घरेलू हिंसा अधिनियम व धारा 498ए
पर मेरी बेबाक टिप्पणियां और विचारधारा
प्रिय दोस्तों व पाठकों, पिछले दिनों मैं काफी परेशान चल रहा था और इन्टरनेट पर कुछ खोजने की कोशिश कर रहा था कि अचानक ही एक वेबसाइट http://www.saveindianfamily.org / खुल गई. उसमें होमपेज जाकर साईटमैप सलेक्ट किया और हिंदी के कई लेख पढने को मिलें उनको पढ़ लेने के बाद आर्टिकल्स में जाकर हिंदी खबरें सलेक्ट करके कई हिंदी के लेख और भी पढ़े. उनको पढने के साथ साथ उस समय जैसे विचार आ रहे थें. उन्हें व्यक्त करते हुए हर लेख के साथ ही अपने अनुभव के आधार पर अपनी टिप्पणियाँ कर दी. मगर इन्टरनेट पर हिंदी की टायपिंग के बारें में कुछ भी मालूम न होने की वजय से अंग्रेजी में थोडा बहुत दिया लेकिन मन शंकित रहा कि पता नहीं लोगों को मेरे व्यक्त किये विचार समझ आये या नहीं!किसी प्रकार की कोई गलती होने से कहीं उनका मतलब कुछ और न बन गया हो.अब मुझे जब इन्टरनेट पर हिंदी की जानकारी हो है.तब मैंने अपनी सभी टिप्पणियों को हिंदी में दुबारा से पेस्ट किया है. 40-50 लेखों पर की कुछ टिप्पणियाँ निम्नलिखित है.किस लेख पर कौन सी की गई है यह जाने के लिए आपको http://www.saveindianfamily.org पर जाना होगा.
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दोस्त बनकर मेरी पीठ में छुरा घोपा
(1) काफी अच्छा लेख भी लिखा गया है. एक पीड़ित व्यक्ति इसे अच्छी तरह से समझ सकता है. मैं प्रेस रिपोर्टर होकर भी इसका शिकार हो रहा हूँ. आम आदमी की तो क्या विसात. (2) काफी अच्छी जानकारी दी हुई है. सच में अगर दहेज़ की उपधारा 3 पर भी केस दर्ज हो तो फर्जी केस दर्ज ही न हो. वैसे हमारे देश में अँधा कानून है. फिर भी एक बार कोशिश कर के देख लें.क्या पता आपकी किस्मत अच्छी हो.मेरी किस्मत ठीक नहीं थी मगर हो सकता है कि आपकी किस्मत ठीक हो. मेरी दुआए आपके साथ है मि. विष्णु वर्मा जी. 3. हमारे देश की यह कडवी सच्चाई है.पुलिस कुछ नहीं करती है. अक्सर पत्नियां अपने पति तंग करती है और पति आत्महत्या कर लेते है. क्या कानून मि. विजय की पत्नी को कोई सजा देगा 4. प्रवीण जी के समाधान में तो महिला संगठन आ गए.मगर हर जगह तो पति के विरोध में ही खड़ी नजर आती है क्योकि उनको भी पहचान मिलती है. यह जानते हुए भी पत्नी गलत है.लेकिन फिर भी उसका ही साथ देती है.5.हमारे देश मैं तो शायद ही इस कानून पर ईमानदारी से पालन किया जायेगा.अगर सच में ऐसा होने लग जाये तो हमारे देश की यह समस्या ही खतम हो जाएगी. 6. काफी अच्छा फैसला दिया है. मगर कीमती 17 साल लगा दिए अदालत ने , इससे न्याय न होकर अन्याय ही हुआ.अदालतें अगर अपने फैसले जल्दी दें तो एक नया जीवन शुरू किया जा सकता है. 7. मगर ऐसा होगा लगता नहीं है.शिकायत को ही FIR तो माना ही जा रहा है. फिर हम कैसे कह सकते है कि झूठी FIR पर 10 साल की सजा दी जाएगी.शिकायत ही FIR होगी कहकर मुर्ख बनाया जा रहा है .शिकायत को ही FIR तो माना ही नहीं जा रहा है. फिर हम कैसे कह सकते है कि झूठी FIR पर 10 साल कि सजा दी जाएगी, वो भी सिर्फ कागजों में दी जाएगी.यह आदेश आने के बाद कि मेरी अनेको शिकायत मैंने की उसकी तो आज तक FIR की कॉपी मुझे मिली नहीं है.8.अच्छा फैसला दिया है.इस से कुछ पत्नियों को सबक मिलेगा 9.अधिकांश तलाक के मामलों में पत्नी के घरवालो की दखलंदाजी की वजय से ही तलाक होते है. 10. काश.....उस युवक की पत्नी ने उसके रंग को न देख कर उसके गुणों को देखा होता 11. उपरोक्त लेख सही लिखा है.हमारे देश के नेता ऐसे ही चुप बैठे रहेगे. अब पतियों को खुद ही हथियार उठाने होगे.500-700 कत्ल होने के बाद ही सरकार का ध्यान जायेगा इस ओर.12.अंधी, बहरी सरकार के कानों में जूँ नहीं रेगेगी.सरकार की नींद तो बम्ब के ही धमाकों से ही खुलती है.अब तो बस धमाके ही धमाके करने होगे.13.उपरोक्त आदेश को आये हुए लगभग 9 महीने हो चुके है. मगर राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस आज भी ठीक से जाँच करें बगैर ही धारा 498A के झूठे केस दर्ज कर रही है.इसका जीता जगाता सबूत है. मई 2010 में मेरे खिलाफ दर्ज FIR No.138/2010 थाना-मोतीनगर, दिल्ली. 14. विरोध का अंदाज काफी अच्छा है.
