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गुरुवार, नवंबर 17, 2011

अनमोल वचन-तीन

1. मुझे तूफानों से डर नहीं लगता क्‍योंकि मैं अपना जहाज़ चलाना सीख रहा हूं.  2. आज किसी व्यक्ति की तारीफ़ करके देखें 3. धैर्य आशा करने की ही एक कला है 4. आप सबसे बड़ी विजय किसी को विनम्रता में पीछे करके ही प्राप्‍त कर सकते हैं 5. जो पक्षी पहले आता है वह कीट को पकड़ लेता है. लेकिन दूसरे चूहे को ही मक्खन मिलता है. 6. यदि आप चाहते हैं कि दूसरे ख़ुश रहें, तो करुणा का भाव रखें. यदि आप चाहते हैं कि स्‍वयं ख़ुश रहें, तो करुणा का भाव रखें. 7. शांति, दान की ही तरह, घर से शुरु होती है. 8. ईश्वर करे हमारा ह्रदय रूपी बगीचा खिले हुए सैकड़ों सजीव फूलों से भर जाए. (हीच नात हान) 9. हमें यह करना है कि हमेशा नए दृष्टिकोणों को परखने के लिए उत्सुक रहें और नए प्रभाव ग्रहण करते रहें 10.हमें ख़ुद को वैसा बनाना चाहिए जैसा परिवर्तन हम दूसरों में चाहते हैं 11.कुछ चीज़ों में कर्मठता और कुशलता असंभव है. महान कार्य शक्ति से नहीं, दृढ़ता से संपन्‍न किए जाते हैं. 12. एक समझदार मौन किसी वक्तव्य से अधिक अर्थपूर्ण होता है 13. समय की पाबंदी ऊबाउ व्यक्ति की विशेषता है (परंतु यदि आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, तो समय पर पहुंचे) 14. सफलता अंत नहीं होती, विफलता घातक नहीं होती: हमेशा आगे बढ़ते रहने का साहस ही महत्व रखता है 15. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है – उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 16. अंहकार ही पतन का कारण है. 17. जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है।18. सहानुभूति मनुष्य के हृदय में निवास करने वाली वह कोमलता है, जिसका निर्माण संवेदना, दया, प्रेम तथा करुणा के सम्मिश्रण से होता है। 19. आलिंगन सर्वोत्तम उपहार है: सभी इसे पसंद करते हैं और वापस करने पर कोई इसका बुरा भी नहीं मानता 20. परिवर्तन जीवन का नियम है. 21. सादगी ही सर्वश्रेष्ठ दुनियादारी है 22. अब समय है कुछ नया प्रयास करने का 23. अवसर प्रतीक्षारत है, आप को केवल दरवाज़ा खोलने की जरूरत है. 24. समय सर्वाधिक मूल्‍यवान चीज़ है, जिसे कोई मनुष्‍य ख़र्च कर सकता है 24. कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को हतोत्साहित न करें जो लगातार प्रगति कर रहा हो, भले ही उसकी गति कितनी ही धीमी क्यों न हो 25. कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 26. कार्य के आनंद का रहस्य एक शब्द में छुपा है – उत्कृष्टता. किसी कार्य को अच्‍छी तरह से करने का तरीक़ा जानना ही उसका आनंद लेना है 27. दूसरो की गलतियों को उसी रूप में देखें जैसे आप अपनी गलतियों को देखते हैं 28. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 29. जैसी करनी वैसी भरनी. 30.कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है 31.  प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 32. कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है 33. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं. 34. नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है 35. यदि भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है, तो भी लड़कर जीतने का प्रयास करें 36.बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय 37.यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 38.विरोध के बदले शांति अनुभव करना चुनें 39.यदि आप प्यार पाना चाहते है, तो प्यार करने योग्य बनें 40. सुरक्षा सुझाव अपने खाते को सुरक्षित रखें : यदि आप सहभाजित कंप्यूटर पर हों तो प्रत्येक सत्र के बाद लॉग आउट करना ना भूलें। 

3 टिप्‍पणियां:

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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