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सोमवार, अक्तूबर 04, 2010

महाराजा अग्रसेन जयन्ती

महाराजा अग्रसेन जयन्ती समारोह सम्पन्न हुआ
नई दिल्ली : पश्च्मि दिल्ली के उत्तम नगर थाना के अंतगर्त श्री गांधी-शास्त्री जी की जयंती के सुअवसर पर ही विगत दिन 2 अक्तूबर को अग्रवाल धर्मशाला, मेन नजफगढ़ रोड उत्तम नगर में श्री अग्रवाल सभा ट्रस्ट (पंजीकृत) उत्तम नगर के तत्वाधान में महाराजा अग्रसेन जयन्ती समारोह बड़ी धूमधाम से मनाया गया. जिसमें वैश्य समाज के अनेकों गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.समारोह का शुभारम्भ हवन होने के बाद श्री सुरेश गर्ग(पूर्व चेयरमैन,अग्रवाल सभा-जनकपुरी) के द्वारा ध्वजारोहण करने के साथ हुआ. फिर श्री रमेश बंसल की अध्यक्षता में श्री बजरंगलाल सिंघल ने ज्योति प्रचंड की और रोशनलाल अग्रवाल द्वारा अग्रदूत पत्रिका विमोचन किया गया. अनेक स्कूलों के विद्धार्थियों द्वारा अतिथियों का स्वागत करने के साथ ही मुख्य अतिथि श्री प्रदीप मित्तल (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन), श्री विजेंद्र गुप्ता(अध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश भाजपा) और अति विशिष्ट अतिथि श्री रामकृष्ण गुप्ता(चेयरमैन, लवकुश रामलीला), सरिता जिंदल, सुनील जिंदल आदि का स्वागत फूलमाला पहनाकर किया. इस अवसर पर अनेकों स्कूलों ने अनेकों सांस्कृतिक कार्यक्रम किये.इस अवसर पर श्री रामभज अग्रवाल,ब्रहमप्रकाश गुप्ता, ईश्वरचंद गोयल, रोशनलाल बंसल, सिंघल स्टोर वाले पवन सिंघल,सामाजिक कार्यकर्त्ता नरेश कुमारअग्रवाल,मदनलाल बंसल, रामस्वरूप अग्रवाल और देवीशरण अग्रवाल आदि व्यक्तियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.समारोह का समापन दसवीं व बारहवीं में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्रों को परितोषिक वितरण होने के बाद प्रसाद ग्रहण के साथ हुआ.
                         समारोह की सुरक्षा तैनात थाना उत्तम नगर के पुलिस अधिकारी.
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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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