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आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "निर्भीक-आजाद पंछी" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

गुरुवार, जुलाई 14, 2011

मेरे अन्य ब्लोगों का परिचय(प्रचार)

  आप भी अपने मित्रों को बधाई भेजें
"आपको मुबारक हो" के माध्यम से आप अपने स्कूलों व व्यापारिक मित्रों को उनके जन्मदिन, शादी की सालगिरह, उनके द्वारा कोई वाहन खरीदने आदि और अन्य किसी भी प्रकार की "बधाई" का संदेश नाममात्र शुल्क में भेज सकते हैं. आपके मित्र हैरान हो जायेंगे ! आप अपना संदेश कम से कम 5 दिन पहले भेज दें. किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी के लिए मुझे संपर्क करें. रमेश कुमार जैन @ सिरफिरा : 9910350461, 9868262751, 011-28563826
नोट : आप संदेश के साथ फोटो भी प्रकाशित करवा सकते हैं. आपको पासपोर्ट साइज़ की फोटो व संदेश (हिंदी में ) ईमेल द्वारा भेजना होगा. "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" द्वारा आप और आपके मित्र को एक-एक ईमेल भेजे जाने के साथ ही आपके मित्र को एक SMS भेजकर उपरोक्त ब्लॉग देखने का निवेदन किया जायेगा.
 
आपका स्वागत है शायरों की महफिल में
जी हाँ, आपका भी स्वागत है शायरों की महफिल में http://aap-ki-shayari.blogspot.com उपरोक्त ब्लॉग पर आप कोई भी शेर, तुकबंदी, ग़ज़ल और कविता आदि अपनी या संकलन की हुई रचनाएँ प्रकाशित करवाने के लिए भेज सकते है.बस हर रचना भेजते समय इतना ध्यान रखें कि-प्रत्येक रचना के साथ अपना पूरा नाम, पता, फ़ोन नं., ईमेल आदि के साथ यह जरुर लिखें. उपरोक्त रचना स्वंय की लिखी हुई है या संकलन की हुई है. अगर संभव हो तो अपनी पासपोर्ट साइज़ फोटो भी संग्लन करें. अगर आप अपनी रचना के साथ अपना नाम प्रकाशित नहीं करवाना चाहते हैं. तब रचना के साथ नाम न छापने का अनुरोध करना न भूलें. यहाँ एक बात गौरतलब है कि-किसी भी रचना के लिए किसी प्रकार का मेहनतना नहीं दिया जायेगा. 
नोट : आपकी शायरी ब्लॉग पर अपनी कोई भी रचना भेजने से पहले उपरोक्त ब्लॉग का अवलोकन एक बार जरुर कर लें.


"शकुन्तला प्रेस" का व्यक्तिगत "पुस्तकालय" क्यों?

यह "शकुन्तला प्रेस" का व्यक्तिगत "पुस्तकालय" है. जिसमें नियमित रूप से अध्ययन कर सकूँ. जैसे-हम अपने पुस्तकालय के लिए पुस्तक खरीद कर लाते हैं. उसी प्रकार से इसमें अपनी मर्जी से कुछ ब्लोगों और लिंकों का संकलन है.जैसे-हम अपने घर कोई वस्तु या किताब खरीदकर लाते हैं. उसको लेने और रखने का स्थान के साथ ही उसकी उपयोगिता पर विचार करते हैं, तब उसको घर लाते हैं. इसमें मैंने अपनी आवश्कता को महत्व दिया है. आप किसी प्रकार से नाराज न हो. मैंने केवल अपनी सुविधा के अनुसार ब्लोगों को अलग-अलग क्षेणी-क्षेणी देकर ब्लोगों के माध्यम से अपने ज्ञान में बढौतरी करने की कोशिश की, क्योंकि शुरु में ही सभी चीज़ों को  व्यवस्थित कर लेने से, बाद में एक घंटा बचाया जा सकता है. इस लाइब्रेरी में आप भी लिंकों या ब्लोगों का अध्ययन कर सकते हैं. मैंने बहुत पहले ही अपने ब्लॉग "सिरफिरा-आजाद पंछी" और "रमेश कुमार सिरफिरा" पर अपने दोस्तों के ब्लॉग को पूरा मान-सम्मान देते हुए. अपने ब्लॉग में "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" और "मेरे मित्रों के ब्लॉग" कालम  बना दिया था और उसमें उनके ब्लोगों के लिंकों को शामिल कर दिया था. 
मेरा बस यह कहना कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा. फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा करों तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनियां हमेशा याद रखें. धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य/कर्म कमाना ही बड़ी बात है. हमारे देश के स्वार्थी नेता "राज-करने की नीति से कार्य करते हैं" और मेरी विचारधारा में "राजनीति" सेवा करने का मंच है. 
कबीरदास जी अपने एक दोहे में कहते हैं कि-"ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही कोई ऊँचा नहीं हो जाता. इसके लिए हमारे कर्म भी ऊँचे होने चाहिए. यदि हमारा कुल ऊँचा है और हमारे कर्म ऊँचे नहीं है, तब हम सोने के उस घड़े के समान है. जिसमें शराब भरी होती है. श्रेष्ठ धातु के कारण सोने के घड़े की सब सराहना करेंगे.लेकिन यदि उसमें शराब भरी हो तब सभी अच्छे लोग उसकी निंदा करेंगे. इसी तरह से ऊँचे कुल की तो सभी सराहना करेंगे,  लेकिन ऊँचे कुल का व्यक्ति गलत कार्य करेगा. तब उसकी निंदा ही करेंगे. पूरा लेख यहाँ पर पढ़ें.
             अगर आप मेरे अन्य ब्लॉग को पढ़ने के इच्छुक है. तब आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे "सिरफिरा-आजाद पंछी", "रमेश कुमार सिरफिरा", सच्चा दोस्त, आपकी शायरी, मुबारकबाद, आपको मुबारक हो, शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन, सच का सामना(आत्मकथा), तीर्थंकर महावीर स्वामी जी, शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय और शकुन्तला महिला कल्याण कोष, मानव सेवा एकता मंच एवं  चुनाव चिन्ह पर आधरित कैमरा-तीसरी आँख (जिनपर कार्य चल रहा है) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं.  

2 टिप्‍पणियां:

  1. आप निश्चय ही बेबाक सत्य लिखते हैं ! आप के द्वारा दिए गए लिंक पर भी देखा ब्लॉग की खबरें पर . बहुत अच्छा लिखा है . यही शुभकामनायें हैं आपके लिए की सदैव इसी प्रकार निडर होकर सत्य की प्रस्तुति करती रहे आपकी लेखनी .

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अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
गलती की सूचना मिलने पर हमारी प्रतिक्रिया: http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html

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