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गुरुवार, जनवरी 05, 2012

दोस्त के नाम पर कलंक है सिरफिरा

म दोस्त के नाम पर कलंक है. चलो कुछ तो है. हम तो खुद को किसी काबिल समझते ही नहीं थें. आज फख्र हो रहा है कि हम कलंक के काबिल तो है.
लो दोस्तों ! मैं आपको पहले ही कहता था कि मैं अनपढ़ और गंवार/ सिरफिरा इंसान किसी भी काबिल नहीं हूँ. मगर आप अपने प्यार और स्नेह से मुझे खजूर के पेड़ पर चढाते रहे. हम आप सब अनेकों बार कहते रहे कि आप तुच्छ इंसान को तुच्छ ही रहने दो. हमें खजूर के पेड़ पर मत चढाओं. हममें भी अनेकों अवगुण है. हम भी गलतियों के पुतले है. हमसे भी गलतियाँ होती है. मगर आप तो हमारी चापलूसी करते थें शायद.  फेसबुक के प्रयोगकर्त्ता हमारे इस लिंक (जरा देखें-http://www.facebook.com/note.php?note_id=271490346234943)पर टिप्पणी की है. श्री गोपाल झा जी (http://facebook.com/gopaljha73) तो यह कहते हैं कि "सिरफिरा जी आप काफी घमंडी है और इतना घंमड ठीक नहीं होता है दोस्ती के लिये आप दोस्त के नाम पर कलंक है. आप लोग को भ्रमित करते है. जिनका स्वयं (Gopal के बारे में) के बारें में कहना है कि-निगान्हे निगाहों से मिला कर तो देखो,हम से रिश्ता बना कर तो देखो. अपनी प्रशंसा मैं स्वयं कैसे करूँ ? निन्दा करना मुझे आता नहीं. अब बताए कौन सही कह रहा है और कौन झूठ कह रहा है. इसका फैसला कैसे करूँ ? कुछ मुझे रास्ता दिखाए आप सभी.
         दोस्तों, मुझे तो लगता है कि मुझे अपना बहुत बड़ा आलोचक मिल गया. आपकी क्या राय है ? अब देखिये आलोचक द्वारा कुछ देने पर समर्थकों का भटकना स्वाभाविक है. जैसे-सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ "जन लोकपाल" कानून बनाने की नीयत अच्छी ना होने के श्री अन्ना हजारे के ब्यान पर सरकार के मंत्रियों ने भटकना शुरू कर दिया. कुछ बुध्दिजीवी वर्ग के नेता तो असभ्य और सभ्य भाषा में फर्क तक भूलकर लगे आरोप लगाने अन्ना टीम पर. इसलिए दोस्तों अपनी बात कहते हुए सयम रखना. लोगों को भी पता चले कि सिरफिरा के दोस्त सभ्य भाषा में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना जानते है.  आप मेरे एक नौजवान(इनकी उम्र कम और थोडा जवानी का जोश भी है) मित्र ने ऑनलाइन वार्तालाप में गलती कर दी थी. इसलिए उसकी वार्तालाप भी डाल रहा हूँ.
     Ankit Goyal-GUPAL ONLINE HO GAYA H KIYA रमेश कुमार सिरफिरा-नहीं, मेरे दोस्त नहीं है वो Ankit Goyal-YE (अपशब्द) APNE AAP KO MANTA KIYA H. रमेश कुमार सिरफिरा-दोस्त किसी के लिए अपशब्दों प्रयोग उचित नहीं. सभ्य भाषा में बात करें. Ankit Goyal-SOORY.RAMESH JI..रमेश कुमार सिरफिरा-उनकी गलत फहमियां दूर की जानी चाहिए. Ankit Goyal-OK M PURI KOSIS KARONGA.रमेश कुमार सिरफिरा-उनको कहिए आप अपनी शिकायत पूरे विस्तार से रमेश की वाल पर रखें. आपको समाधान जरुर मिलेगा. Ankit Goyal-OK,WE ONLINE H KIYA रमेश कुमार सिरफिरा-नहीं.
 दोस्तों, हमने अपनी समझ से श्री गोपाल झा जी को जवाब दे दिया. अब आपको उचित लगा या नहीं. इसकी आप जानो. अगर आज तक उससे हुई फेसबुक/ऑरकुट पर ऑनलाइन बातचीत का डाटा देखना हो तो मुझे ग्यारह तारीख तक का समय दे दो, क्योंकि मुझे अपने गुरु श्री राजीव मुनि जी महाराज के चरणों में पहुंचना है और दो-तीन दिन उनकी सेवा करने का लाभ लेना है और उनके ज्ञान के अमृत का रसपान करना है. उनके अनुसार पुरुषार्थ करना मनुष्य का कर्म है. सच कहने के लिए लेखनी से किया कर्म हिंसा की परिभाषा में नहीं आता है. हो सकता है मेरे गुरु जी या मैं गलत हो. लेकिन आपका क्या नजरिया है ? अपने मुझे विचारों से अवगत करवाए. भटके हुए राही को क्या आप सही रास्ता नहीं दिखायेंगे.
Gopal Jha· Friends with Manish Jain and 42 अन्य, सिरफिरा जी आप काफी घमंडी है और इतना घंमड ठीक नहीं होता है दोस्ती के लिये आप दोस्त के नाम पर कलंक है आप लोग को भ्रमित करते है इसलिये मैं आप से दोस्ती को खत्म कर लिया हूँ सरफिरा जी
रमेश कुमार सिरफिरा-‎Gopal Jha जी, हमसे दोस्ती खत्म करने के लिए और हमारी क्रोध से भरपूर टिप्पणी करने के लिए भी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन हमने अपना सब कुछ सार्वजनिक किया हुआ है. आप हमारी कौन-सी जानकारी से भ्रमित हुए आपने जिक्र नहीं किया. आपके शब्दों में हम दोस्त के नाम पर कलंक है. चलो कुछ तो है. हम तो खुद को किसी काबिल समझते ही नहीं थें. हमारी आलोचना और भी करों हमें अच्छा लगता है. हम आपकी टिप्पणी को हटाएंगे भी नहीं. अगर वो सभ्य भाषा में होगी. 
दोस्तों अगर आपको फेसबुक पर इस पोस्ट को गाने के साथ सुनने का मन है. तब यहाँ पर क्लिक करो और देखों कौन व्यक्ति अपने विचार रख रहा है ?

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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