15. उपरोक्त लेख बहुत सही लिखा है. सरकार की नींद नहीं खुलेगी अब तो बम्ब के धमाके ही धमाके करने होगे,क्योकि इन्हें अपना वेतन ज्यादा करवाने से फुर्सत ही कहाँ है.आज भी राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस आज भी ठीक से जाँच करें बगैर ही धारा 498A के झूठे केस दर्ज कर रही है . इसका जीता जगाता सबूत है.मई 2010में मेरे खिलाफ दर्ज FIR No.138/2010 थाना-मोतीनगर, दिल्ली. 16. हमारे देश के जजों, पुलिस और महिला आयोग की मानसिकता यह बनी हुई है कि आदमी ही औरत पर अत्याचार करता है, बल्कि आज महिला(पत्नी) और उसके परिवार वाले ज्यादा अत्याचार करते है. मगर यह सब जानते हुए भी जिम्मेदार अधिकारी पैसो के लालच में खामोश रहता है और पति पर जुल्म करता है. मात्र कुछ कागज के टुकडों के लिए अपना ईमान और ज़मीर को भी बेच देता है. 17. इस वीडियो में मि. चुग जी के विचारों से सहमत हूँ. धारा 498A में आज समय कि मांग है कि बदलाव होना चाहिए.क्या होम मिनिस्ट्री से भी बड़ें है यह नाममात्र महिला संगठन जो इन्होने बदलाव नहीं होने दिया.जब किसी मंत्री का बेटा,पोता इस में फंस जायेगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. 18. आज महिलाये इस कानून का गलत फायदा उठा रही है. इस लेख में सही कहा गया है . इस का जीता जागता गवाह में हूँ.आज अनेको मामलों में फंसा हुआ हूँ. मगर कहीं भी मेरा पक्ष नहीं सुना जा रहा है.कानून का सही इस्तेमाल होना चाहिए.आदमियों के लिए भी एक सैल बनना चाहिए. जैसे महिलायों के लिए वूमंस सैल और महिला आयोग है 19. लेख में मि गौरव सैनी के विचारों से सहमत हूँ. काफी अच्छा प्रयास है. धारा 498A में आज समय कि मांग है कि बदलाव होना चाहिए.क्या होम मिनिस्ट्री से भी बड़ें है यह नाममात्र महिला संगठन जो इन्होने बदलाव नहीं होने दिया.जब किसी मंत्री का बेटा, पोता इस में फंस जायेगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. 20.जब किसी मंत्री के बेटे-बेटी का मामला होगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा.उपरोक्त लेख में इस कानून में बदलाव को लेकर अच्छे सुझाव है मगर सरकार इसमे भी कई साल लगा देगी.21. विल्कुल सही लिखा है.जो समस्या घर या पंचायत में ही ख़त्म हो जाती थी, वो अब पुलिस थानों में जाकर निपटती है.इसके लिए लड़कीवालो की गिरती नैतिकता जिम्मेदार है. 22. मेरे हिसाब से आज तक पारुल और उसके परिवार वालो का कुछ नहीं बिगडा होगा. जरुर किसी मंत्री ने I.O के पास फ़ोन करके कह दिया होगा कि यह तो हमारे बहुत ही खास आदमी है या फिर S.H.O और जाँच ऑफिसर ने कागज के चंद टुकड़ो में सौदा करके केस में इतनी हलकी धारा लगा दी होगी कि कोर्ट में भी उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा.23. बहुत अच्छा हुआ अगर हमारे देश में दहेज़ देने वालो के ऊपर भी केस दर्ज होने लग जाये तो दहेज़ कि धारा 498A का दुरूपयोग करने के मामलो में वैसे ही कमी आ जाये.24. हमारे देश के नेताओ की कार्यशैली इतनी अच्छी कहाँ है, जो किसी कानून में कुछ कमी रह जाने पर उस कमी को दूर कर दे. वो तो तब तक इन्तजार करते है जब तक उस के दुरूपयोग से लाखों लोग शिकार होकर मर नहीं जाते है और उनकी नींद 10-20 साल बाद खुलने कि थोड़ी बहुत उम्मीद होती है. वो भी जब अगर कुछ सिरफिरे लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते है.