यहाँ पर अगर छोटी-छोटी समस्याओं में सुधार कर दिया जाए. तब यहाँ पर "गूगल" की तरह से ब्लोग्गर बहुत ब्लॉग बनायेंगे. आपने इस पर तकनिकी जानकारी और ब्लॉग के कुछ नियमों और शर्तों को हिंदी में  नहीं दे रखा है. इस मामले में "गूगल" बहुत आगे है. आगे जाने के लिए सुधारों की जरूरत होती है. यहाँ पर फोटो भी जल्दी से लोड नहीं होती है. जहाँ पर पोस्ट डाली जा रही है, वो भी हिंदी में नहीं है. पोस्ट को प्रकाशित करने का आपके पास अधिकार होने के कारण पोस्ट देरी से प्रकाशित होती है. इसमें सुधार होना चाहिए. पाठक किसी भी ब्लॉग जाकर उलझ सा जाता है. एक ब्लोग्गर अपने ब्लॉग का लिंक आसानी से नहीं बता सकता है, क्योंकि उसका लिंक बहुत बड़ा है. गूगल पर इसी समस्या नहीं है. वहां पर कितनी भी फोटो डाल सकते हैं, मगर आपके यहाँ नहीं. आपके यहाँ पर कई बॉक्स अंग्रेजी में आते हैं, जिनके बारें में कम पढ़ें-लिखे कहूँ या तकनिकी जानकारी न होने के कारण व्यक्ति को परेशानी आती है.
                 बकि गूगल में एक बार "हिंदी" सलेक्ट करने के बाद उसको बार-बार किसी जानकारी के अभाव में किसी समस्या से नहीं जूझना नहीं पड़ता है. जहाँ पर आप ब्लोगों का नाम दिखाते हैं. अगर वहां पर हर ब्लोगर की अंतिम पोस्ट का शीर्षक दिखाए. नाम से नहीं पाता चल पाता है कि-लेखक ने क्या लिखा है. बल्कि शीर्षक से काफी कुछ जाना जा सकता है. एक ऐसा कॉलम होना चाहिए कि-किसी भी ब्लोग्गर को उसके नाम या उसके ब्लॉग के नाम से ढूढा जा सके. जैसे-मान लो मेरा नाम रमेश कुमार जैन है. उस बॉक्स में मेरा नाम डालते ही मेरे ब्लॉग का नाम आना चाहिए और अगर कोई ओर भी रमेश कुमार जैन हो तो उसके भी ब्लॉग का नाम आ जाना चाहिए, क्योंकि मैं अकेला रमेश कुमार जैन नहीं हूँ. ब्लॉग का नाम बदलने और तस्वीर में सुधार करने का अधिकार ब्लोगर के पास ही होने चाहिए. गूगल में यह सुविधा है. विषय-बहुत कम है, यह भी असीमित होने चाहिए. जैसे- मेरी खबर, राजनीती आदि. अपराध, महिला, परिवार, कानून, जागरूकता आदि भी होने चाहिए. वैसे इसको भी ब्लोग्गर के ऊपर रहने दे तब ज्यादा अच्छा है. जहाँ न्यू  एंट्री पर लिखा  वहां पर बॉक्स अंग्रेजी में है और जितने भी टूल है. उनको प्रयोग करने में परेशानी होती है और कई के बारें में जानकारी नहीं है. जैसे-गूगल में व्यवस्था है कि-उपरोक्त ब्लॉग पर कितने व्यक्ति या पाठक आ चुके हैं. यह संख्या बताई जाती हैं, आपके यहाँ पर इसी व्यवस्था होनी चाहिए कि-उपरोक्त पोस्ट को अब तक इतनी बार देखा जा चूका है. इससे ब्लोग्गर का हौंसला बढ़ता है. फ़िलहाल तो इतनी समस्याओं से परिचय हुआ है.इसमें कई चीजों को शामिल करने की आवश्कता है. जो ब्लोग्गर को पहचान दिलाने के साथ ही मददगार हो सकती हैं. बाकी फिर.....
नोट:-आपकी ईमेल के निर्देशानुसार मेरा नाम, शहर का नाम और फ़ोन नं.निम्नलिखित है.
Ramesh Kumar jain > uttam nagar, New dehli फ़ोन:09910350461,09868262751,011-28563826

