कबीरदास जी अपने एक दोहे में कहते हैं कि-"ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही कोई ऊँचा नहीं हो जाता. इसके लिए हमारे कर्म भी ऊँचे होने चाहिए. यदि हमारा कुल ऊँचा है और हमारे कर्म ऊँचे नहीं है, तब हम सोने के उस घड़े के समान है. जिसमें शराब भरी होती है. श्रेष्ठ धातु के कारण सोने के घड़े की सब सराहना करेंगे.लेकिन यदि उसमें शराब भरी हो तब सभी अच्छे लोग उसकी निंदा करेंगे. इसी तरह से ऊँचे कुल की तो सभी सराहना करेंगे, लेकिन ऊँचे कुल का व्यक्ति गलत कार्य करेगा. तब उसकी निंदा ही करेंगे. पूरा लेख यहाँ पर पढ़ें.
अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि,समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला हेतु जुनून,अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं.मुझे पता नहीं यह कितना सच है लेकिन आमआदमी को अपने विचारों व अनुभव द्वारा अन्याय का विरोध व अपने अधिकारों को लेने हेतु प्रेरित करने की एक छोटी-सी कोशिश ही है उपरोक्त ब्लॉग.
हम हैं आपके साथ
कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे.
गुरुवार, जुलाई 14, 2011
मेरे अन्य ब्लोगों का परिचय(प्रचार)
कबीरदास जी अपने एक दोहे में कहते हैं कि-"ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही कोई ऊँचा नहीं हो जाता. इसके लिए हमारे कर्म भी ऊँचे होने चाहिए. यदि हमारा कुल ऊँचा है और हमारे कर्म ऊँचे नहीं है, तब हम सोने के उस घड़े के समान है. जिसमें शराब भरी होती है. श्रेष्ठ धातु के कारण सोने के घड़े की सब सराहना करेंगे.लेकिन यदि उसमें शराब भरी हो तब सभी अच्छे लोग उसकी निंदा करेंगे. इसी तरह से ऊँचे कुल की तो सभी सराहना करेंगे, लेकिन ऊँचे कुल का व्यक्ति गलत कार्य करेगा. तब उसकी निंदा ही करेंगे. पूरा लेख यहाँ पर पढ़ें.
2 टिप्पणियां:
अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.
आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html
धन्यवाद् रमेश जी
जवाब देंहटाएंआप निश्चय ही बेबाक सत्य लिखते हैं ! आप के द्वारा दिए गए लिंक पर भी देखा ब्लॉग की खबरें पर . बहुत अच्छा लिखा है . यही शुभकामनायें हैं आपके लिए की सदैव इसी प्रकार निडर होकर सत्य की प्रस्तुति करती रहे आपकी लेखनी .
जवाब देंहटाएं