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बुधवार, नवंबर 02, 2011

अनमोल वचन-दो

1. स्वयं को किसी की ज़रूरत बनाएं  2. समय सर्वाधिक मूल्‍यवान चीज़ है, जिसे कोई महान मनुष्‍य ही ख़र्च कर सकता है  3. पुस्तक ज्ञान का भंडार होती है 4. आज कुछ नया सीखने का प्रयत्न करें 5. जैसा अन्न, वैसा मन 6. स्वयं को किसी की ज़रूरत बनाएं 7. ईमानदारी सर्वश्रेष्‍ठ नीति है.8. कल्पनाशक्ति ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है 9. जहां मन रम जाए वहीं घर. 10. अपने नीति-बोध को भलाई के आड़े न आने दें 11. आज ख़ुशी बांटने का एक बेहतरीन दिन है 12.  कल्पना के बेहतर दिशा में कार्य करने से ही अच्छे कार्यों का जन्म होता है13. जैसी करनी वैसी भरनी.14. देश के युवा की शिक्षा प्रत्येक देश की आधारशिला होती है 15.  हम जैसा सोचते हैं, हम वैसे हो जाते हैं (पर कृपया खुद को सुपरहीरो न समझें और उड़ने का प्रयास न करें) 16. पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 17. आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे.18. अपने नीति-बोध को भलाई के आड़े न आने दें 19. देखें आप क्या कहते हैं – जो कुछ भी नहीं कहते, उनमें से कुछ ख़ामोश हैं 20.जैसी करनी वैसी भरनी.21. जीवन में सबसे बड़ी ग़लती जो आप कर सकते हैं, वो है ग़लती कर जाने के लगातार बने रहने वाले डर से डरना 22. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें  23. यदि आप कभी भी डरते नहीं, या असहज नहीं होते, या चोट नहीं खाते, तो इसका अर्थ है कि आप कभी भी प्रयास ही नहीं करते 24. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथ से नहीं.25.हर पीढ़ी स्वयं की कल्पना अपने से पिछली पीढ़ी से अधिक बुद्धिमान और अपनी अगली पीढ़ी से अधिक समझदार के रूप में करती है 26. प्रयास करें और विफल हों, परंतु प्रयास करने में कभी विफल न हों 27. आज पुराने मित्र को संदेश भेजें 28. आज दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें 29. प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 30.युवाओं के पास वे इच्छाएं होती हैं, जो कभी ख़त्म नहीं होतीं, बूढ़ों के पास उन चीज़ों की स्मृतियां होती हैं, जो कभी नहीं हुईं 31.अभ्‍यास परिपूर्ण बनाता है.32. उम्मीद हर स्थिति में आवश्यक है 33. जिंदगी एक किताब की तरह है: महत्व इस बात का है कि वह कितनी अच्छी है, इसका नहीं कि वह कितनी लंबी है 34. अध्‍ययन ऐसा करो जैसे कि आपको हमेशा जीना है.ऐसे जियो जैसे जीवन का अंतिम समय निकट हो 35. मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. 36. जैसी करनी वैसी भरनी.37. आप भला तो जग भला.38. निराशावादी व्यक्ति प्रत्येक अवसर में समस्या देखता है;आशावादी व्यक्ति प्रत्येक समस्या में अवसरों को देखता है. 39.नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है 40. प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य ख़ुद बनाता है 41. पूर्वाग्रह विश्लेषण के बिना जन्मा एक विचार मात्र होता है 42. हर बात के दो मतलब होते हैं 43. यदि आप चाहते हैं कि दूसरे आपका राज़ छुपाए रखें, तो पहले आपको खुद उसे छुपाए रखना होगा 44. जब लोग बातें करते हैं तो उन्हें ध्यान से सुनें. अधिकांश लोग सुनते नहीं 45. यदि भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है, तो भी लड़कर जीतने का प्रयास करें 46. हर बात के दो मतलब होते हैं. 47.आगे का मार्ग जानने के लिए, उनसे पूछे जो लौट रहे हैं 48. दूसरो की गलतियों को उसी रूप में देखें जैसे आप अपनी गलतियों को देखते हैं.49 स्वयं को किसी प्रतिभा या अन्य तरीके से विलक्षण बनाएं 50.अच्छा श्रोता केवल लोकप्रिय ही नहीं होता, बल्कि वह कुछ समय बाद कुछ जानने भी लगता है 51. आज आप ऐसी भाग्य कुकी देखेंगे जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा 52. जब लोहा गरम हो, तो चोट करो.53.ज्‍़यादा समय तक क्रोध नहीं करना चाहिए. 54. परिवर्तन जीवन का नियम है 55. आज व्यायाम करें 56. मित्र वही होता है जो आपको बेहतर तरीके से जानता है और आपसे उतना ही प्यार करता है 57. लोगों को अच्छे और बुरे में विभाजित करना निरर्थक है. लोग आकर्षक या उबाऊ होते हैं 58. धीरे-धीरे आगे बढ़ने में न डरें, वहीं के वहीं खड़े रहने से डरें 59. मजाक में भी कई सच्‍ची बातें निकल आती है. 60 मौका मिले तो चूको मत. 61. थोड़ी सी चूक से बड़ी हानि होती है  62. अपने आप को जोखिम में न डालें. वह सब कुछ, जो आपके पास है, वह आप स्वयं हैं. (जैनिस जॉपलिन) 63. मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. 64. सफलता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा विफलता का डर होता है. 65. आलस्‍य एक दिलचस्प किंतु कष्टप्रद स्थिति है; हमें ख़ुश होने के लिए कुछ करना ही होगा

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यह है मेरे सच्चे हितेषी (इनको मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद देता हूँ और लगातार आलोचना करते रहेंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ)
पाठकों और दोस्तों मुझसे एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" पर देखें.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत 3 अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.
कृपया ज्यादा जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे. पूरी बात को समझने के लिए http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html,
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