प्रचार सामग्री:-दोस्तों/पाठकों, यह मेरा नवभारत टाइम्स पर ब्लॉग. इस को खूब पढ़ो और टिप्पणियों में आलोचना करने के साथ ही अपनी वोट जरुर दो.जिससे मुझे पता लगता रहे कि आपकी पसंद क्या है और किन विषयों पर पढ़ने के इच्छुक है. नवभारत टाइम्स पर आप भी अपना ब्लॉग बनाये.मैंने भी बनाया है. एक बार जरुर पढ़ें.

सोमवार, अगस्त 01, 2011

अभी ! मैं दूध पीता बच्चा हूँ और अपना जन्मदिन कब मनाऊं ?



दोस्तों, आज मेरे दो  "सिरफिरा-आजाद पंछी" और "रमेश कुमार सिरफिरा" ब्लोगों का जन्मदिन (ब्लॉग जगत के नियमानुसार) हैं. जिससे आप परिचित भी है. उसकी प्रथम अभी तो अजन्मा बच्चा हूँ मेरे दोस्तों!  पोस्ट को मैं जानकारी के अभाव में 31 जुलाई को डाल पाया था. जिससे किन्ही कारणों के चलते 2 अगस्त को देखा गया था, क्योंकि मैंने उससे 31 जुलाई को केवल "सेव" कर लिया था. फिर एक अगस्त को काफी प्रयास करके उसको प्रकाशित किया था. मुझे इन्टरनेट कहूँ या ब्लॉग जगत की ए.बी.सी भी नहीं आती थी और फिर बहुत कम शिक्षा होने के कारण अंग्रेजी न आने की वजह से आज भी अंग्रेजी में आने वाली ईमेल को डिलेट कर देता हूँ. मुझे टिप्पणी आदि और किसी को लिंक कैसे भेजना  होता है की जानकारी नहीं थी. 
         शुरू के दिनों में लगातार 20-22 घंटे कंप्यूटर पर बैठकर लगातार अध्ययन और सिर्फ अध्ययन करने के साथ प्रयास करता रहा. पहले एक पोस्ट फिर दूसरी पोस्ट भी डाल दी. मगर कोई जानकारी नहीं हो रही थीं कि कोई पढ़ भी रहा है या नहीं, क्योंकि समाचार पत्र में तो संपादक के नाम प्रशसकों और आलोचकों के पत्र आते रहते थें. संत कबीरदास के एक दोहे की प्रेरणा से आलोचकों अपने समाचार पत्र में सर्वक्ष्रेष्ट पत्र को थोडा इनाम तक देता था. इसके पीछे मेरी अपनी एक कमजोरी थीं, उसके द्वारा बताई गलतियों को दोहराने से मेरी पत्रकारिता में निखार आने लगा था और समाचार पत्र को विज्ञापन ज्यादा मिलने लग गए थें. मगर यहाँ यह व्यवस्था कैसे हो? इसकी कोई जानकारी नहीं थीं. 
 फिर मैंने अपने दो ब्लोगों पर एक ही तीसरी पोस्ट गुड़ खाकर, गुड़ न खाने की शिक्षा नहीं देता हूँ   डाल दी.उसके बाद मुझे एक पहली टिप्पणी मिली थी. वो मेरे गुरुवर जी की थी. उस टिप्पणी के सन्दर्भ में अपनी बात रखी और कई जानकारी प्राप्त की. आप देखें वो टिप्पणी-श्री दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…एक ही काम के लिए दो ब्लाग क्यों? शब्द पुष्टिकरण हटाएँ। आप के काम समाज में सकारात्मक योगदान कर रहे हैं। Friday, August 06, 2010 6:59:00 PM उसके बाद बिमारी की हालत में गलती से बने दो ब्लोगों पर अलग-अलग विषयों से संबंधित समाचार या लेख प्रकाशित करने का विचार किया. आज आप देखते भी होंगे.
