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रविवार, अगस्त 07, 2011

दोस्तों, क्या आपको "रसगुल्ले" खाने हैं

दोस्तों, हमारी गुस्ताखी माफ करना! वैसे गूगल के विद्वानों के अनुसार हमारी गलती माफ करने के काबिल नहीं हैं. फिर भी इस नाचीज़ का "सिर-फिरा" हुआ है. यह समझकर माफ़ कर देना. हमारे पास एक अगस्त को नवभारत टाइम्स के ब्लॉग संपादक की एक ईमेल आई. हम ठहरे अनाड़ी, अनपढ़, गंवार और सिरफिरे. उनके ब्लॉग पर हमें जो परेशानी आ रही थी. गूगल की सुविधा कहूँ या तारीफ करते हुए वो सब लिखकर पूरी भड़ास(दोनों ईमेल नीचे देखें) निकाल दी. अब गूगल की थाली में घी ज्यादा देखकर नवभारत टाइम्स ब्लॉग के संपादक कई लेख एक के एक बाद पाठकों को जानकारी देने वाले प्रकाशित करने शुरू कर दिए है. जोकि इनके शीर्षक "अन्य" में "आप और हम" ब्लॉग में हर रोज एक या दो छप रहे हैं. अब हमें जो भी समस्या आ रही है, उसकी उनके लेखों पर टिप्पणी के रूप में खूब आलोचना कर रहे हैं. हमारी आलोचनाओं का जवाब में श्रीमान जी "मेरी खबर" और "राजनीति" नामक डिब्बे में  "रसगुल्ले" हमें दे रहें. अब कहेंगे कि रसगुल्ले मिल रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है. अरे! भाई अगर हमें शुगर की बीमारी हो गई. तब दवाई के पैसे कौन देगा? हम यह सोचकर ज्यादा चिंतित हो रहे हैं.  इन दिनों अपनी हालत कुछ ज्यादा ही पतली जो चल रही हैं.
ब आप खुद देखें. इस लिंक में "अपनी पोस्ट का स्टेटस कैसे जानें? http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/aapaurhum/entry/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AA-%E0%A4%B8-%E0%A4%9F-%E0%A4%95-%E0%A4%B8-%E0%A4%9F-%E0%A4%9F%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%B8-%E0%A4%9C-%E0%A4%A8      
कह रहे हैं कि किसी भी ब्लोग्गर की पोस्ट तीन दिन से पहले प्रकाशित नहीं होगी. फिर हमने यहाँ यह "आदरणीय संपादक जी, ब्लॉगर की जानकारी के लिए आप अच्छे लेख प्रकाशित कर रहे है. मेरे पास आपके इस लेख के हिसाब से बहुत "रसगुल्ले" है. मगर आपका तीन दिन का नियम के कारण नही डालता हूँ. मैं आपके उपरोक्त लेख से सहमत हू. मुझे अब अगले कई दिन तक समय नही मिलेगा/मिलता है. इसलिए अपने अनेक लेख मैने अपने ब्लॉग पर डाल दिए. जिससे मेरा एक लेख हर तीन दिन बाद आ सके"  टिप्पणी भी कर दी और इसलिए हमने अगले पंदह दिन के हिसाब से अपना कोटा भेज दिया. अब आप यह दोनों लिंक (नीचे) देखकर पता लगा लो. एक ही दिन में दो-दो पोस्ट को छाप रहे हैं.
प्रचार सामग्री:-दोस्तों/पाठकों, यह मेरा नवभारत टाइम्स पर ब्लॉग. इस को खूब पढ़ो और टिप्पणियों में आलोचना करने के साथ ही अपनी वोट जरुर दो.जिससे मुझे पता लगता रहे कि आपकी पसंद क्या है और किन विषयों पर पढ़ने के इच्छुक है. नवभारत टाइम्स पर आप भी अपना ब्लॉग बनाये.मैंने भी बनाया है. एक बार जरुर पढ़ें.
संपादक, नवभारत टाइम्स ब्लॉग की आई ईमेल
 मस्ते, नवभारत टाइम्स के ‘अपना ब्लॉग’ का आपने जिस तरह से स्वागत किया है, उससे हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई है। हमें लग रहा है कि हमारी मेहनत सफल रही। एक महीने से कम समय में ही करीब 400 ब्लॉगर इससे जुड़ चुके हैं और अपना ब्लॉग एक परिवार-सा बन गया है।
             लेखक के परिचय के मार्फत इस परिवार के सदस्य एक-दूसरे को जानने भी लगे हैं। कुछ सदस्यों ने अपना परिचय विस्तृत रूप में नहीं दिया है। अगर वे चाहें तो अपने परिचय या तस्वीर में सुधार कर सकते हैं। यदि आप चाहें तो अपने ब्लॉग का नाम भी बदल सकते हैं। यह सब करने के लिए बस आपको एक मेल भेजनी है। पता वही – nbtonline@indiatimes.co.in
             सके साथ ही हम आपसे एक छोटी-सी जानकारी पाना चाहते हैं। हमने अपने प्रोफाइल पेज पर आपके शहर या गांव के नाम के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी थी जिस कारण हमें यह नहीं मालूम है कि आप कहां रहते हैं। यह जानकारी जरूरी है ताकि यदि आप अपने इलाके की कोई खबर दें तो वह खबर इस ब्लॉग के अलावा नवभारत टाइम्स की मेन साइट में शहरों की खबरों के साथ भी दिखे। इसके लिए आपको एक छोटा-सा काम करना है। आप इस मेल के जवाब में अपने शहर या गांव का नाम अंग्रेजी में लिखकर हमें भेज दें। यह मेल पढ़ने के तुरंत बाद ही यह काम कर दें क्योंकि कहते हैं न शुभस्य शीघ्रम। अच्छे काम में देरी नहीं करनी चाहिए।
                   ‘पना ब्लॉग’ के संबंध में कभी भी कोई समस्या हो, आप nbtonline@indiatimes.co.in पर तुरंत मेल करें और साथ में अपना मोबाइल नंबर भी दें। हम आपसे जल्द से जल्द संपर्क करेंगे और आपकी समस्या सुलझाएंगे।                                       -संपादक, नवभारत टाइम्स ब्लॉग