जब खुद उनकी जान पर आ पड़ती है.25.उपरोक्त लेख में आई जी जावेद अख्तर साहब ने कहा तो सही है मगर छोटे अधिकारी थानाध्यक्ष, ए.एस.आई, हेड कांस्टेबल आदि इसका क्यों सही से पालन करेंगे क्या यह इस तरह के केसों में मिलने वाली मिठाई(रिश्वत) का मोह छोड़ पाएंगे. इन के बीबी और बच्चो का क्या होगा. 26.हमारे देश की कहानी ही कुछ और है. यहाँ कानून भी वोट को देखकर बनाये जाते है. जब राजनेता इस में फंसते है. तब बदलाव की बात करते है. 27. एक दिन हमारे देश में सिर्फ धारा 498A ही रह जाएगी और इसके पीड़ित. कानून की धारा 498A पर सरकार को जल्द से जल्द विचार-विमर्श करके दुरूपयोग रोकने का प्रयास करना चाहिए. इस कानून के शिकार डॉ., प्रेस रिपोर्टर, एडिटर और अनेक प्रतिभाशाली लोग हो रहे हैं.28. कानून तो बहुत पहले से है.मगर पुलिस केस ही दर्ज नहीं करती है.एक गरीब आदमी धारा156(3) के तहत कैसे कोर्ट में जाये. 29. कानून मंत्री को ज्यादा से ज्यादा लैटर लिखने चाहिए.वैसे यह मंत्री जब तक कानून नहीं बदलेंगे जब तक इनका कोई बेटा-बेटी इसका शिकार नहीं होती है.30. सही है. मगर हमारे देश में आदमियों की कोई सुनवाही नहीं होती है.31. इस कानून ने मात्र तीन साल में कई लाखो आदमियों की जान ले ली और न जाने कितने की और जान लेगा..32.अब गांधीगिरी से कुछ नहीं होने वाला, अब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तरह से घरेलू हिंसा अधिनियम व धारा 498ए के दुउपयोग के खिलाफ आन्दोलन करना होगा और सरकार को कानूनों में बदलाव करने के लिए मजबूर करना होगा. सरकार के चंद अंधे व बहरे नेता की आँखे व कान खोलने के लिए धमाके भी करने होंगे. 33. हमारे देश में कानून की धारा 498A वाह-वाह! औरत मारे तो कुछ नहीं और आदमी मारे तो घरेलू हिंसा व 498Aएक तरफ़ा कानून की मार से मर रहे है और कुछ पत्नी की मार से. ऐसे बनाते हैं कानून हमारे देश के राजनेता. जब राजनेता एन कानूनों का शिकार होते है. तब इनको कानून में बदलाव की याद आती है या फिर अपने दबाब से कानूनों को अपनी मर्जी से तोड़-मोड़ लेते हैं हमारे देश के राजनेता 34.यह हमारे देश की राजनीति है कोई मरता है तो दस बार मरे हमारी बला से, हमें तो अपनी कुर्सी कैसे बचानी है यह देखना है. 35.दहेज निरोधक कानून के तहत दर्ज मामला गैर जमानती और दंडनीय होने के कारण और भी उलझ जाता है। आत्मसम्मान वाले व्यक्ति के लिए यह काफ़ी घातक हो गया है, जब तक अपराध का फ़ैसला होता है जेल में रहते-रहते वह इस तरह खुद को बेइज्जत महसूस करता है कि मर जाना पसंद करता है, जिसके पिछले दिनों में कई किस्से नजर आए थे कि कई पुरुषों ने बदनामी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली, आत्मसम्मान वाले आदमी के लिए एक बार गिरफ्तार हो जाना काफी घातक होता है। 36. घरेलू हिंसा अधिनियम व दहेज क़ानून का दुऱुउयोग हो रहा है.वूमन्स सेल में जाँच के नाम पर अपनी रिश्व्त के लिए सौदेबाजी ज़्यादा होती है. अगर महिला आयोग इतना ही दूध का धुला है तब क्यो नही पति-पत्नी के पक्ष की विडीयो फिल्म बनवाता है.आज हमारे देश के जजो व पुलिस की मानसिकता बन गई है कि आदमी अत्याचार करता है.498अ नामक हथियार लङकी के हाथ आने से लङकी और मां-बाप के लिए पैसे कमाने का धंधा बन गया है और जो एक प्रकार से बेटी बेचने के समान है.इस मे जल्द से जल्द बदलाव होना चाहिए.
