8 अक्टूबर 2015 : महान कार्य करने के लिए उमंग-उत्साह को अपना साथी बनाइए.
9 अक्टूबर 2015 : इस संसार में दूसरों की लोभ-वृति के कारण बहुत से लोग भूखे मरते हैं. यदि हम बाँटना सीख लेते तब यह समस्या हल हो गई होती.
10 अक्टूबर 2015 : यह ऑंखें प्रभु का विशेष उपहार हैं, इनके द्वारा दूसरों को प्रेम, शांति व ख़ुशी का दान करो.
11 अक्टूबर 2015 : किसी से प्रतियोगिता करने के बजाए उसकी सहायता करना बेहतर है.
12 अक्टूबर 2015 : स्वयं एक समस्या बनने के बजाय क्यों न हम दूसरों की समस्याएं हल करने में सहायक बन जाएँ ?
13 सितम्बर 2015 : दूसरों को बदलने का प्रयत्न करने के बजाए स्वयं को बदल लेना कहीं अधिक अच्छा है.
14 अक्टूबर 2015 : हर एक के विचार और स्वभाव में अंतर होता है लेकिन स्नेह में अंतर नहीं होना चाहिए.
15 अक्टूबर 2015 : जो बात आपकी ख़ुशी को नष्ट करने वाली हो, उसे कभी नहीं सुनो.
16 अक्टूबर 2015 : यदि आप अस्वस्थ हैं तब धैर्य रखिये तथा मन को स्वस्थ बनाये रखिये.
17 अक्टूबर 2015 : यदि हम भविष्य के बारे में भयभीत हो जायेंगे तब वर्तमान में प्राप्त अवसरों को खो देंगे.
18 अक्टूबर 2015 : सेवा में ईमानदारी का गुण सफलता मूर्त बना देता है.
19 अक्टूबर 2015 : अच्छा संग आगे बढ़ने का बल और हिम्मत देता है.
20 अक्टूबर 2015 : आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तब दूसरों भी महत्व देंगे.
21 अक्टूबर 2015 : किसी दुसरे व्यक्ति को विपत्ति में देखकर हँसना आपकी अज्ञानता दर्शाता है.
22 अक्टूबर 2015 : कभी-कभी ईर्ष्यावश हम दूसरों को गिराना चाहते हैं, परन्तु ऐसा करके हम स्वयं ही गिर जाते हैं.
23 अक्टूबर 2015 : आदर व सम्मान मांगने से नहीं, धारण करने से मिलता है.
24 अक्टूबर 2015 : यदि आप केवल अपना ही ध्यान रखेंगे तब दूसरे आपका ध्यान रखना कम कर देंगे.
25 अक्टूबर 2015 : अपनी दृष्टि को गुण ग्राहक बनाओ, अवगुणों को देखते हुए भी नहीं देखो.
26 अक्टूबर 2015 : सबसे बड़ी सेवा है जीवन की खुशियों को दूसरों के साथ बाँटना.
27 अक्टूबर 2015 : दूसरों की गलती सहन करना एक बात है, परन्तु उन्हें माफ़ कर देना और भी महान बात हैं.
28 अक्टूबर 2015 : न किसी के धोखे में आओ, न किसी को धोखे में डालो.
29 अक्टूबर 2015 : ईश्वर का स्मरण करने से हमारी शांति व ख़ुशी का खाता बढ़ जाता है. उन्हें भूल जाने से यह खाता घट जाता है.
30 अक्टूबर 2015 : सहयोगी होने का अर्थ गुलाम बनना नहीं है. निराशाजनक परिस्थितियों में भी कभी आशा मत छोड़ें.
31 अक्टूबर 2015 : जो कार्य हाथ में लो, वह निश्चय से करो तब सफलता अवश्य होगी.
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बहुत अच्छी जीवनोपयोगी बातें पढ़वाने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंकविता रावत जी, अपना कीमती समय देकर ब्लॉग पर आकर पोस्ट को पढने के लिए और टिप्पणी करने हेतु आपका आभार. जीवनोपयोगी की श्रंखला मैंने जुलाई 2015 से शुरू की हुई है. यदि आपको समय मिले तो उन पोस्टों को पढ़ें.
हटाएंआभार
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन के साथ ही नवमी व विजयादशमी की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं प्रेषित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार है जी.
हटाएंवाह क्या बात है थोड़ा छू लेने दो प्रभु को।
जवाब देंहटाएंसुंदर।
बहुत सुंदर और प्रेरक
सार्थक।
Jhakash
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