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सोमवार, अप्रैल 11, 2011

दोस्तों ने खूब धूम मचाई

अभिनेता दर्पण श्रीवास्तव के साथ फोटो खिचवाते पत्रकार रमेश कुमार जैन उर्फ़ सिरफिरा 
बी-1/1,संजय एन्कलेव, बिंदापुर-मटियाला रोड, उत्तम नगर पर कौशिक प्रोपर्टीज वाले श्री देवेश कौशिक ने याद किया था. दोस्तों का साथ था और भारत बनाम श्रीलंका का मैच था.हमने भी दोस्तों की टोली में शामिल होकर भारत के खिलाड़ियों द्वारा लगाये चौके-छक्के और श्रीलंका की गिरी हर विकेट पर ताली बजाई.श्रीलंका के खिलाड़ियों द्वारा रोके हर चौके-छक्के  व हर लिये कैच पर अफ़सोस किया और भारत के खिलाड़ियों द्वारा रोके हर चौके-छक्के व हर लिये कैच पर ख़ुशी मनाई.आखिर में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीता. उत्तम नगर के क्षेत्र में कई स्थानों पर बड़ी स्क्रीन व एल.सी.डी लगाये जाने के समाचार प्राप्त हुए. इस अवसर पर मैच का लुप्त लेने थाना-बिंदापुर के थानाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार यादव भी पहुंचे.खासतौर पर मैच देखने के लिए आये अभिनेता दर्पण श्रीवास्तव (कलर चैनल पर प्रसारित "लागी तुझसे लगन" सीरियल के महादेव और "भाग्य-विधाता" में अभिनीत 'नागेश्वर चाचा' का पात्र) के छोटे-बड़े बच्चों ने आटोग्राफ लेने के साथ ही फोटो खिचवायें. कुछ व्यक्तियों ने सार्वजनिक क्षेत्र में ध्रूमपान किया और कुछ व्यक्ति शराब का सेवन करने के बाद इंसान और जानवर में फर्क करना भूल गए थें.
         किसी घटिया मानसिकता वाले व्यक्ति ने "शकुन्तला प्रेस" का फ्लेक्स का बैनर चोरी कर लिया.इससे कह सकते हैं कि-गरीबी में आटा गिला होना.भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप की जीत पर लोगों ने नाच-गाकर और पटाखे छुटाकर जश्न मनाया और इस मौके पर अभिनेता दर्पण श्रीवास्तव ने जल्द ही उत्तम नगर में एक्टिंग स्कूल खोलने की इच्छा व्यक्त की और अपने फ़िल्मी दुनियां से जुड़े अनुभवों को बंटा. अपने भविष्य में प्रसारित होने वाले और पहले के सीरियलों के डायलाग और एक ग़ज़ल सुनाकर अपने पुराने-नए दोस्तों का मनोरंजन किया.हमने कुछ रोमांचकारी क्षणों को कैमरे में कैद भी किया था.जो फोटो के माध्यम से आपके लिए भी प्रस्तुत है.
बच्चों ने दर्पण श्रीवास्तव के साथ फोटो खिचवायें

चेहरों पर तिरंगा बनवाया 




























































बच्चों का उत्साह देखने योग्य था
कुछ लोगों ने सार्वजनिक ध्रूमपान किया 
 
बिंदापुर थानाध्यक्ष भी मैच देखने पहुंचे
पुराने दोस्तों के साथ दर्पण श्रीवास्तव 
मैच का लुप्त लेते अलग अंदाज में कुछ व्यक्ति

यही बैनर चोरी हो गया और गरीबी में आटा गिला हुआ. दर्पण श्रीवास्तव के साथ एक प्रंशसक फोटो खिचवाते हुए.

शीशराम पार्क की कालोनी  के बच्चों  का उत्साह
शीशराम पार्क की कालोनी  के बच्चों और बड़ों का उत्साह

4 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक व सराहनीय प्रयास को उजागर करती पोस्ट..

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  2. .बहुत ही सुन्दर प्रयास और सचित्र अच्छे लगे !

    जवाब देंहटाएं
  3. भाई रमेश जी, आपने हमारे ब्लॉग पर जो कमेन्ट किया है वह निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ है. हम भी यही चाहते हैं की धार्मिक विवादों से परे हटकर देश हित में काम करें लोग, आप देखिये हमने सामूहिक ब्लॉग "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर पहले ही नियम बना दिया की कोई भी विवादित लेख का प्रकाशन नहीं होगा. पर कुछ लोग समझाने के बाद भी हिन्दू धर्म का मजाक बनाते हैं तब बुरा लगता है, आप देंखे हमारे ब्लॉग डंके की चोट पर कई ऐसे लेख लिखे है जिसमे प्रेम से रहने की बात की बात की गयी है, पर कुछ लोग विवाद ही करना चाहते है तो उन्हें समझाने के लिए यह कदम भी उठाना जरुरी है. आखिर हम अपने धर्म पर कब तक लोंगो को अंगुली उठाने की छूट देंगे. आप इसे भी पढ़े ...
    क्या इसी सभ्यता पर करेंगे हिंदी का सम्मान.

    जवाब देंहटाएं
  4. Nice post.

    भाई रमेश जी, आपने हमारे ब्लॉग पर जो कमेन्ट किया है वह निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ है

    जवाब देंहटाएं

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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