      हाँ एक-एक से एक महानुभवों का जमावड़ा हैं. मैं आज भी ब्लॉग जगत की बहुत चीजों के चलते अनाड़ी हूँ और यहाँ पर बड़े-बड़े खिलाडी है. मैं भी चिंतित हूँ कि ब्लॉग जगत मीडिया के विकल्प के रूप में उभरकर आये और इसके  सदस्यों की संख्या 20-50 हजार हो जाए. तकनीकी जानकारी की भाषा इतनी सरल और आम-बोलचाल में हो कि-उसको एक अनाड़ी भी उपयोग में ला सकें. मैं बहुत दिनों तक पोस्ट कैसे दिखेंगी जानकारी के कारण वंचित रहा. जिससे तकनीकी जानकारी ना हो वो वेचारा क्या करेंगा. मैं आज भी ब्लॉग जगत का ए.बी ही सीख पाया हूँ. उससे आगे सिखने के लिए बहुत सारा अध्ययन कर रहा हूँ. मगर जटिल भाषा शैली के कारण बहुत ही थोड़ा-थोड़ा सीख पा रहा हूँ. अपने गुरुवर श्री दिनेशराय द्विवेदी के मार्गदर्शन से आगे बढ़ने के प्रयास भी कर रहा हूँ . मेरे विचार से:-यहाँ पर कुछ ऐसे लेख जो "ब्लॉग कैसे बनाये" की जानकारी देते हो उसका एक कालम हो.इससे नए ब्लोग्गर को बहुत फायदा होगा. हो सकता हैं मेरे विचार सही ना हो, मगर मेरा विश्वास है.अगर ऐसा होता है. तब ब्लॉग जगत मीडिया के विकल्प के रूप में बहुत आगे तक जा सकता हैं. यहाँ पर एक ब्लॉगर डी.ए.वी.पी(भारत सरकार की सरकारी विज्ञापन रिलीज करने वाली संस्था) और मार्किटिंग पर विज्ञापन के लिए निर्भर नहीं है. बातें बहुत सी है मगर फिर कभी.............
ब एक जिज्ञासा कहूँ या जानकारी मुझे अपने ब्लॉग का जन्मदिन कब मनाना चाहिए? क्या 19 जुलाई को या 31 जुलाई को या 2 अगस्त को? वैसे मेरे विचार में मेरा ब्लॉग "दूध पीता बच्चा है" क्योंकि गर्भकाल को न गिने तो मात्र मेरा ब्लॉग आज 3 महीने और 4 दिन का है. नन्हें शिशु को थोड़ा बड़ा होने दीजिए.फिर आप इसका जन्मदिन बना लेना उचित होगा. अभी तो यह केवल दूध पर ही निर्भर है.जरा अन्न-बन्न खाने लग जाने दो. सभी महानुभवों को दूध पीते बच्चे की ओर से प्रणाम. किसी प्रकार की गुस्ताखी के लिए क्षमा करें. क्षमादान से बड़ा कोई दान नहीं है.   
 दोस्तों, आप सब अच्छी तरह से परिचित होंगे कि-मैं कलम का सिपाही हूँ. मगर मेरे कुछ निजी कारणों से मेरी कलम का लेखन काफी समय से बंद था. अपनी निजी समस्यों के चलते मेरा परिचय 11 जुलाई 2010 को ब्लॉग जगत से परिचय हुआ. जानकारी के अभाव में सर्वप्रथम हम उसे एक वेबसाइट समझ बैठे. मगर अचानक 19 जुलाई 10 को एक कमाल हो गया. हम अपना भी ब्लॉग बना बैठे. मगर फिर जानकारी के अभाव में अगले 12 दिनों तक उस पर कुछ नहीं लिख सकें. अब हमें ब्लॉग जगत पर लिखते हुए कोई लगभग एक साल होने को है. अपनी निजी वैवाहिक समस्याओं के चलते वैसे हमने ज्यादा नहीं लिखा. मगर जितना लिखा, उतना सच लिखा. जहाँ एक ओर ब्लॉग जगत में अनेकों मित्र मिले, दूसरी ओर क़ानूनी ज्ञान देने वाले गुरुवर श्री दिनेश राय द्विवेदी जी जैसे गुरु मिले. जिन्होंने कदम-कदम पर निराशा के बादलों को दूर करके आशा में बदलने की कोशिश की, मगर हमारी भ्रष्ट न्याय व्यवस्था में अब तक कोई सफलता नहीं मिली. लेकिन उनके मार्गदर्शन में प्रयासरत हूँ. अनेक मित्रों  ने तकनीकी ज्ञान देकर काफी मदद की और कुछ हमारे सच लिखने के कारण अपने आप हमारे दुश्मन कहूँ या आलोचक बन बैठे. 

