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सोमवार, अप्रैल 18, 2011

देशवासियों/पाठकों/ ब्लागरों के नाम संदेश:-

शकुन्तला प्रेस के मोनोग्राम को धयान से देखें और उसमें लिखें शब्दों का अर्थ समझने की कोशिश करें.

इन्टरनेट की दुनियां का यह नाचीज़ अनपढ़, ग्वार इंसान किसी प्रकार की अधिक जानकारी होने के कारण कभी भी किसी भी ब्लॉग पर पहुँच जाता हैं. कई बार उपरोक्त ब्लॉग पर अच्छी जानकारी वाली पोस्ट मिलती है और कई बार एक धर्म के समर्थक दूसरेधर्म के समर्थकों को अपशब्दों का प्रयोग करते हुए देखा.पता नहीं "कलम" जो तलवार से ज्यादा से भी ज्यादा खतनाक कार्य करती है को पता नहीं थोड़ा नाम कमाने के लिए उसकी पवित्रता को नष्ट करने पर क्यों तुले हुए है. मैंने कई ब्लोगों पर अपशब्दों का प्रयोग देखा है. इससे मेरा मन बहुत आहत हुआ है. इसलिए आज की पोस्ट कुछ लोगों की विचारधारा में परिवर्तन करने के उद्देश्य लिखी है. शायद कोई एक व्यक्ति अपनी विचारधारा में बदलाव ला सकें. क्या पाठकों लेखकों को किसी भी मुद्दे पर एक स्वस्थ बहस नहीं करनी चाहिए? पाठक अपना अनुभव तर्क रखे और लेखक अपना अनुभव तर्क रखे. मगर इसमें अपशब्दों का स्थान नहीं होना चाहिए. आप अपने विचारों से मेरे मस्तिक में ज्ञानरुपी ज्योत का प्रकाश करें. मेरी उपरोक्त पोस्ट को लिखने का उद्देश्य किसी का अपमान करने या किसी प्रकार अहित करने का नहीं है. अगर आपको फिर भी लगता हैं, उपरोक्त पोस्ट से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ.
देश और समाजहित में देशवासियों/पाठकों/ ब्लागरों के नाम संदेश:-
मुझे समझ नहीं आता आखिर क्यों यहाँ ब्लॉग पर एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाना चाहते हैं? पता नहीं कहाँ से इतना वक्त निकाल लेते हैं ऐसे व्यक्ति. एक भी इंसान यह कहीं पर भी या किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई में वक्त ख़राब करते हैं. हम में और स्वार्थी राजनीतिकों में क्या फर्क रह जायेगा. धर्मों की लड़ाई लड़ने वालों से सिर्फ एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या उन्होंने जितना वक्त यहाँ लड़ाई में खर्च किया है उसका आधा वक्त किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करने में खर्च किया है. जैसे-किसी का शिकायती पत्र लिखना, पहचान पत्र का फॉर्म भरना, अंग्रेजी के पत्र का अनुवाद करना आदि . अगर आप में कोई यह कहता है कि-हमारे पास कभी कोई आया ही नहीं. तब आपने आज तक कुछ किया नहीं होगा. इसलिए कोई आता ही नहीं. मेरे पास तो लोगों की लाईन लगी रहती हैं. अगर कोई निस्वार्थ सेवा करना चाहता हैं. तब आप अपना नाम, पता और फ़ोन नं. मुझे ईमेल कर दें और सेवा करने में कौन-सा समय और कितना समय दे सकते हैं लिखकर भेज दें. मैं आपके पास ही के क्षेत्र के लोग मदद प्राप्त करने के लिए भेज देता हूँ. दोस्तों, यह भारत देश हमारा है और साबित कर दो कि-हमने भारत देश की ऐसी धरती पर जन्म लिया है. जहाँ "इंसानियत" से बढ़कर कोई "धर्म" नहीं है और देश की सेवा से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं हैं. क्या हम ब्लोगिंग करने के बहाने द्वेष भावना को नहीं बढ़ा रहे हैं? क्यों नहीं आप सभी व्यक्ति अपने किसी ब्लॉगर मित्र की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं और किसी को आपकी कोई जरूरत (किसी मोड़ पर) तो नहीं है? कहाँ गुम या खोती जा रही हैं हमारी नैतिकता? मेरे बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि- आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अब देखते हैं मुझे मेरी गलती का कितने व्यक्ति अहसास करते हैं और मुझे "क्षमादान" देते हैं.                                  -आपका अपना नाचीज़ दोस्त

20 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर

    सत्यम शिवम् सुन्दरम बधाई हो

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  2. "किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई..." ---- फ़िर भी युगों से चल रही है...क्यों?
    ----भैया क्या किसी धर्म में भ्रष्टाचार करना लिखा है...फ़िर भी हर जगह है ...बस यह मानव जो है न वही बार बार शैतान के पन्जे में आजाता है और कारे कुकर्म करता है...

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी सोंच है ,मगर यहाँ पढता , समझाता कौन है ?? शुभकामनायें !

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  4. ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
    इस ब्लॉग पर आने से हिंदुत्व का विरोध करने वाले कट्टर मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष { कायर} हिन्दू भी परहेज करे.
    समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
    देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच - हल्ला बोल
    हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

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  5. आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
    मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html

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  6. आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
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    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html

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  7. बहुत अच्छी सार्थक पोस्ट के लिए शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी सार्थक प्रस्तुति के लिए आपका आभार!

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  9. वाह! बहुत बढ़िया पोस्ट! बधाई!

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  10. बहुत बहुत शुक्रिया।

    ॥ॐ शांति शांति शांतिः॥

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  11. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

    जवाब देंहटाएं
  12. बच्चनजी तो बहुत पहले ही कह गए थे -वैर बढाते मंदिर ,मस्जिद ,मेल कराती मधुशाला !
    और बच्चनजी शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे -
    कायस्थ कुल में जन्म लिया ,मेरे पुरखों ने इतना ,ढाला ,मेरे लोहू के अन्दर है ,
    पचहत्तर प्रतिशत हाला ,
    मेरे शव के पीछे चलने वालों -
    रान नाम है सत्य न कहना -
    कहना सच्ची मधुशाला ,
    दुनिया वालों श्राद्ध करो तो मेरा तुम ऐसे करना ,पीने वालों को बुलवा कर ,खुलवा देना मधुशाला !
    सार्थक पोस्ट के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत अच्छी सार्थक प्रस्तुति के लिए आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  14. सही लिखा है आपने, आप मेरे पास निसंकोच किसी को भी किसी भी वक्त भेज सकते हैं,हम हर वक्त मदद के लिए तैयार बैठे हैं.

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  15. भाई मुझे तो गलती नज़र नहीं आई , इसलिए एहसास करा पाना बहुत मुश्किल है। हाँ लेख पसंद आया । सभी बातें अच्छी लगीं । जेहन में रख ली हैं।

    जवाब देंहटाएं

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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