नवभारत टाइम्स ब्लॉग के संपादक को भेजी ईमेल
श्रीमान जी, मैंने आपकी वेबसाइट पर लगभग एक सप्ताह पहले अपना ब्लॉग बनाया है. यहाँ पर अगर छोटी-छोटी समस्याओं में सुधार कर दिया जाए. तब यहाँ पर "गूगल" की तरह से ब्लोग्गर बहुत ब्लॉग बनायेंगे. आपने इस पर तकनिकी जानकारी और ब्लॉग के कुछ नियमों और शर्तों को हिंदी में  नहीं दे रखा है. इस मामले में "गूगल" बहुत आगे है. आगे जाने के लिए सुधारों की जरूरत होती है. यहाँ पर फोटो भी जल्दी से लोड नहीं होती है. जहाँ पर पोस्ट डाली जा रही है, वो भी हिंदी में नहीं है. पोस्ट को प्रकाशित करने का आपके पास अधिकार होने के कारण पोस्ट देरी से प्रकाशित होती है. इसमें सुधार होना चाहिए. पाठक किसी भी ब्लॉग जाकर उलझ सा जाता है. एक ब्लोग्गर अपने ब्लॉग का लिंक आसानी से नहीं बता सकता है, क्योंकि उसका लिंक बहुत बड़ा है. गूगल पर इसी समस्या नहीं है. वहां पर कितनी भी फोटो डाल सकते हैं, मगर आपके यहाँ नहीं. आपके यहाँ पर कई बॉक्स अंग्रेजी में आते हैं, जिनके बारें में कम पढ़ें-लिखे कहूँ या तकनिकी जानकारी न होने के कारण व्यक्ति को परेशानी आती है.
                 बकि गूगल में एक बार "हिंदी" सलेक्ट करने के बाद उसको बार-बार किसी जानकारी के अभाव में किसी समस्या से नहीं जूझना नहीं पड़ता है. जहाँ पर आप ब्लोगों का नाम दिखाते हैं. अगर वहां पर हर ब्लोगर की अंतिम पोस्ट का शीर्षक दिखाए. नाम से नहीं पाता चल पाता है कि-लेखक ने क्या लिखा है. बल्कि शीर्षक से काफी कुछ जाना जा सकता है. एक ऐसा कॉलम होना चाहिए कि-किसी भी ब्लोग्गर को उसके नाम या उसके ब्लॉग के नाम से ढूढा जा सके. जैसे-मान लो मेरा नाम रमेश कुमार जैन है. उस बॉक्स में मेरा नाम डालते ही मेरे ब्लॉग का नाम आना चाहिए और अगर कोई ओर भी रमेश कुमार जैन हो तो उसके भी ब्लॉग का नाम आ जाना चाहिए, क्योंकि मैं अकेला रमेश कुमार जैन नहीं हूँ. ब्लॉग का नाम बदलने और तस्वीर में सुधार करने का अधिकार ब्लोगर के पास ही होने चाहिए. गूगल में यह सुविधा है. विषय-बहुत कम है, यह भी असीमित होने चाहिए. जैसे- मेरी खबर, राजनीती आदि. अपराध, महिला, परिवार, कानून, जागरूकता आदि भी होने चाहिए. वैसे इसको भी ब्लोग्गर के ऊपर रहने दे तब ज्यादा अच्छा है. जहाँ न्यू  एंट्री पर लिखा  वहां पर बॉक्स अंग्रेजी में है और जितने भी टूल है. उनको प्रयोग करने में परेशानी होती है और कई के बारें में जानकारी नहीं है. जैसे-गूगल में व्यवस्था है कि-उपरोक्त ब्लॉग पर कितने व्यक्ति या पाठक आ चुके हैं. यह संख्या बताई जाती हैं, आपके यहाँ पर इसी व्यवस्था होनी चाहिए कि-उपरोक्त पोस्ट को अब तक इतनी बार देखा जा चूका है. इससे ब्लोग्गर का हौंसला बढ़ता है. फ़िलहाल तो इतनी समस्याओं से परिचय हुआ है.इसमें कई चीजों को शामिल करने की आवश्कता है. जो ब्लोग्गर को पहचान दिलाने के साथ ही मददगार हो सकती हैं. बाकी फिर.....
नोट:-आपकी ईमेल के निर्देशानुसार मेरा नाम, शहर का नाम और फ़ोन नं.निम्नलिखित है.
Ramesh Kumar jain > uttam nagar, New dehli फ़ोन:09910350461,09868262751,011-28563826

प्रचार सामग्री:-दोस्तों/पाठकों, यह मेरा नवभारत टाइम्स पर ब्लॉग. इस को खूब पढ़ो और टिप्पणियों में आलोचना करने के साथ ही अपनी वोट जरुर दो.जिससे मुझे पता लगता रहे कि आपकी पसंद क्या है और किन विषयों पर पढ़ने के इच्छुक है. नवभारत टाइम्स पर आप भी अपना ब्लॉग बनाये.मैंने भी बनाया है. एक बार जरुर पढ़ें.

5 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया जानकारी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद!

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  2. बहुत बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  3. बहुत बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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