 
 म समाचार पत्र-पत्रिकाओं से जुडे होने के कारण ब्लॉग जगत की चालों और रणनीतियों के साथ कलाकारी से बिल्कुल अनजान है. लेकिन जैसे हम अपने समाचार पत्र में भारत सरकार के विभाग आर.एन.आई के नियमों का पालन करते हुए अपना नाम, पता और फोन नं. तक हर समाचार पत्र में लिखते हैं. उसी तरह से मैंने अपने सभी ब्लोगों में अपना पता, नाम, ईमेल और फोन नं आदि सब कुछ लिखा हुआ है. आज मुझे याद भी नहीं. कब किसकी सदस्यता ली. अपने सिखने के दौरान कहीं भी पढ़ने के लिए चला जाता था और उस मंच को नियमित रूप से पढ़ने के लिए बस ईमेल डाल देता था.पता ही नहीं चलता था. कहाँ-कहाँ,  क्या-क्या हो रहा है या हो जाता था. सिखने के चक्कर में इधर-उधर कहीं पर भी पंगा लेता रहता था. माउस को लेकर कहीं भी छेड़खानी(महिला से नहीं) करता रहता था. कभी कहीं से कोई अंग्रेजी में ईमेल आ जाती और पढ़ने में असमर्थ होने के कारण उस पर जगह-जगह पर क्लिक करके देखता था. बस और कुछ नहीं आता था.   
जैसे जैसे मुझे थोड़ी-थोड़ी जानकारी होती गई, मेरी किसी भी चीज़ को जानने की तीव्र जिज्ञासा और सिखने की लगन और कठिन परिश्रम ने काफी कुछ सीखा दिया है. मगर दूसरे ब्लोगों में नई-नई अनेक कलाकारियों को देखते हुए आज भी अपने आपको अभी अधुरा मानता हूँ. मुझे जब महसूस हुआ कि-उपरोक्त व्यक्ति को इस चीज़ का तकनीकी या दूसरा ज्ञान है. तभी मैंने उसके आगे ज्ञान की भीख मांगने के लिए अपनी झोली फैला दी. कुछ ने दुत्कार दिया और कुछ ने ज्ञान रूपी प्रकाश डालकर मेरी झोली को भर दिया. यहाँ  ब्लॉग जगत में सबसे अनाड़ी और कम पढ़ा-लिखा शायद मैं ही हूँ. इसलिए ब्लॉग जगत के विद्वान मेरे लेखन को सार्थक नहीं मानते हैं. मुझे अपनी बात को कहने के लिए कई वाक्यों का इस्तेमाल करना पड़ता है और वो उसी बात एक या दो वाक्यों में अपनी बात कह देते हैं. लेकिन मैंने अपनी पत्रकारिता और समाचार पत्रों में अपनी भाषा को बिलकुल सरल रखा. जिसे बेशक मेरे लेख कहूँ या समाचार पत्र विद्वान न भी पढ़ें, मगर जब उसका एक गरीब कहूँ कम पढ़ा-लिखा रिक्सा वाला, मोची या अन्य कोई पढ़े. तब उसको सारी बात समझ में आ जाए और उसको लगे कि-इसमें मेरे शब्दों में मेरी बात लिखी है और पढ़ते हुए ऐसा महसूस हो कि-मैं उसके सामने ही खड़ा होकर बात कर रहा हूँ. 
मेरे परिवार के आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण मेरी शिक्षा भी ज्यादा नहीं हुई थी. चाहे पत्रकारिता हो या अन्य कुछ भी सब कठिन परिश्रम से सीखा है. बहुत छोटी सी उम्र से बड़े-बड़े विद्वानों और जैन गुरुओं के कथनों को सुनकर समय और हालतों के अनुरूप उनकी शिक्षा का अमल अपने जीवन में करने लगा.अध्ययन और कुछ नया विचार करने के साथ लेखन ने पता नहीं कब पत्रकार के रूप में खड़ा कर दिया पता ही नहीं चला था. मुझे आज मुकाम तक पहुचने में पुस्तकों इतना बड़ा योगदान रहा है. जिसको मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता हूँ. (क्रमश:)
प्रचार सामग्री:-दोस्तों/पाठकों, http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/SIRFIRAA-AAJAD-PANCHHI/ यह मेरा नवभारत टाइम्स पर ब्लॉग. इस को खूब पढ़ो और टिप्पणियों में आलोचना करने के साथ ही अपनी वोट जरुर दो. जिससे मुझे पता लगता रहे कि आपकी पसंद क्या है और किन विषयों पर पढ़ने के इच्छुक है. नवभारत टाइम्स पर आप भी अपना ब्लॉग बनाये. मैंने भी बनाया है. एक बार जरुर पढ़ें.