15. उपरोक्त लेख बहुत सही लिखा है. सरकार की नींद नहीं खुलेगी अब तो बम्ब के धमाके ही धमाके करने होगे,क्योकि इन्हें अपना वेतन ज्यादा करवाने से फुर्सत ही कहाँ है.आज भी राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस आज भी ठीक से जाँच करें बगैर ही धारा 498A के झूठे केस दर्ज कर रही है . इसका जीता जगाता सबूत है.मई 2010में मेरे खिलाफ दर्ज FIR No.138/2010 थाना-मोतीनगर, दिल्ली. 16. हमारे देश के जजों, पुलिस और महिला आयोग की मानसिकता यह बनी हुई है कि आदमी ही औरत पर अत्याचार करता है, बल्कि आज महिला(पत्नी) और उसके परिवार वाले ज्यादा अत्याचार करते है. मगर यह सब जानते हुए भी जिम्मेदार अधिकारी पैसो के लालच में खामोश रहता है और पति पर जुल्म करता है. मात्र कुछ कागज के टुकडों के लिए अपना ईमान और ज़मीर को भी बेच देता है. 17. इस वीडियो में मि. चुग जी के विचारों से सहमत हूँ. धारा 498A में आज समय कि मांग है कि बदलाव होना चाहिए.क्या होम मिनिस्ट्री से भी बड़ें है यह नाममात्र महिला संगठन जो इन्होने बदलाव नहीं होने दिया.जब किसी मंत्री का बेटा,पोता इस में फंस जायेगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. 18. आज महिलाये इस कानून का गलत फायदा उठा रही है. इस लेख में सही कहा गया है . इस का जीता जागता गवाह में हूँ.आज अनेको मामलों में फंसा हुआ हूँ. मगर कहीं भी मेरा पक्ष नहीं सुना जा रहा है.कानून का सही इस्तेमाल होना चाहिए.आदमियों के लिए भी एक सैल बनना चाहिए. जैसे महिलायों के लिए वूमंस सैल और महिला आयोग है 19. लेख में मि गौरव सैनी के विचारों से सहमत हूँ. काफी अच्छा प्रयास है. धारा 498A में आज समय कि मांग है कि बदलाव होना चाहिए.क्या होम मिनिस्ट्री से भी बड़ें है यह नाममात्र महिला संगठन जो इन्होने बदलाव नहीं होने दिया.जब किसी मंत्री का बेटा, पोता इस में फंस जायेगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा. 20.जब किसी मंत्री के बेटे-बेटी का मामला होगा न तब देखना कैसे 1-2 दिन में ही कानून बदल जायेगा.उपरोक्त लेख में इस कानून में बदलाव को लेकर अच्छे सुझाव है मगर सरकार इसमे भी कई साल लगा देगी.21. विल्कुल सही लिखा है.जो समस्या घर या पंचायत में ही ख़त्म हो जाती थी, वो अब पुलिस थानों में जाकर निपटती है.इसके लिए लड़कीवालो की गिरती नैतिकता जिम्मेदार है. 22. मेरे हिसाब से आज तक पारुल और उसके परिवार वालो का कुछ नहीं बिगडा होगा. जरुर किसी मंत्री ने I.O के पास फ़ोन करके कह दिया होगा कि यह तो हमारे बहुत ही खास आदमी है या फिर S.H.O और जाँच ऑफिसर ने कागज के चंद टुकड़ो में सौदा करके केस में इतनी हलकी धारा लगा दी होगी कि कोर्ट में भी उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा.23. बहुत अच्छा हुआ अगर हमारे देश में दहेज़ देने वालो के ऊपर भी केस दर्ज होने लग जाये तो दहेज़ कि धारा 498A का दुरूपयोग करने के मामलो में वैसे ही कमी आ जाये.24. हमारे देश के नेताओ की कार्यशैली इतनी अच्छी कहाँ है, जो किसी कानून में कुछ कमी रह जाने पर उस कमी को दूर कर दे. वो तो तब तक इन्तजार करते है जब तक उस के दुरूपयोग से लाखों लोग शिकार होकर मर नहीं जाते है और उनकी नींद 10-20 साल बाद खुलने कि थोड़ी बहुत उम्मीद होती है. वो भी जब अगर कुछ सिरफिरे लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते है.