1 दिसम्बर 2015 : मोहजीत अपनी देह से भी नष्टो मोहा होते हैं.
2 दिसम्बर 2015 : कथनी और करनी में समरूपता रखना ही महान आत्मा का लक्षण है.
3 दिसम्बर 2015 : सच्ची सेवा वह है जिसमें सर्व की दुआओं के साथ ख़ुशी की अनुभूति हो.
4 दिसम्बर 2015 : ईश्वर से बुध्दि की लगन लगाना ही ईश्वर का सहारा लेना है.
5 दिसम्बर 2015 : अपनी सूक्ष्म कमजोरियों का चिन्तन करके उन्हें मिटा देना ही स्व-चिंतन है.
6 दिसम्बर 2015 : ध्यान रहे ऐसा कोई कर्म न हो जो कुल का दीपक बुझ जाये.
7 दिसम्बर 2015 : सुनने-सुनाने में भावना और भाव को बदल देना भी वायुमंडल खराब करना है.
8 दिसम्बर 2015 : आपस में एक दो की विशेषताओं का वर्णन करो, कमियों का नहीं.
9 दिसम्बर 2015 : देश और समाज की सभी समस्याओं का हल है पवित्रता.
10 दिसम्बर 2015 : सम्पूर्ण अहिंसा अर्थात् संकल्प द्वारा भी किसी को दुःख न देना.
11 दिसम्बर 2015 : सम्पूर्ण ब्रह्मचर्य ही सम्पूर्ण अहिंसा है.
12 दिसम्बर 2015 : किसी पर कुदृष्टि रखना भी पाप है, इसलिए आँखों को शीतल बनाओ.
13 दिसम्बर 2015 : काम महाशत्रु है, इस पर जीत पाने से जगतजीत बनेंगे.
14 दिसम्बर 2015 : ब्रह्मचर्य ही परमात्मा के समीप जाने का साधन है.
15 दिसम्बर 2015 : अपनी गलती दूसरे पर लगाना यह भी पर-चिन्तन है.
16 दिसम्बर 2015 : मुशिकलों को प्रभु अर्पण कर दो तो हर मुश्किल सहज हो जायेगी.
17 दिसम्बर 2015 : विपत्तियों को सहने का बल केवल ईश्वर की याद से ही मिलता है.
18 दिसम्बर 2015 : जीवन का सच्चा विश्राम आत्म अनुभूति में है.
19 दिसम्बर 2015 : दूसरों के अवगुण न देखना ही सबसे बड़ा त्याग है.
20 दिसम्बर 2015 : कल्याण भावना रखने से दृष्टि और वृत्ति दोनों बदल जाती है.
21 दिसम्बर 2015 : आत्मा का परमात्मा से मिलन ही सर्वश्रेष्ट मिलन है.
22 दिसम्बर 2015 : ईश्वर की स्मृति से ही हम सद्गति प्राप्त कर सकते हैं.
23 दिसम्बर 2015 : अब भगवान से फरियाद करने के बजाय उसे याद करो.
24 दिसम्बर 2015 : चिंता छोड़ प्रभु चिन्तन करो.
25 दिसम्बर 2015 : संसार में भंयकर तूफान-आंधी के समय एक भगवान ही श्रेष्ट रक्षक है.
26 दिसम्बर 2015 : दूसरों के दोष न देखो, अपने अंदर के दोष देखो तो निर्दोष बन जायेंगे.
27 दिसम्बर 2015 : स्वभाव को सरल बनाओ तो समय व्यर्थ नहीं जायेगा.
28 दिसम्बर 2015 : दूसरों को गुणों के आधार पर आगे रखना भी अपने को आगे बढ़ाना है.
29 दिसम्बर 2015 : जो सदा संतुष्ट है, वही सदा हर्षित एवं आकर्षणमूर्त है.
30 दिसम्बर 2015 : व्यर्थ कार्य जीवन को थका देता है, रचनात्मक कार्य सुख और तेजस्विता बढ़ा देता है.
31 दिसम्बर 2015 : जो सदा प्रसन्न रहता है उसके अंदर आलस्य नहीं हो सकता है, आलस्य सबसे बड़ा दुर्गुण है.