गुरुवार, जुलाई 14, 2011

मेरे अन्य ब्लोगों का परिचय(प्रचार)

  आप भी अपने मित्रों को बधाई भेजें
"आपको मुबारक हो" के माध्यम से आप अपने स्कूलों व व्यापारिक मित्रों को उनके जन्मदिन, शादी की सालगिरह, उनके द्वारा कोई वाहन खरीदने आदि और अन्य किसी भी प्रकार की "बधाई" का संदेश नाममात्र शुल्क में भेज सकते हैं. आपके मित्र हैरान हो जायेंगे ! आप अपना संदेश कम से कम 5 दिन पहले भेज दें. किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी के लिए मुझे संपर्क करें. रमेश कुमार जैन @ सिरफिरा : 9910350461, 9868262751, 011-28563826
नोट : आप संदेश के साथ फोटो भी प्रकाशित करवा सकते हैं. आपको पासपोर्ट साइज़ की फोटो व संदेश (हिंदी में ) ईमेल द्वारा भेजना होगा. "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" द्वारा आप और आपके मित्र को एक-एक ईमेल भेजे जाने के साथ ही आपके मित्र को एक SMS भेजकर उपरोक्त ब्लॉग देखने का निवेदन किया जायेगा.
 
आपका स्वागत है शायरों की महफिल में
जी हाँ, आपका भी स्वागत है शायरों की महफिल में http://aap-ki-shayari.blogspot.com उपरोक्त ब्लॉग पर आप कोई भी शेर, तुकबंदी, ग़ज़ल और कविता आदि अपनी या संकलन की हुई रचनाएँ प्रकाशित करवाने के लिए भेज सकते है.बस हर रचना भेजते समय इतना ध्यान रखें कि-प्रत्येक रचना के साथ अपना पूरा नाम, पता, फ़ोन नं., ईमेल आदि के साथ यह जरुर लिखें. उपरोक्त रचना स्वंय की लिखी हुई है या संकलन की हुई है. अगर संभव हो तो अपनी पासपोर्ट साइज़ फोटो भी संग्लन करें. अगर आप अपनी रचना के साथ अपना नाम प्रकाशित नहीं करवाना चाहते हैं. तब रचना के साथ नाम न छापने का अनुरोध करना न भूलें. यहाँ एक बात गौरतलब है कि-किसी भी रचना के लिए किसी प्रकार का मेहनतना नहीं दिया जायेगा. 
नोट : आपकी शायरी ब्लॉग पर अपनी कोई भी रचना भेजने से पहले उपरोक्त ब्लॉग का अवलोकन एक बार जरुर कर लें.