जब खुद उनकी जान पर आ पड़ती है.25.उपरोक्त लेख में आई जी जावेद अख्तर साहब ने कहा तो सही है मगर छोटे अधिकारी थानाध्यक्ष, ए.एस.आई, हेड कांस्टेबल आदि इसका क्यों सही से पालन करेंगे क्या यह इस तरह के केसों में मिलने वाली मिठाई(रिश्वत) का मोह छोड़ पाएंगे. इन के बीबी और बच्चो का क्या होगा. 26.हमारे देश की कहानी ही कुछ और है. यहाँ कानून भी वोट को देखकर बनाये जाते है. जब राजनेता इस में फंसते है. तब बदलाव की बात करते है. 27. एक दिन हमारे देश में सिर्फ धारा 498A ही रह जाएगी और इसके पीड़ित. कानून की धारा 498A पर सरकार को जल्द से जल्द विचार-विमर्श करके दुरूपयोग रोकने का प्रयास करना चाहिए. इस कानून के शिकार डॉ., प्रेस रिपोर्टर, एडिटर और अनेक प्रतिभाशाली लोग हो रहे हैं.28. कानून तो बहुत पहले से है.मगर पुलिस केस ही दर्ज नहीं करती है.एक गरीब आदमी धारा156(3) के तहत कैसे कोर्ट में जाये. 29. कानून मंत्री को ज्यादा से ज्यादा लैटर लिखने चाहिए.वैसे यह मंत्री जब तक कानून नहीं बदलेंगे जब तक इनका कोई बेटा-बेटी इसका शिकार नहीं होती है.30. सही है. मगर हमारे देश में आदमियों की कोई सुनवाही नहीं होती है.31. इस कानून ने मात्र तीन साल में कई लाखो आदमियों की जान ले ली और न जाने कितने की और जान लेगा..32.अब गांधीगिरी से कुछ नहीं होने वाला, अब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तरह से घरेलू हिंसा अधिनियम व धारा 498ए के दुउपयोग के खिलाफ आन्दोलन करना होगा और सरकार को कानूनों में बदलाव करने के लिए मजबूर करना होगा. सरकार के चंद अंधे व बहरे नेता की आँखे व कान खोलने के लिए धमाके भी करने होंगे. 33. हमारे देश में कानून की धारा 498A वाह-वाह! औरत मारे तो कुछ नहीं और आदमी मारे तो घरेलू हिंसा व 498Aएक तरफ़ा कानून की मार से मर रहे है और कुछ पत्नी की मार से. ऐसे बनाते हैं कानून हमारे देश के राजनेता. जब राजनेता एन कानूनों का शिकार होते है. तब इनको कानून में बदलाव की याद आती है या फिर अपने दबाब से कानूनों को अपनी मर्जी से तोड़-मोड़ लेते हैं हमारे देश के राजनेता 34.यह हमारे देश की राजनीति है कोई मरता है तो दस बार मरे हमारी बला से, हमें तो अपनी कुर्सी कैसे बचानी है यह देखना है. 35.दहेज निरोधक कानून के तहत दर्ज मामला गैर जमानती और दंडनीय होने के कारण और भी उलझ जाता है। आत्मसम्मान वाले व्यक्ति के लिए यह काफ़ी घातक हो गया है, जब तक अपराध का फ़ैसला होता है जेल में रहते-रहते वह इस तरह खुद को बेइज्जत महसूस करता है कि मर जाना पसंद करता है, जिसके पिछले दिनों में कई किस्से नजर आए थे कि कई पुरुषों ने बदनामी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली, आत्मसम्मान वाले आदमी के लिए एक बार गिरफ्तार हो जाना काफी घातक होता है। 36. घरेलू हिंसा अधिनियम व दहेज क़ानून का दुऱुउयोग हो रहा है.वूमन्स सेल में जाँच के नाम पर अपनी रिश्व्त के लिए सौदेबाजी ज़्यादा होती है. अगर महिला आयोग इतना ही दूध का धुला है तब क्यो नही पति-पत्नी के पक्ष की विडीयो फिल्म बनवाता है.आज हमारे देश के जजो व पुलिस की मानसिकता बन गई है कि आदमी अत्याचार करता है.498अ नामक हथियार लङकी के हाथ आने से लङकी और मां-बाप के लिए पैसे कमाने का धंधा बन गया है और जो एक प्रकार से बेटी बेचने के समान है.इस मे जल्द से जल्द बदलाव होना चाहिए.
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