हमारे देश के स्वार्थी नेता "राज-करने की नीति से कार्य करते हैं" और मेरे विचार में "राजनीति" सेवा करने का मंच है. इसके अलावा मैं किसी जीव की हत्या करके उसका मांस परोसकर या मांसाहारी भोजन करवाकर और किसी व्यक्ति कहूँ या "मतदाता" को शराब पिलाकर यानि उसे नशे में करके अथार्त उसकी सोचने-समझने की शक्ति छीनकर उसका "मत" हासिल नहीं करना चाहता हूँ. एक मतदाता की नशे की हालत में लिया "मत" कायरता है और मैं मानता हूँ कि जब उससे उसके पूरे होशो-हवास में अपनी विचारधारा से उसको जागरूक करते हुए "मत" प्राप्त करें तब ही बहादुरी है.अगर मैंने किसी को शराब पिलाकर और मांसाहारी भोजन करवाकर जो "जीत" हासिल की. वो जीत कोई काम की नहीं है. उससे ज्यादा तो मुझे अपनी वो "हार" ज्यादा अच्छी लगती है. जो मैंने अपने सिद्धांतों और अनैतिक कार्य ना करते हुए प्राप्त की.
अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि,समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला हेतु जुनून,अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं.मुझे पता नहीं यह कितना सच है लेकिन आमआदमी को अपने विचारों व अनुभव द्वारा अन्याय का विरोध व अपने अधिकारों को लेने हेतु प्रेरित करने की एक छोटी-सी कोशिश ही है उपरोक्त ब्लॉग.
हम हैं आपके साथ
कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे.
बुधवार, अप्रैल 24, 2013
क्या मुझे "आम आदमी पार्टी" के उम्मीदवार के चयन हेतु अपना फॉर्म भरना चाहिए या नहीं ?
हमारे देश के स्वार्थी नेता "राज-करने की नीति से कार्य करते हैं" और मेरे विचार में "राजनीति" सेवा करने का मंच है. इसके अलावा मैं किसी जीव की हत्या करके उसका मांस परोसकर या मांसाहारी भोजन करवाकर और किसी व्यक्ति कहूँ या "मतदाता" को शराब पिलाकर यानि उसे नशे में करके अथार्त उसकी सोचने-समझने की शक्ति छीनकर उसका "मत" हासिल नहीं करना चाहता हूँ. एक मतदाता की नशे की हालत में लिया "मत" कायरता है और मैं मानता हूँ कि जब उससे उसके पूरे होशो-हवास में अपनी विचारधारा से उसको जागरूक करते हुए "मत" प्राप्त करें तब ही बहादुरी है.अगर मैंने किसी को शराब पिलाकर और मांसाहारी भोजन करवाकर जो "जीत" हासिल की. वो जीत कोई काम की नहीं है. उससे ज्यादा तो मुझे अपनी वो "हार" ज्यादा अच्छी लगती है. जो मैंने अपने सिद्धांतों और अनैतिक कार्य ना करते हुए प्राप्त की.
2 टिप्पणियां:
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पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.
आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html
'आप' चुनाव तो लडे ही...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये..
बिलकुल लड़ना चाहिए... सहमत हूँ आपसे!
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