शकुन्तला प्रेस के मोनोग्राम को धयान से देखें और उसमें लिखें शब्दों का अर्थ समझने की कोशिश करें. |
अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि,समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला हेतु जुनून,अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं.मुझे पता नहीं यह कितना सच है लेकिन आमआदमी को अपने विचारों व अनुभव द्वारा अन्याय का विरोध व अपने अधिकारों को लेने हेतु प्रेरित करने की एक छोटी-सी कोशिश ही है उपरोक्त ब्लॉग.
हम हैं आपके साथ
कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे.
सोमवार, अप्रैल 18, 2011
देशवासियों/पाठकों/ ब्लागरों के नाम संदेश:-
21 टिप्पणियां:
अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.
आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसत्यम शिवम् सुन्दरम बधाई हो
"किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई..." ---- फ़िर भी युगों से चल रही है...क्यों?
जवाब देंहटाएं----भैया क्या किसी धर्म में भ्रष्टाचार करना लिखा है...फ़िर भी हर जगह है ...बस यह मानव जो है न वही बार बार शैतान के पन्जे में आजाता है और कारे कुकर्म करता है...
अच्छी सोंच है ,मगर यहाँ पढता , समझाता कौन है ?? शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग पर आने से हिंदुत्व का विरोध करने वाले कट्टर मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष { कायर} हिन्दू भी परहेज करे.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच - हल्ला बोल
हल्ला बोल के नियम व् शर्तें
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
सार्थक पोस्ट। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है...अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सार्थक पोस्ट के लिए शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सार्थक प्रस्तुति के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बढ़िया पोस्ट! बधाई!
जवाब देंहटाएंकाश, आपकी बात लोगों की समझ में आती
जवाब देंहटाएं---------
समीरलाल की उड़नतश्तरी।
अंधविश्वास की शिकार महिलाऍं।
बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं॥ॐ शांति शांति शांतिः॥
अति सुंदर चिवार
जवाब देंहटाएंVery different and revolutionary thoughts
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंबच्चनजी तो बहुत पहले ही कह गए थे -वैर बढाते मंदिर ,मस्जिद ,मेल कराती मधुशाला !
जवाब देंहटाएंऔर बच्चनजी शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे -
कायस्थ कुल में जन्म लिया ,मेरे पुरखों ने इतना ,ढाला ,मेरे लोहू के अन्दर है ,
पचहत्तर प्रतिशत हाला ,
मेरे शव के पीछे चलने वालों -
रान नाम है सत्य न कहना -
कहना सच्ची मधुशाला ,
दुनिया वालों श्राद्ध करो तो मेरा तुम ऐसे करना ,पीने वालों को बुलवा कर ,खुलवा देना मधुशाला !
सार्थक पोस्ट के लिए बधाई
बहुत अच्छी सार्थक प्रस्तुति के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंसही लिखा है आपने, आप मेरे पास निसंकोच किसी को भी किसी भी वक्त भेज सकते हैं,हम हर वक्त मदद के लिए तैयार बैठे हैं.
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा ..
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - अज्ञान
भाई मुझे तो गलती नज़र नहीं आई , इसलिए एहसास करा पाना बहुत मुश्किल है। हाँ लेख पसंद आया । सभी बातें अच्छी लगीं । जेहन में रख ली हैं।
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