"शकुन्तला प्रेस" का व्यक्तिगत "पुस्तकालय" क्यों?

यह "शकुन्तला प्रेस" का व्यक्तिगत "पुस्तकालय" है. जिसमें नियमित रूप से अध्ययन कर सकूँ. जैसे-हम अपने पुस्तकालय के लिए पुस्तक खरीद कर लाते हैं. उसी प्रकार से इसमें अपनी मर्जी से कुछ ब्लोगों और लिंकों का संकलन है.जैसे-हम अपने घर कोई वस्तु या किताब खरीदकर लाते हैं. उसको लेने और रखने का स्थान के साथ ही उसकी उपयोगिता पर विचार करते हैं, तब उसको घर लाते हैं. इसमें मैंने अपनी आवश्कता को महत्व दिया है. आप किसी प्रकार से नाराज न हो. मैंने केवल अपनी सुविधा के अनुसार ब्लोगों को अलग-अलग क्षेणी-क्षेणी देकर ब्लोगों के माध्यम से अपने ज्ञान में बढौतरी करने की कोशिश की, क्योंकि शुरु में ही सभी चीज़ों को  व्यवस्थित कर लेने से, बाद में एक घंटा बचाया जा सकता है. इस लाइब्रेरी में आप भी लिंकों या ब्लोगों का अध्ययन कर सकते हैं. मैंने बहुत पहले ही अपने ब्लॉग "सिरफिरा-आजाद पंछी" और "रमेश कुमार सिरफिरा" पर अपने दोस्तों के ब्लॉग को पूरा मान-सम्मान देते हुए. अपने ब्लॉग में "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" और "मेरे मित्रों के ब्लॉग" कालम  बना दिया था और उसमें उनके ब्लोगों के लिंकों को शामिल कर दिया था. 
मेरा बस यह कहना कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा. फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा करों तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनियां हमेशा याद रखें. धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य/कर्म कमाना ही बड़ी बात है. हमारे देश के स्वार्थी नेता "राज-करने की नीति से कार्य करते हैं" और मेरी विचारधारा में "राजनीति" सेवा करने का मंच है. 
कबीरदास जी अपने एक दोहे में कहते हैं कि-"ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही कोई ऊँचा नहीं हो जाता. इसके लिए हमारे कर्म भी ऊँचे होने चाहिए. यदि हमारा कुल ऊँचा है और हमारे कर्म ऊँचे नहीं है, तब हम सोने के उस घड़े के समान है. जिसमें शराब भरी होती है. श्रेष्ठ धातु के कारण सोने के घड़े की सब सराहना करेंगे.लेकिन यदि उसमें शराब भरी हो तब सभी अच्छे लोग उसकी निंदा करेंगे. इसी तरह से ऊँचे कुल की तो सभी सराहना करेंगे,  लेकिन ऊँचे कुल का व्यक्ति गलत कार्य करेगा. तब उसकी निंदा ही करेंगे. पूरा लेख यहाँ पर पढ़ें.
             अगर आप मेरे अन्य ब्लॉग को पढ़ने के इच्छुक है. तब आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे "सिरफिरा-आजाद पंछी", "रमेश कुमार सिरफिरा", सच्चा दोस्त, आपकी शायरी, मुबारकबाद, आपको मुबारक हो, शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन, सच का सामना(आत्मकथा), तीर्थंकर महावीर स्वामी जी, शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय और शकुन्तला महिला कल्याण कोष, मानव सेवा एकता मंच एवं  चुनाव चिन्ह पर आधरित कैमरा-तीसरी आँख (जिनपर कार्य चल रहा है) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं.  
पहले हमने यह भी लिखा हैRelated Posts Plugin for WordPress, Blogger...
यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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